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देश में बन रहे 95 फीसदी कृषि यंत्र, 10 साल में दोगुने मैकेनाइजेशन का लक्ष्य : तोमर

NewsGram Desk

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि 95 फीसदी कृषि यंत्र देश में ही बनाए जा रहे हैं और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए 10 साल के भीतर प्रति हेक्टेयर मैकेनाइजेशन दोगुना करने का लक्ष्य है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश में वोकल फॉर लोकल के प्रति उत्साह का माहौल बना हुआ है। ऐसे में फार्म मशीनीकरण का क्षेत्र पहले से ही स्थानीय उत्पादन में जुटा हुआ है और करीब 95 फीसदी मशीनें देश में ही बनाई जा रही हैं।"

ट्रैक्टर एंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन ( टीएमए) की सालाना आम बैठक यानी एजीएम में बतौर मुख्य अतिथि कृषि मंत्री तोमर ने फार्म मशीनीकरण के विषय पर अपने संबोधन में कहा कि सरकार का जोर किसानों के खेत तक महंगे व बड़े एडवांस्ड कृषि यंत्र उपलब्ध कराने पर है। उन्होंने एसोसिएशन के सदस्यों से छोटे रकबे वाले किसानों को छोटी उपयोगी मशीनें उपलब्ध कराने का आग्रह किया, ताकि उनका लाभ देश के 86 फीसदी छोटे किसान उठा सकें और उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो। उन्होंने बताया कि सबमिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन की योजना सभी राज्यों में लागू की गई है, ताकि कृषि मशीनीकरण के उपयोग को बढ़ावा मिले और कृषि शक्ति के अनुपात को बढ़ाया जा सके।

किसानों के लिए छोटी उपयोगी मशीनें उपलब्ध करेगी सरकार । ( Pixabay)

कृषि क्षेत्र के सुधार

तोमर ने कहा कि किराए के आधार पर किसानों के खेत तक महंगे व बड़े एडवांस्ड कृषि यंत्र उपलब्ध कराने पर भी सरकार इस स्कीम के माध्यम से जोर दिया है। व्यक्तिगत किसान को परियोजना लागत में 40 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान है, वहीं किसानों के समूह को प्रोजेक्ट में 80 फीसदी तक की सब्सिडी दी जाती है, जिसकी अधिकतम राशि 10 लाख रुपये तक हो सकती है। पूर्वोत्तर प्रांतों के किसानों के लिए परियोजना लागत की 95 फीसदी तक सब्सिडी मिलती है।

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि कृषि के क्षेत्र कदम उठाए गए हैं, जिनकी लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। उन्होंने कहा, हमारे अन्नदाता भाई-बहन अब कानूनी तौर पर पूरी तरह स्वंतत्र हैं, जिससे उनकी आय बढ़ेगी व तकलीफें कम होंगी। यह बात उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के संबंध में कहीं। (आईएएनएस)

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