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विकासशील देशों के लिए 100 अरब डॉलर का जलवायु वित्त पाने का लक्ष्य: रिपोर्ट

NewsGram Desk

विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे परिवर्तनों को अपनाने में मदद करने के लिए विकसित देशों द्वारा कम से कम 100 अरब डॉलर की सहायता देने के वादे पर तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है। यह बात संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई स्वतंत्र विशेषज्ञों की नई रिपोर्ट में कही गई है।

कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक संकट बहुत बढ़ चुका है और जलवायु संकट बदतर हो रहा है, ऐसे में रिपोर्ट में 2021 में 100 अरब डॉलर की राशि को जल्द देने की बात कही गई है। साथ ही यह मजबूत और स्थायी रिकवरी पैकेज, महत्वाकांक्षी जलवायु कार्य योजना, कार्बन तटस्थता और क्लाइमेट-रिजिलिएंट ग्रोथ की दिशा में त्वरित प्रगति करने के लिए भी जरूरी होगा।

'डिलिवरिंग ऑन द 100 बिलियन (अरब) डॉलर क्लाइमेट फायनेंस कमिटमेंट एंड ट्रांसफामिर्ंग क्लाइमेट फायनेंस' शीर्षक से इस रिपोर्ट को शुक्रवार को जारी किया गया। इसे एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह ने तैयार किया गया, जो महामारी के दौरान बनी वित्त की स्थिति को लेकिन सिफारिफों की एक श्रृंखला बताता है। साथ ही लक्ष्य को 100 अरब डॉलर से ऊपर ले जाने की बात कहता है। ताकि प्रणाली में ज्यादा धन का प्रवाह बना रहे और बड़े पैमाने पर वित्तीय प्रणाली को मोबलाइज किया जा सके।

जलवायु परिवर्तन का मुद्दा

दूसरा मुद्दा वित्त के एडॉप्शन को बढ़ाना है, हालांकि फिर भी पूरे जलवायु वित्त में इसका केवल एक छोटा हिस्सा है। जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर बता करें तो लोगों, समुदायों और देशों में जलवायु परिवर्तन में बदलाव के कारण आ रही मुश्किलों से निपटने के लिए सक्षम बनाना होगा।

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सभी धन दाताओं और बहुपक्षीय विकास बैंकों से जलवायु वित्त सहायता के कम से कम 50 प्रतिशत तक की वित्तीय हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कहा था।

इस रिपोर्ट में कम से कम विकसित देशों और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों के लिए ज्यादा जलवायु वित्त को देने की वकालत की गई है, जिनमें से कई ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में बहुत कम योगदान दिया है लेकिन वे पहले से ही सूखा, बाढ़, समुद्र के बढ़ते स्तर जैसे गंभीर प्रभावों का सामना कर रहे हैं।

आखिर में समूह यह सिफारिश करता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त तक जल्दी पहुंच देने के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए क्योंकि अभी यह बहुत धीमे तरीके से हो रही है और तकनीकी समेत अन्य क्षमताओं को प्रभावित कर रही है। (आईएएनएस)

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