By : प्रमोद कुमार झा
संपूर्ण उत्तर भारत समेत देश के अन्य हिस्सों में सर्दी के मौसम में हो रही बारिश से भले आम जनजीवन प्रभावित हुआ हो, मगर रबी फसलों के लिए आसमान से गिर रही बूंदे अमृत के समान है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इस बारिश से गेहूं, चना, सरसों समेत तमाम रबी फसलों को तो फायदा होगा। साथ ही, सेब और आम समेत बागवानी की कई फसलों के लिए भी यह बारिश लाभप्रद है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले राजस्थान के भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. पी.के. राय ने आईएएनएस को बताया कि बारिश से सरसों व दूसरी रबी फसलों के लिए फायदेमंद हैं, क्योंकि आसमान से जो बंदूें गिरती हैं, वे फसल के लिए अमृत के समान होती हैं। हालांकि उनका कहना है कि अगर 10 दिन बाद यह बारिश होती तो किसानों को रबी फसलों में दूसरी बार सिंचाई का खर्च बच जाता, क्योंकि फसलों में एक बार पानी पड़ गया है और अभी जो बारिश हो रही है, वह अतिरिक्त ही है।
डॉ. राय के अनुसार, 10 दिन पहले अगर बारिश हुई होती तो भी किसानों को सिंचाई पर हुआ खर्च बच जाता।हालांकि, जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां इस मौसम में जो बारिश होती है वह रबी फसलों के लिए काफी लाभप्रद होती है।
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गेहूं की फसल । (Wikimedia Commons)
आईसीएआर के तहत ही आने वाले भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के शिमला स्थित रीजनल स्टेशन के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस.सी. भारद्वाज ने भी कहा कि आसमान से जो पानी गिर रहा है, वह गेहूं की फसल के लिए काफी फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि जिस तरह इस साल फिर गेहूं की बुवाई काफी जोरदार रही है और मौसम अनुकूल है और आगे भी इसी तरह अनुकूल रहा तो गेहूं के उत्पादन में फिर एक नया रिकॉर्ड बन सकता है। उन्होंने कहा कि इस समय जहां कहीं भी बारिश हो रही है वहां गेहूं की फसल को काफी फायदा होगा और उत्पादन बढ़ेगा। डॉ. भारद्वाज ने बताया कि सेब व दूसरी बागवानी की फसलों के लिए भी यह बारिश लाभप्रद है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 325.35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है, जोकि पिछले साल से 3.63 फीसदी अधिक है। देश में गेहूं के कुल रकबे में 92.52 लाख हेक्टेयर सिर्फ उत्तर प्रदेश का है। देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक सूबे में पिछले साल के मुकाबले गेहूं की बुवाई कम हुई है, क्योंकि पिछले साल की इसी अवधि के दौरान गेहूं की बुवाई उत्तर प्रदेश में 94.61 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। गेहूं का रकबा अब तक मध्यप्रदेश में 85.37 लाख हेक्टेय हो चुका है, जो पिछले साल से 10.32 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। पंजाब में गेहूं की बुवाई 35 लाख हेक्टेयर में, राजस्थान में 28.86 लाख हेक्टेयर और हरियाणा में 25.15 लाख हेक्टेयर में हुई है।
देशभर में दलहनी फसलों का रकबा 154.80 लाख हेक्टेयर है, जोकि पिछले साल से 6.67 फीसदी अधिक है। दलहनों में चना की बुवाई सबसे ज्यादा 105.83 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल से 5.77 फीसदी ज्यादा है। रबी सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सरसों की बुवाई 72.39 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल से 8.65 फीसदी ज्यादा है। रबी सीजन की सभी तिलहनी फसलों का रकबा 80.61 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल से 6.16 फीसदी ज्यादा है। रबी सीजन की सभी फसलों की बुवाई 620.71 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के 2.91 फीसदी ज्यादा है। (आईएएनएस)