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धनबल के आगे झुका “अमर उजाला”

Swati Mishra

पत्रकारिता, प्रेस, समाचार ये सभी लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माने जाते हैं। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ इसलिए माना जाता है, क्योंकि वह जनता की आवाज को सरकार तक पहुंचाती है। इसके अतिरिक्त, सरकार की नीतियों, शिक्षा, स्वास्थ्य, जनकल्याण आदि की सभी जानकारियां आम जनता तक पहुंचती है। लेकिन आज लोकतन्त्र का यह सतंभ डगमगा गया है, आज यह चाटुकारिता का पर्याय बनता जा रहा है और मीडिया की इसी चाटुकारिता का ताजा उदाहरण आज मैं आपको बताने जा रही हूं।

पंजाब विधानसभा चुनाव से पूर्व कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishwash) ने ANI से बातचीत के दौरान एक खुलासा किया था। जिसमें उन्होंने दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एक स्वतंत्र सूबे (खालिस्तान) का प्रधामंत्री बनना चाहते थे व उनके खालिस्तानियों से संबंध को भी उजागर किया था । लेकिन यह पहली बार नहीं था जब कुमार विश्वास ने इस बात का खुलासा किया हो, इससे तीन -चार साल पहले भी उन्होंने यह खुलासे किए थे।

इसी क्रम में अमर उजाला में 19 फरवरी 2022 को एक आर्टिकल छपता है, जिसका शीर्षक होता है, "पंजाब, खालिस्तान और केजरीवाल: क्या है कनाडा और और आयरलैंड में हुईं आप नेताओं की "गुप्त" बैठकों का राज? जिसमें आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल के खालिस्तानियों के साथ सम्बंध के सच को बताया गया था।

सम्पूर्ण आर्टिकल को AAP के दबाव के चलते बदल दिया गया। (NewsGram)

परंतु हमें AAP के कुछ विश्वशनीय सूत्रों से पता चलता है कि इस आर्टिकल से किस प्रकार अरविंद केजरीवाल व उनके खेमें में खलबली मच गई। कैसे इस आर्टिकल ने चंदाचोर गैंग को विचलित कर दिया। और उनकी टीम द्वारा अमर उजाला के एमडी को फोन कर आर्टिकल को धनबल के माध्यम से इसकी असल तस्वीर को ही बदल दिया गया, सच्चाई को तोड़-मडोड़ दिया गया।

आपको बता दें की जो आम आदमी पार्टी एक वक्त सत्ता में बदलाव व भ्रष्टाचार (Corruption) को खत्म करने आई थी। हालांकि इस बात का डंका वो आज भी पिटती है लेकिन व्यवस्था परिवर्तन की बातें करने वाली सरकार का यह असली चेहरा है। कुछ बीतें वर्षों में जो घिनौना रूप इस पार्टी का सामने आया है, वह है मीडिया की खरीद – फरोख्त। जिस तरीके से मीडिया की स्वायत्ता को इस पार्टी द्वारा हत्या की जा रही है, यह पत्रकारिता की स्वतंत्रता का हनन करती है। अपनी वाह – वाही व विज्ञापनों के जरिए वैसे भी केजरीवाल सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती नजर आती है। और इसका ताजा उदाहरण है "अमर उजाला" के आर्टिकल को बदलवा देना।

बदला हुआ शीर्षक "सियासत : खालिस्तान संबंधों को लेकर पहले भी लगते रहे हैं 'आप' पर आरोप, चुनाव पर नहीं पड़ेगा कोई असर।" केजरीवाल सरकार ने धन के बल पर सच्चाई को दबाया और अमर उजाला एक ही पल में प्रकाश विहीन होता नजर आया।

अमर उजाला द्वारा बदला हुआ आर्टिकल (NewsGram)

अमर उजाला एक स्थापित व जाना माना मिडिया हाउस है। इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह जनता तक सच का उजाला पहुंचाता है। लेकिन उसी मीडिया की स्वायत्ता को पाखंडी नेता द्वारा धन के बल पर खरीद लिया गया और सच को छुपा दिया गया।

यह दिल्ली सरकार की वह सच्चाई है, जिससे जनता कोसों दूर है। शिक्षा, स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात करने वाली सरकार, धन बल के जरिए मीडिया की स्वतंत्रता को खत्म कर रहा है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। आज सत्ता और सत्ताधारियों ने गिद्ध की भांति पत्रकारिता की स्वतंत्रता धनबल के जरिए छीन ली है। व्यवसायीकरण और चटुकारिता के चलते आज मीडिया दलाल बनकर रह गई है और अमर उजाला इसका ताजा उदाहरण है।

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