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America और China, दो अलग-अलग धुरियों में बंट रही है दुनिया

NewsGram Desk

यूक्रेन(Ukraine) पर रूस(Russia) का हमला और कोरोना(Covid-19) संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन(Lockdown), भले ही सतह पर एक दूसरे से संबंधित नहीं दिखाई देते हैं, लेकिन यह पूरी दुनिया को दो विपरीत दिशाओं में ले जा रहे हैं, जिनमें से एक की धुरी अमेरिका है और दूसरी की धुरी है चीन। लेखक माइकल शुमैन ने अटलांटिक में लिखा है कि अमेरिका और चीन के बिगड़ते रिश्तों के बीच चीन के रणनीतिक और आर्थिक महत्वाकांक्षाओं ने शक्ति युद्ध शुरू कर दिया है। इससे लिबरल और गैर लिबरल के बीच सैद्धांतिक संघर्ष शुरू हो गया है।

शुमैन कहते हैं कि इसके बाद अब यूक्रेन संकट की धमक पूरी दुनिया में अप्रत्याशित तरीक से सुनाई दे रही है। कोरोना संक्रमण(Covid) का संकट पूरी दुनिया के आर्थिक मानचित्र को बदलने की क्षमता रखता है। रूस(Russia) के हमले जहां जारी है, वहीं दूसरी तरफ चीन जीरो कोविड(Covid) रणनीति पर अड़ा हुआ है। इससे दोनों धुरियों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका तेज होती है।
चीन के नेता पहले से ही दुनिया से अपने संबंध तोड़ रहे हैं। हाल के वर्षो में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग(Xi Jinping) ने एक नवनिर्मित परिवर्तित विश्व व्यवस्था यानी पैक्स सीनिका बनाने के उद्देश्य से नीतियों को गति दी है।

चीन के राष्ट्रपति एक नई आक्रामक विदेश नीति के कारण अमेरिका को चीन के मुख्य रणनीतिक और आर्थिक विरोधी के रूप में पेश कर रहे हैं और अमेरिका के नेतृत्व वाली वैश्विक प्रणाली को चीन की शक्ति के लिए एक बाधा के रूप में देख रहे हैं।
शी ने अमेरिका और उसके सहयोगियों पर (और इस प्रकार अपनी कमजोरियों) पर अपने देश की निर्भरता को कम करने के लिए कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति शी ने यह सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिर्भरता अभियान पर जोर दिया है। चीन ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करके और आयात के बदले देश में निर्मित उत्पादों जैसे माइक्रोचिप्स और जंबो जेट को जगह देकर अर्थव्यवस्था के लिण् जरूरी वस्तुओं के उत्पादन को नियंत्रित कर लिया है।

चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई), जो कहने के लिए जरूरतमंद देशों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एक विकास कार्यक्रम है, लेकिन वास्तव में यह उभरते देशों में चीन के राजनीतिक और व्यावसायिक प्रभाव को बढ़ावा देने और उन्हें व्यापार, वित्त तथा प्रौद्योगिकी के माध्यम से चीन से जोड़ने के लिए है।बीजिंग की नजर में यूक्रेन संकट इस बात का सकारात्मक सबूत है कि शी का रास्ता चीन के भविष्य के लिए सबसे अच्छा है। हम निश्चित रूप से यह नहीं जान सकते कि शी और उनके शीर्ष नीति निर्माता क्या सोच रहे हैं, लेकिन यह माना जा सकता है कि वे एक मजबूत पश्चिमी देशों के गठबंधन द्वारा रूस पर लगाए गए कड़े प्रतिबंधों को गंभीरता के साथ देख रहे हैं।


रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनिया दो धुरियों में बंट रही {IANS}

तथ्य यह है कि यूक्रेन में युद्ध ने अमेरिका और यूरोप को आक्रामक सत्तावादी शक्तियों से सामना करने वाले नये खतरों के प्रति सतर्क कर दिया है जो ट्रान्स अटलांटिक लोकतांत्रिक गठबंधन को मजबूत करके उभरते विभाजन में योगदान दे रहा है। नाटो यूरोप में जिस तरह मजबूत हो रहा है, वैसे ही एशिया में क्वाड, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका शामिल हैं, अब एक चीन-नियंत्रित क्लब में बदल हो रहा है। इसके साथ ही, मास्को के लिये बीजिंग का निरंतर समर्थन एक पश्चिम विरोधी गठबंधन की धुरी बना रहा है, जिसमें पहले से ही बेलारूस और उत्तर कोरिया जैसे अन्य अस्थिरता वाले देश शामिल हैं।

शुमैन लिखते हैं, "आर्थिक रूप से भी, बीजिंग और मॉस्को पश्चिम और उसके सहयोगियों पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए एक-दूसरे का साथ दे रहे हैं। चीन लंबे समय से खुद को डॉलर से दूर करने की मांग कर रहा है, जबकि रूस ऐसा कर चुका है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में यह फर्क और भी साफ दिखाई देता है। चीन ने पहले ही ग्रेट फायरवॉल के साथ वैश्विक इंटरनेट से खुद को अलग कर लिया है और यूरोप तथा एशिया में अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्रों के नेतृत्व को पछाड़ने के लिए स्वनिर्मित चिप, एआई और इलेक्ट्रिक-वाहन उद्योगों में भारी निवेश कर रहा है।

इस वैश्विक बंटवारे के दौरान देश एक धुरी की तरफ या दूसरी धुरी की ओर बढ़ेंगे (जैसा कि शीत युद्ध के दौरान हुआ) लेकिन यह जरूरी नहीं कि यह बंटवारा स्पष्ट वैचारिक आधार पर हो। वियतनाम, चीन की बढ़ती ताकत से डरता है और इसी कारण अमेरिका के प्रति उसका झुकाव है, जबकि पाकिस्तान, जो अमेरिका का शीत युद्ध सहयोगी रहा है, अब बेल्ट एंड रोड निवेश के माध्यम से चीन से काफी जुड़ा हुआ है और साथ ही प्रभावी रूप से बीजिंग का ग्राहक देश बन गया है।

शुमैन लिखते हैं, "सरकारों और नेताओं में परिवर्तन नई दुनिया में प्रवेश के तरीके को बदल सकता है लेकिन दो अलग -अलग वृत उभरेंगे ही जिनमें आपस में मजबूत आर्थिक संबंध होंगे। प्रत्येक खेमा अलग-अलग प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा और अलग-अलग राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मानदंड के आधार पर संचालित होगा। प्रत्येक खेमा संभवत: अपनी परमाणु मिसाइलों को दूसरे पर इंगित करेगा और सत्ता तथा प्रभाव के हार-जीत के खेल में प्रतिस्पर्धा करेगा।"

–आईएएनएस(DS)

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