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बोल रे दिल्ली बोल: केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का अनसुना सच

NewsGram Desk

By: कम्मी ठाकुर, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भकार, हरियाणा

केजरीवाल सरकार की झूठ, फरेब, धूर्तता और भ्रष्टाचार की पोल खोलता 'बोल रे दिल्ली बोल' गीतरुपी शब्दभेदी बाण एकदम सटीक निशाने पर लगा है। सुभाष, आजाद, भगतसिंह जैसे आजादी के अमर शहीद क्रांतिकारियों के नाम व चेहरों को सामने रखकर जनता को बेवकूफ बना सुशासन ईमानदारी और पारदर्शिता का सब्जबाग दिखाकर सत्ता पर काबिज हुए अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार आज पूरी तरह से मुस्लिम तुष्टिकरण, भ्रष्टाचार, कुशासन एवं कुव्यवस्था के दल-दल में धंस चुकी है। आज केजरीवाल का चाल, चरित्र और चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है। दिल्ली में कोविड-19 के दौरान डॉक्टरों सहित सैकड़ों विभिन्न धर्म-संप्रदाय के मेडिकल स्टाफ के लोगों ने बतौर कोरोना योद्धा अपनी जाने गंवाई थी। लेकिन उन सब में केजरीवाल के चश्मे में केवल मुस्लिम डॉक्टर ही नजर आया, जिसके परिजनों को 'आप सरकार' ने एक करोड़ की धनराशि का चेक भेंट किया। किंतु बाकी किसी को नहीं बतौर मुख्यमंत्री यह मुस्लिम तुष्टिकरण, असंगति, पक्षपात आखिर क्यों ?

केजरीवाल की सरकार में आए दिन नित-नये भ्रष्टाचारों का खुलासा हो रहा है। कैग रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार का राशन घोटाला उजागर हुआ है। इसके अतिरिक्त केजरीवाल सरकार पर स्कूल के कमरों के निर्माण में ₹2000 के भ्रष्टाचार सहित राज्यसभा टिकटों को भी नीलाम करने का आरोप है। अरुण जेटली मानहानि केस में तो केजरीवाल खुद माफी भी मांग चुके हैं। एक तरफ जहां दिल्ली की आम जनता पानी बिजली, सड़क, स्कूल, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाओं को तरस रही है और दिल्ली के लोग कोविड-19 में इलाज में अस्पतालों के अभाव में दम तोड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ केजरीवाल की आप सरकार वोटों की ओछी राजनीति की खातिर ना केवल रोहिंग्या घुसपैठियों के लिए फ्री बिजली पानी राशन और नगदी बांटने में लगी हुई है, अपितु इसके साथ-साथ एक धर्म विशेष की खुशी-खुशामदी की खातिर देश के करदाताओं का पैसा मौलवियों और मुअज्जनों के वेतन क्रमशः 18 हजार एवं 16 हजार प्रतिमाह की दर से डबल कर फ्री की खैरात बांटकर हिंदुस्तानी सेक्युलर एवं मजहबी समाज का बंटवारा करने पर आमादा है। इसके अतिरिक्त केजरीवाल की आप सरकार दिल्ली में वक्फ बोर्ड की जमीन बहुतायत में उपलब्ध होने के बावजूद ग्रामीणों की जमीन पर सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए लगभग 90 करोड़ की लागत से भव्य एयरकंडीशंड हज हाउस का निर्माण भी करवा रही है। जबकि इसका सदुपयोग कर बिजली, पानी, सकूल, अस्पताल व सड़कों की हालत को सुधारा या उन्हें नया बनाया जा सकता था।


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केजरीवाल से लोगों को उम्मीद थी कि केजरीवाल दिल्ली की टूटी-फूटी, सड़ी-गली व भ्रष्ट हालत-व्यवस्था की तस्वीर को बदलेंगे। इसलिए हर वर्ग-समुदाय का व्यक्ति केजरीवाल के साथ 2011 के इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अन्ना नेतृत्वाधीन लोकपाल जनआंदोलन में सम्मिलित था। केजरीवाल ने जनता के पैसे से ही चुनाव लड़ा। लेकिन केजरीवाल ने कथित चंदे से एकत्रित लाखों-करोड़ों रुपए की धनराशि को ही आज तक सार्वजनिक नहीं किया? इसके अतिरिक्त केजरीवाल ने सत्ता में आने से पूर्व दिल्ली के लोगों को हर घर पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने का वादा किया था। जबकि दिल्ली के एक चौथाई इलाके में भी अभी तक पेयजल पाइपलाइन तक नहीं डाली गई है। दिल्ली की लगभग 18 हजार कच्ची काॅलोनियो में से आधे में भी पेयजल पाइपलाइन तक नहीं डाली गई है। यही हाल सीवरेज प्रणाली का भी है। दिल्ली में जगह-जगह केजरीवाल सरकार के विकास को चिन्हित करते कूड़े के टीले स्थापित है। केजरीवाल सरकार के मोहल्ला क्लीनिको में धूल फांक रही है।

दिल्ली की जनता एक और जहां फ्री बिजली, पानी और डीटीसी की मुफ्त यात्रा की अपने निजी स्वार्थ में ही सीमित-खुश है, वहीं दूसरी ओर स्वयं को आम आदमी बताकर राष्ट्रवादिता का छद्म चोला पहनकर केजरीवाल अपने घर में स्विमिंग पूल आदि वीवीआईपी सुविधाएं विकसित कर जनता के गाढे खून पसीने की कमाई को दोनों हाथों से लूटा रहे हैं। देश समाज को सुधारने के इरादे से राजनीति में आए केजरीवाल के मंसूबे आज महज तुष्टीकरण और एक धर्म विशेष की राजनीति पर आकर टिक गए हैं। बकौल केजरीवाल जब-जब जिस राज्य में चुनाव आते हैं तो वहां बिजली हमेशा देश में सबसे महंगी हो जाती है और फिर वह राजनीतिक लाभ हेतु वहां फ्री बिजली देने का झुनझुना लोगों के बीच बजाने लगते हैं। आज देश हित में देश-दिल्ली के लोगों को केजरीवाल की धूर्तता को अपने निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर देखने की आवश्यकता है।

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