देश की राजधानी दिल्ली में तीसरी लहर के दौरान लगातार मामलें घट रहे हैं। (Wikimedia Commons) 
ब्लॉग

देश में Corona के मामलों में दर्ज की जा रही कमी, क्या शुरू कर सकते हैं सामान्य गतिविधियां

NewsGram Desk

देश और राजधानी दिल्ली(Delhi) में फिलहाल कोरोना(Corona) मामलों में कमी आ रही है और इसे देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि पर्याप्त सावधानी बरतते हुए सभी गतिविधियों को फिर से शुरू किया जा सकता है।

राजधानी में गुरूवार को कोविड के 4,291 मामले दर्ज किए गए जिन्हें मिलाकर कोविड के सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 33,175 हो गई है। यहां इस अवधि में 34 लोगों की मौत भी हुई है। प्रतिदिन सकारात्मकता दर पहले के 10.59 प्रतिशत से कम होकर 9.56 प्रतिशत रह गई है।

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने भी गुरुवार को अपनी बैठक में सप्ताहांत कर्फ्यू और बाजार में दुकानों के लिए ऑड-ईवन नियम को हटाने का फैसला किया। हालांकि राष्ट्रीय राजधानी में रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू जारी रहेगा।

फोर्टिस अस्पताल, नोएडा के विभागाध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष सिन्हा ने एक मीडिया एजेंसी को बताया अब जब दिल्ली में मामले गिर रहे हैं, सप्ताहांत कर्फ्यू, सम-विषम नियम भी हटा लिया गया है, यह हमारे सामान्य जीवन में वापस आने का समय है। लेकिन भीड़ में मास्क का उपयोग करने, सामाजिक दूरी और हाथों की सफाई का पालन करने जैसी सावधानियां लगातार बरतनी होंगी।

पिछले हफ्ते, देश के सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी कोविड मामलों में गिरावट देखी गई थी। दिल्ली और पश्चिम बंगाल में 17 से 23 जनवरी के दौरान मामलों में सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई। राष्ट्रीय राजधानी में भी एक हफ्ते में 81,741 मामलों की गिरावट दर्ज की गई जो इससे पहले के सप्ताह के 1,60,240 से 96 प्रतिशत कम है।

इस सप्ताह में पश्चिम बंगाल में 111 फीसदी की गिरावट के साथ तेज गिरावट दर्ज की गई। झारखंड ने साप्ताहिक मामलों में 83 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की, जिसके बाद बिहार 71 प्रतिशत, गोवा 8.5 प्रतिशत और चंडीगढ़ 14 प्रतिशत का स्थान है। छत्तीसगढ़ में एक फीसदी की मामूली गिरावट दर्ज की गई।

चंडीगढ़ प्रशासन ने भी गुरुवार को दैनिक पाजिटिव मामलों में गिरावट के बाद कोविड प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है।

जैसे-जैसे मामले घट रहे हैं वैसे-वैसे लोगों के मन में ये सवाल आ रहा है की क्या वे पहले की तरह सामान्य गतिविधियों का पालन कर सकते हैं ? (Wikimedia Commons)

धर्मशिला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के पल्मोनरी कंसल्टेंट डा. नवनीत सूद के अनुसार, कोविड वायरस और इसके बदलते हुए रूप को देखते हुए यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि सामान्य स्थिति कब वापस आएगी।

उन्होंने कहा कोई नहीं कह सकता कि कौन सा वेरिएंट लोगों को और कब संक्रमित करेगा। लेकिन थोड़ी राहत इस बात को लेकर है कि यह डेल्टा की तरह घातक नहीं है। इसे देखते हुए दूसरी की तुलना में तीसरी लहर कम खतरनाक है।

डा. सूद ने एक मीडिया एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा, हमें उम्मीद करनी चाहिए कि इस साल के अंत तक स्थिति सामान्य हो सकती है लेकिन यह निश्चित नहीं है।

विशेषज्ञ भी सावधानी के साथ स्कूलों और कॉलेजों को फिर से खोलने के पक्ष में हैं। पहले यह आशंका जताई गई थी कि तीसरी लहर बच्चों के लिए बहुत खतरनाक सबित होगी खासकर जब उनके लिए कोई टीका स्वीकृत नहीं था।

श्री सिन्हा ने कहा, दूसरी लहर के मुकाबले इस बार बच्चे कोविड से अधिक संक्रमित हुए है लेकिन अस्पताल में भर्ती होने की दर कम रही और मौतें बहुत कम हुई हैं। देश में 15-18 आयु वर्ग के किशोरों के लिए भी कोविड टीकाकरण शुरू किया है।

सिन्हा ने कहा चूंकि स्कूलों के अलावा सब कुछ खुला है और हम अभी भी बच्चों में संक्रमण देख रहे हैं। मुझे लगता है कि स्कूलों को संक्रमण के प्रसार के लिए संभावित स्थान के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। हम स्कूलों को बंद करके और अन्य सभी चीजों को खोलकर बच्चों की मदद नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बच्चों में अधिकांश संक्रमण उनके माता-पिता से हुए हैं, जो बाहर जाकर संक्रमण को घर ला रहे हैं। अन्य जरिया समारोह और पार्टियों हैं जिनमें वे भाग लेते रहे हैं और साथ ही खरीदारी आदि के लिए बाहर जा रहे हैं।

डा. सूद ने एक मीडिया एजेंसी से कहा, कक्षा 12 स्तर तक के स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालय खुले होने चाहिए। स्कूल, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए टीकाकरण अभियान जरूरी है। छात्रों ने पहले ही अपनी शिक्षा में बहुत कुछ झेला है और इसे देखते हुए हम और इंतजार नहीं कर सकते।


Islam और Mohammad पर Wasim Rizvi उर्फ Jitrendra Narayan Tyagi के विवादित बयान जानिए | Newsgram

youtu.be

विशेषज्ञों की राय है कि सरकार को स्कूलों को खोलने की अनुमति देनी चाहिए क्योंकि बच्चों के घर पर रहने का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उनकी शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है, और वे अपनी शब्दावली और सीखने के कौशल में भी गंभीर रूप से पिछड़ रहे हैं।

स्कूल से दूर रहने के कारण बच्चों का सामाजिक कौशल, संज्ञानात्मक कार्यों और भाषा के विकास का भी नुकसान होता है। खाने , सोने और जागने के समय में कोई अनुशासन नहीं है। बहुत सारे बच्चों में अजनबियों को देखकर आशंका, घबराहट और चिंता के लक्षण देखे जा रहे हैं।

डा. सिन्हा ने कहा, अगर हम बहुत जल्द स्कूल नहीं खोलते हैं, तो मुझे डर है कि हम अपने बच्चों को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकते हैं, जिसका बच्चों पर कोविड की तुलना में काफी लंबा और स्थायी दुष्प्रभाव पड़ सकता है।

Input-IANS; Edited By-Saksham Nagar

न्यूज़ग्राम के साथ Facebook, Twitter और Instagram पर भी जुड़ें!

मोहम्मद शमी को कोर्ट से बड़ा झटका : पत्नी-बेटी को हर महीने देने होंगे 4 लाख रुपये !

जिसे घरों में काम करना पड़ा, आज उसकी कला को दुनिया सलाम करती है – कहानी दुलारी देवी की

सफलता की दौड़ या साइलेंट स्ट्रगल? कोरिया में डिप्रेशन की असली वजह

जहां धरती के नीचे है खजाना, वहां ऊपर क्यों है गरीबी का राज? झारखंड की अनकही कहानी

'कैप्टन कूल' सिर्फ नाम नहीं, अब बनने जा रहा है ब्रांड!