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कॉलेज, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय बंद होने के बावजूद बरकरार है दिव्यांग छात्रों का हौसला

NewsGram Desk

 विश्वविद्यालय बंद, कॉलेज बंद, प्रयोगशालाएं बंद, लाइब्रेरी भी बंद, कोचिंग, ट्रेनिंग सब कुछ बंद। ऐसे में जहां सामान्य छात्रों के लिए इस स्थिति से उबर पाना मुश्किल हो रहा है, वहीं इस स्थिति ने दिव्यांग छात्रों की मुश्किलें और अधिक बढ़ाई हैं। हालांकि कोरोना को ध्यान में रखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने पढ़ाई जारी रखने और परीक्षा देने में दिव्यांग छात्रों को कुछ अतिरिक्त सहूलियतें देने का अहम निर्णय लिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग दो हजार छात्र,300 शिक्षक व 200 दिव्यांग कर्मचारी है। कई कॉलेजों में उनके लिए चलने के लिए टैक्टाइल फ्लोरिंग, रैम्प, लिफ्ट, ब्रेल चिन्ह, ब्रेल प्रिंटर आदि नहीं है। हालांकि डीयू के करीब एक दर्जन कॉलेजों में दिव्यांग छात्रों से संबंधित यह सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इनमें हंसराज कॉलेज ,खालसा कॉलेज , माता सुंदरी कॉलेज , मिरांडा हाउस ,सोशल वर्क डिपार्टमेंट, सोशल साइंस फैकल्टी,लक्ष्मी बाई कॉलेज, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आई.पी कॉलेज, लेडी श्रीराम कॉलेज, राजधानी कॉलेज, सत्यवती कॉलेज शामिल हैं।

विश्वविद्यालय बंद होने के बावजूद विकलांग छात्रों के हौसले में कमी नहीं आई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन एग्जामिनेशन डीएस रावत ने आईएएनएस को बताया, "इस बार हुई ओपन बुक एग्जाम में 734 दिव्यांग छात्र शामिल हुए। अच्छी बात यह रही कि सभी छात्रों ने सफलतापूर्वक न केवल अपनी परीक्षा दी बल्कि सामान्य छात्रों की ही तरह अपनी आंसर शीट भी जमा कराई। "

डीन एग्जामिनेशन के मुताबिक परीक्षा देने के लिए नेत्रहीन छात्रों को अपना राइटर साथ रखने का विकल्प दिया गया। इसके साथ ही सभी दिव्यांग छात्रों को सामान्य छात्रों के मुकाबले अधिक विकल्प उपलब्ध कराए गए। जहां सामान्य छात्रों को विश्वविद्यालय के पोर्टल पर आंसर शीट अपलोड करनी होती है। वहीं दिव्यांग छात्रों को आंसर शीट अपलोड करने या फिर ईमेल से भेजें का विकल्प दिया गया। साथ ही परीक्षा के लिए अतिरिक्त समय भी उपलब्ध कराया गया।

हालांकि मजे की बात यह रही कि दिव्यांग छात्रों में से अधिकांश छात्रों ने सामान्य छात्रों की ही तरह दिल्ली विश्वविद्यालय के पोर्टल पर आंसर शीट अपलोड की। प्रत्येक छात्र की चार परीक्षा के हिसाब से दिव्यांग छात्रों कि लगभग 3000 के आसपास आंसर शीट थी, लेकिन विकल्प होने के बावजूद केवल 200 आंसर शीट ही ई-मेल से भेजी गई।

दिल्ली विश्वविद्यालय के मुताबिक इन परीक्षाओं में दिव्यांग छात्रों का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है और लगभग सभी छात्र परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए हैं।

दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई लिखाई को लेकर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद संवेदनशील है। नई शिक्षा नीति के 1 वर्ष पूरा होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में एक और काम हुआ है जो उनके हृदय के बहुत करीब है। यह बहुत संवेदनशील भी है। आज देश में 3 लाख से भी ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जिनको शिक्षा के लिए सांकेतिक भाषा की आवश्यकता पड़ती है। इसे समझते हुए भारतीय साइन लैंग्वेज को एक भाषा विषय, एक सब्जेक्ट का दर्जा प्रदान किया गया है। अब छात्र इसे एक भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। इससे भारतीय साइन लैंग्वेज को बढ़ावा मिलेगा।

–(आईएएनएस-PS)

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