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बुंदेलखंड में रोजगार और पानी का संकट: एक बड़ी समस्या

NewsGram Desk

बुंदेलखंड में रोजगार की बड़ी समस्या और पानी का संकट होने के कारण खेती और पशुपालन किसी चुनौती से कम नहीं है, मगर सागर जिले की महिलाओं ने श्वेत क्रांति के क्षेत्र में अपने कदम आगे बढ़ा रही हैं और सफलता के पचरम भी लहराए हैं। यहां महिलाएं मिल्क उत्पादक इकाईयां स्थापित करने में सफल हो रही हैं। सागर जिले के गढ़ाकोटा, मालथौन, बंडा व खुरई विकास खंडों में महिलाएं स्वयं सहायता समूह बनाकर नई इबारत लिख रही हैं, महिलाएं आर्थिक तौर पर सबल बन रही हैं और उनके लिए रोजगार के नए अवसर भी सामने आ रहे हैं।

देवरी विकासखंड के पनारी गांव की राखी प्रजापति का परिवार खेतीहर (Cultivation) मजदूरी करके अपना जीवन यापन कर रहा था, महिला समूहों के साथ जुड़कर राखी ने लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह में दुग्ध उत्पादन का पाठ सीखा, उनके घर में पहले से दो गायें थीं। जिनसे काम चलाउ दूध मिलता था। उन्होंने एक अच्छी गाय समूह से पैसा लेकर खरीदी। धीरे-धीरे गायों की संख्या बढ़ाते हुए वे प्रतिदिन 40 लीटर दूध बीएमसी भेजने लगीं।

महिलाओं को पशुपालन के प्रति प्रोत्साहित करने के प्रयास किए गए जा रहे हैं। आजीविका मिशन ने पंचायत स्तर पर ग्रामीण महिलाओं को पशुपालन सखी के रूप में विकसित किया है। इन महिलाओं का सात दिवसीय सघन प्रशिक्षण हुआ, जिसमें इनको पशु पालन टीकाकारण, कृत्रिम गर्भाधान, चारागाह विकास आदि विषयों पर अनिवार्य जानकारी भी दी गई।

आजीविका मिशन ने पंचायत स्तर पर ग्रामीण महिलाओं को पशुपालन सखी के रूप में विकसित किया है। (सांकेतिक चित्र, Pexels)

सागर के जिलाधिकारी दीपक सिंह बताते हैं कि पशु पालन को प्रोत्साहन देने के लिए मनरेगा के माध्यम से मिल्क रूट में पशु शेड खेत तालाब सिंचाई संरचनायें और सूनी पहाड़ियों पर हरियाली का विकास किया जा रहा है। सफल उद्यमी महिलाओं को एनडीडीबी आनंद, एनडीआरआई करनाल में विशेषज्ञों के माध्यम से उन्नत प्रशिक्षण कराकर उनका कौशल विकास किया गया है। जिले में उनकी आजीविका के साधनों में विकास हों इसके लिए बैंक लिंकेज भी किया गया है। ग्रामीण विकास विभाग पशुपालन के अतिरिक्त कुक्कुट विकास में भी इन्हें आगे ला रहा है। वर्तमान में जिले में पांच मदर इकाईयों के माध्यम से कड़कनाथमुर्गी पालन का सफल नवाचार भी किया गया।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. इच्छित गढ़पाले बताते हैं कि केसली में आजीविका मिशन के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूहों के परिसंघ ने देवश्री ब्रांड से मिल्क प्रोडक्ट बाजार में उतारे हैं। अब मांग बढ़ने के साथ मिल्क उत्पादन को बढ़ाये जाने की ओर इन महिलाओं ने फोकस करना शुरू किया है। इन्होंने गायों में गिर, जर्सी, साहीवाल, थारपारकर और भैंस में मुर्रा नस्ल के सांडों का बीज कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से डलवाकर नस्ल सुधार कार्यक्रम को अपना लिया है।

केसली विकासखण्ड के ग्राम सोनपुर में लगभग 150 अनुसूचित जनजातीय परिवार देवश्री फामर्स प्रोड्यूसर कंपनी से जुड़कर दुग्ध उत्पादन के कार्य में जुट गये। इस ग्राम में सात स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। जिसमें लगभग 70 परिवारों की महिलाओं का जुड़ाव है।

महिलायें बताती हैं कि दूध डेयरी से जुड़ने के पहले वे परम्परागत तरीके से धान और मौसमी फसलों के उत्पादन का कार्य करती थीं। लेकिन देवश्री के माध्यम से उन्होंने पहले तो बाजार से अधिक उत्पादन देने वाले पशु खरीदे बाद में उन्होंने पाया कि कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से वे स्वयं अपने घरों में ही पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम के आधार पर उन्नत नस्ल के पशु बना सकते हैं। (आईएएनएस-SM)

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