मंदिर, जिन्हें हिन्दू धर्म में पवित्र एवं उच्च स्थान दिया जाता है। जहाँ हर वर्ग का व्यक्ति अपना दुःख लेकर जाता है, और उसे विश्वास रहता है कि भगवान उनके दुःखों का नाश करेंगे और उनके जीवन में किसी न किसी रूप में सुख प्रदान करेंगे। इन्ही देवालयों में भगवान की आराधना के लिए वह लोग भी आते हैं जिन्हे समृद्धि प्राप्त हुई होती है और साथ ही अपनी इच्छा अनुसार दान करते हैं। किन्तु, इस दान पर सरकार कब्ज़ा होता है। भारतीय नियमानुसार जितना भी धन एक मंदिर, दान के रूप में एकत्र करता है वह पूरा पैसा सरकार को जाता है और फिर सरकार मंदिर के रख-रखाव और पुजारियों के वेतन के लिए सिमित धन प्रदान करती है।
किन्तु आश्चर्य की बात यह है कि यह पक्ष-पात केवल हिन्दू मंदिरों(Hindu Temples) के साथ ही किया जा रहा है। किसी गिरजा घर या मस्जिद से किसी भी तरह का धन, सरकार नहीं मांगती है। और यही कारण है की आज का हिन्दू समाज मंदिरों को सरकारी बेड़ियों से मुक्त कराने की बात कर रहा है।
सेक्युलर बकैतों की माने तो मंदिरों पर सरकारी दबाव जायज़ है, किन्तु यह कहाँ तक जायज़ है कि ओडिशा सरकार हिन्दू धर्म में परम आराध्य भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर(Shri Jagannath Temple) जो कि पुरी में स्थित है उनकी 35,000 एकड़ जमीन बेचने की तयारी कर रही है। यह जमीन उन भक्तों द्वारा भगवान जगन्नाथ मंदिर के नाम किया गया था जिनकी मनोकामना पूर्ण हुई थी। किन्तु माना यह जा रहा है कि ओडिशा सरकार आस्था से ज्यादा पैसों को मोल दे रही है। और इसी फैसले के चलते #freeTNtemples नाम से हैशटैग चलाया जा रहा है जिसको बड़ी संख्या में सहयोग भी मिला है।
देश में एक नई मिसाल पेश करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत(Teerath Singh Rawat) ने मंदिरों पर बड़ा फैसला लेते हुए, उत्तराखंड के 51 मंदिरों को सरकारी बेड़ियों से मुक्त करने का फैसला लिया था। जिसका स्वागत कई बड़े धर्मगुरुओं ने भी किया। Free Temple मुहीम में सबसे ज्यादा सक्रीय सद्गुरु जग्गी वासुदेव(Sadhguru Jaggi Vasudev) ने भी मुख्यमंत्री रावत की तारीफ करते हुए एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें वह कह रहें हैं कि "यह हिंदू आस्था के लिए एक बहुत बड़ा कदम है, क्योंकि यह समुदाय के हाथों में होना चाहिए। यदि सरकार पर्यटन क्षमता देखती है, तो वे बुनियादी ढांचे का निर्माण कर सकते हैं, परिवहन को सुनिश्चित कर सकते हैं, आवास की व्यवस्था कर सकते हैं लेकिन मंदिर स्वयं भक्तों के हाथों में होना चाहिए। मुझे खुशी है कि उत्तराखंड सरकार को इस बात का एहसास है और सीएम तीरथ सिंह को मेरी बधाई और आशीर्वाद। यह वास्तव में अद्भुत है और मैं चाहता हूं कि और अधिक मुख्यमंत्री इस दिशा में आगे बढ़ें।"
तमिलनाडु भाजपा(BJP) ने भी यह वादा किया है कि वह सभी धर्म-स्थलों और मंदिरों को सरकारी बंधनों से मुक्त करा उन्हें विद्वानों और साधुओं के हाथ में सौपेंगे। किन्तु भाजपा भी अपनी सोच को साफ नहीं कर रही है। एक तरफ तो वह मंदिरों को सभी बंधनों से मुक्त करने की बात कहती है और दूसरी तरफ ही भाजपा शासित हरियाणा में सरकार प्रसिद्ध मंदिर माता चंडी मंदिर और हिसार के श्री दुर्गा माता मंदिर के प्रशासन को अपने नेतृत्व में चलाना चाहती है।
बहरहाल, देश-भर में #freehindutemple मुहीम के लिए ऑनलाइन पेटिशन साइन किए जा रहे हैं, सोशल मीडिया पर हैशटैग को ट्रेंड कराया जा रहा है। अब तो उदाहरण के लिए उत्तराखंड सरकार ने भी इस मुहीम का साथ दिया है। तो माना यह जा रहा है कि उत्तराखंड की देखा-देखी अन्य राज्य की सरकारें भी इस मामले पर जल्द फैसला लेंगी।