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‘ऊंची उड़ान साधे आसमान’, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कविता

NewsGram Desk

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुवार को गुजराती में लिखी एक कविता 'ऊंची उड़ान साधे आसमान' देशवासियों को समर्पित की। उनके कविता शेयर करने के बाद कुछ लोगों ने कविता का हिंदी अनुवाद कर भेजा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे भी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म ट्विटर के जरिए साझा किया है। इस कविता में प्रधानमंत्री मोदी ने सूरज देव का नमन करते हुए जीवन का मर्म समझाया है। पिछले 15 दिनों में प्रधानमंत्री मोदी की यह दूसरी प्रेरक कविता देशवासियों के सामने आई है, जिसे सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया जा रहा है। इससे पहले, वर्ष 2021 के पहले दिन एक जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की कविता 'अभी तो सूरज उगा है' एक सरकारी ट्विटर हैंडल 'मॉय जीओवी' पर शेयर हुई थी।

क्या है नई कविता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, आज सुबह मैंने गुजराती में एक कविता साझा की थी। कुछ साथियों ने इसका हिंदी में अनुवाद कर मुझे भेजा है। उसे भी मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं..।

पेश है, प्रधानमंत्री मोदी की गुजराती में लिखी कविता का हिंदी अनुवाद :

ऊंची उड़ान साधे आसमान, अंबर से अवसर और आंख में अंबर..

सूरज का ताप समेटे..अंबर, चांदनी की शीतलता बिखेरे..अंबर,

सम-विषम समाए..अंबर में, भेद-विभेद संग विवेक विशेष

जगमग तारे अंबर उपवन में, विराट की कोख में..अवसर की आस में, टिमटिमाते तारे तपते सूरज में

नीची उड़ान करे परेशान, ऊंची उड़ान साधे आसमान

हो कंकड़ या संकट, पत्थर हो या पतझड़

वसंत में..भी संत, विनाश में..है आस

सपनों का अंबार, अंबर सी आस

गगन..विशाल, जगे विराट की आस

मार्ग..तप का, मर्म.. आशा का, अविरत..अविराम, कल्याण यात्री.. सूर्य

आज

तपते सूरज को, तर्पण का पल, शत शत नमन..शत शत नमन

सूरज देव को अनेक नमन

-नरेंद्र मोदी

(आईएएनएस)

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