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पाखंड बड़ा या नाम तेरा!

Shantanoo Mishra

आज पाखंड ने अपने हाथों में सभी अहम मुद्दों को कसके जकड़ लिया है। किसी को या तो अपने हित के लिए पाखंड का चोंगा पहने देखा जा सकता है या किसी को एक समुदाय के हित में पाखंड का चश्मा पहने देखा गया है। अश्विनी उपाध्याय जो की पेशे से एक वकील हैं उन्होंने आज सुबह एक ट्वीट किया जिसमे उन्होंने कई पाखंड को ट्विटर के माध्यम से लोगों के समक्ष रखा।

उन्होंने लिखा " राष्ट्रवाद का पाखंड, गांधीवाद का पाखंड, देशभक्त का पाखंड, ईमानदारी का पाखंड, मार्क्सवाद का पाखंड, समाजवाद का पाखंड, सेकुलरिज्म का पाखंड, अम्बेडकरवाद का पाखंड; हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा है- पाखंड और पाखंड किसी भी प्रकार का हो, वह देश समाज और संस्कृति के लिए अमंगलकारी और अहितकर ही होता है"

यह सभी बात इसलिए भी सच हैं क्योंकि आज युवाओं को पाखंड की सही परिभाषा नहीं पता है। वह जप, तप, ध्यान इन सभी चीज़ों को पाखंड मानते है। खुदको महात्मा गांधी का भक्त कहते हैं और फिर कुछ ही समय बाद दंगे में कई बेगुनाहों की हत्या कर देते हैं। किसान हित की बात करते हैं किन्तु रिहाई दंगाइयों और देशद्रोहियों की मंगाते हैं। सेक्युलरिज्म पर दोहरा मापदंड अपनाया जाता है। और वामपंथी विश्वविद्यालयों और बॉलीवुड में इसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

उदाहरण के रूप में भारत की तथाकथित सेक्युलर अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने 6 दिसम्बर को एक ट्वीट किया था। जिसमे उन्होंने लिखा था "चाहे जितनी लीपा पोती कर लो, भगवन का घर.. किसी के भी भगवान का घर तोड़ना पाप होता है।" यह ट्वीट उस दिन किया गया था जब बाबरी मस्जिद विध्वंस की वर्षगांठ मनाई जा रही थी। स्वरा ने अपने शब्दों से खेलना तो चाहा, मगर कहीं न कहीं अपनी भावनाओं को न छुपा सकीं।

स्वरा के ऐसे एक नहीं कई ट्वीट्स हैं जिस वजह वह विवाद एवं लाइम-लाइट दोनों में बनी रहती हैं। और ऐसा स्वरा ही नहीं देश के कई बुद्धिधारी हैं जिन्हे जोड़ने से अच्छा तोड़ने में मन लगता और वह भी सेक्युलरिज़्म के नाम पर।

पाखंड को सरल शब्दों में समझें तो ढोंगी या दिखावटी, किन्तु इसका सही उदहारण आपको राजनीतिक गलियारे में किसी न किसी रूप में दिख ही जाएगा। जहाँ एक तरफ तो वह कहते हैं कि देश के जवान देश का गौरव हैं, वहीं उन्ही से किसी और मंच पर सुना जाता है की चीन 'भारत' की सीमा में घुसपैठ कर रही है। सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत इन्ही के द्वारा माँगा गया था। और यह है राष्ट्रवाद का पाखंड।

महाभारत में भी पाखंड को रमणीय रूप से दिखाया गया है, जब दुर्योधन श्री कृष्ण के पास मदद मांगने जाते हैं तो एक भक्त के रूप में नज़र आते हैं। किन्तु जब श्री कृष्ण दुर्योधन के पास मैत्री का प्रस्ताव लेकर जाते हैं तब दुर्योधन अपने सैनिकों को श्री कृष्ण को बांधने का आदेश देता है। और यह है पाखंड। ठीक उसी तरह कुछ संगठनों या एक समुदाय को खुश करने के लिए सेक्युलरिज़्म का चोंगा ओढ़ भेदभाव पर आमादा हो जाते हैं, देशद्रोहियों को अपनी पार्टी का चेहरा बना लेते हैं। आखिर कब तक?

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