देश में युवाओं के लिए रोजगार और कौशल चुनौतियों से निपटने और बड़े पैमाने पर इनका समाधान करने के मकसद से भारत ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के साथ एक आशय के वक्तव्य (एसओआई) पर हस्ताक्षर किया है। इसके तहत खासतौर पर विशेष रूप से कमजोर आबादी पर ध्यान दिया जाएगा, जिनमें जरूरतमंद युवा, प्रवासी युवा, बाल श्रम, हिंसा, बाल विवाह और तस्करी का शिकार हुए बच्चे शामिल होंगे।
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार ने अपने मंत्रालय और यूनिसेफ के बीच एसओआई पर हस्ताक्षर के तुरंत बाद इस सहयोग की घोषणा की।
एसओआई पर श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्व चंद्रा और भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि व 'युवा' के सह-अध्यक्ष यास्मीन अली हक ने चीफ ऑफ जेनरेशन अनलिमिटेड, यूथ डेवलपमेंट एंड पार्टनरशिप, यूनिसेफ इंडिया के धुवरखा श्रीराम और 'युवा' के मुख्य परिचालन अधिकारी अभिषेक गुप्ता की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।
इस प्रयास का नेतृत्व भारत में यूनिसेफ के बहु-हितधारक गठबंधन 'युवा' द्वारा किया जाएगा, जिसे विश्व स्तर पर जेनरेशन अनलिमिटेड के रूप में जाना जाता है।
जरूरतमंद युवा, प्रवासी युवा, बाल श्रम, हिंसा, बाल विवाह और तस्करी का शिकार हुए बच्चे इस योजना के मुख्य हितधारक होंगे।(Pixabay)
साल 2019 में लॉन्च हुए 'युवा' का उद्देश्य भारत के युवाओं को बुनियादी शिक्षा से लेकर उत्पादक कार्यों की तालीम देना है, जिससे वे एक सक्रिय नागरिक के रूप में देश की सेवा कर सके।
साल 2030 तक 'युवा' का लक्ष्य दस करोड़ महत्वाकांक्षी युवाओं के समक्ष आर्थिक अवसर उपलब्ध कराना है, 20 करोड़ युवाओं को उत्पादक जीवन के लिए प्रासंगिक कौशल हासिल करने की सुविधा प्रदान करना है और 30 करोड़ युवाओं को सामाजिक परिवर्तन में सक्रिय भागीदार होने के काबिल बनाना है।
इस साझेदारी की घोषणा करते हुए गंगवार ने कहा, "हम बेहतर अवसरों के लिए एक स्थायी, दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के माध्यम से महिलाओं और कमजोर लोगों सहित भारत में सभी युवाओं के लिए रोजगार के परिणामों में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं।"(आईएएनएस-SHM)