चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर फिंगर-4 के क्षेत्रों पर अपना कब्जा करना जारी रखे हुए हैं, वहीं भारतीय सैनिकों ने झील के उत्तरी किनारे की कुछ ऊंचाइयों पर अपनी पहुंच स्थापित कर ली है। सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। एक सूत्र ने कहा, "हमारे सैनिकों ने पीएलए के कब्जे वाली पोजिशन को देखते हुए कुछ ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया है।"
सूत्र ने कहा कि भारतीय सेना एहतियात के तौर पर ऐसे स्थानों पर तैनात है।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना की टुकड़ियां, जो कि पहाड़ी युद्ध की विशेषज्ञ हैं, वह पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को संभालने में कामयाब रही है।
सूत्रों ने कहा कि अब पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर चीनी सैनिकों और वाहनों की आवाजाही दिखाई दे रही है। कुछ जगहों पर भारी-भरकम हथियारबंद सैनिक भारतीय जवानों के नजदीक ही हैं। इन चौकियों पर सेना हाई अलर्ट पर नहीं है।
भारतीय सेना ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर चीनी सैनिक भड़काऊ सैन्य कदम उठाते हैं तो उनकी सेना जवाबी कार्रवाई करेगी।
भारतीय सेना ने संभाली हुई है पैंगोंग झील पर स्थिति। (Wikimedia Commons)
भारतीय सेना ने ऐसे ऊंचाई वाले स्थानों पर कब्जा कर लिया है, जो इसे चीनी नियंत्रण के तहत आने वाले मोल्दो गैरीसन और स्पंगुर गैप पर हावी होने की अनुमति देता है। भारत और चीन दोनों इनमें से कुछ ऊंचाइयों का दावा करते हैं।
भारतीय सेना की सबसे महत्वपूर्ण ऊंचाइयों में से एक है रेचिन ला, जिसका चीनी विरोध कर रहे हैं। चीन ने भारतीय सैनिकों को पहाड़ की ऊंचाइयों से दूर करने के लिए कई प्रयास किए हैं।
भारत एलएसी के पास फिंगर-8 पर अपना दावा करता है और उसका फिंगर-4 तक कब्जा कर रहा है, लेकिन विस्तारवादी सोच रखने वाले चीन की सेना यथास्थिति बदलने के लिए फिंगर-4 पर डेरा डाले हुए है और उसने फिंगर-5 और फिंगर-8 के बीच किलेबंदी की है।
यह नया गतिरोध बिंदु बन गया है, जहां भारतीय सेना एक लाभप्रद स्थिति में है।
भारत और चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चार महीने से आमने-सामने है। कई स्तरों के संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है।(आईएएनएस)