इटली में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर आ चुकी है, पूरे देश में तीन स्तरीय प्रतिबंध व्यवस्था लागू की गयी। इटली के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान ने हाल में एक ताजा अध्ययन का परिणाम जारी किया। इसके अनुसार कोरोनावायरस पिछले साल सितंबर में इटली में फैलने लगा था, जो चीन के वुहान में हुई महामारी से काफी पहले है। रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2019 से मार्च 2020 तक 959 स्वस्थ स्वयंसेवकों ने फेफड़ों के कैंसर की जांच में भाग लिया और अपने रक्त के नमूने छोड़ दिये। महामारी फैलने के बाद शोधकतार्ओं ने इन नमूनों का परीक्षण किया। पता चला कि 959 में 111 लोग, यानी 11.6 प्रतिशत लोगों में इस साल फरवरी में कोरोना वायरस की एंटीबॉडी बन चुकी है। उनमें चार व्यक्ति पिछले साल सितंबर में संक्रमित हो चुके थे।
इस अध्ययन से जाहिर है कि कोरोनावायरस कम मृत्यु दर होने की वजह से लंबे समय से लोगों के बीच फैल सकता है। इसका मतलब नहीं कि वायरस खत्म हो रहा है, इसके विपरीत वह फिर से फैलने की संभावना है। शोधकतार्ओं ने कहा कि कोविड-19 महामारी फैलने के इतिहास को नया आकार दिया जाएगा।
ध्यान देने की बात ये है कि यह पहला अध्ययन नहीं है, जिसमें साबित हुआ है कि कोरोनावायरस आने का समय वुहान में हुई महामारी से पहले है। इससे फिर एक बार पुष्ट किया गया है कि वायरस के स्रोत की खोज एक जटिल वैज्ञानिक मुद्दा है। वैज्ञानिकों को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन और सहयोग करने की आवश्यकता है। तथ्यों से साबित है कि पश्चिमी देशों के राजनीतिज्ञों का तथाकथित वायरस चीन से पैदा होने का कथन बिलकुल गलत है।
चीन का हमेशा यह विचार रहा है कि वायरस के स्रोत की खोज एक लगातार विकास की प्रक्रिया है, जो कई देशों और कई क्षेत्रों से संबंधित है। आशा है कि विभिन्न देश सक्रिय रवैये से अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के साथ सहयोग करेंगे और पूरी दुनिया में वायरस के स्रोत की खोज करेंगे। उद्देश्य है कि संभावित जोखिम को रोका जाए और सभी लोगों की सुरक्षा व स्वास्थ्य की रक्षा की जाए। चीन लगातार कोरोना वायरस से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में भाग लेगा और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ महामारी के खिलाफ सहयोग में योगदान देगा। (साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)