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Irrfan Khan: ‘एक कलाकार जिसकी आज भी दुनिया कायल है’

NewsGram Desk

दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता इरफ़ान खान एक मंझे हुए कलाकार थे। उनकी सादगी, उनका अभिनय अमूमन ही उस पात्र या किरदार को जिवंत बना देता था। इरफ़ान उन कलाकारों में से थे जिन्होंने संघर्ष के जरिए इस दुनिया में नाम और वाह-वाही बटोरी थी। आज उनकी मृत्यु को पूरे एक साल हो गए हैं, किन्तु उनकी फिल्मों के जरिए, वह आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। आइए जानते हैं कि कैसे उन्होंने संघर्ष के जरिए सफलता को गले लगाया।

क्रिकेटर बनना चाहते थे इरफ़ान

इरफ़ान को क्रिकेट से काफी लगाव था और वह क्रिकेटर बनना चाहते थे। पड़ोस के ही स्टेडियम में क्रिकेट की प्रैक्टिस किया करते थे। उनका सिलेक्शन सीके नायडू ट्रॉफी के लिए भी हुआ था, किन्तु परिवार से उन्हें इसकी मंजूरी नहीं मिली, जिस वजह से उन्हें क्रिकेट छोड़ना पड़ा।

एक फिल्म हाथ लगी मगर बाद में निकाल दिया गया

पिता के देहांत के बाद इरफ़ान ने टायर की दुकान संभाली। किन्तु दिल्ली में एनएसडी ही उनके परिवार के आय का मुख्य जरिया था। एनएसडी की पढ़ाई भी बड़ी मुश्किल और मशक्क्त से पूरी हुई। जिसके बाद भी उनके पास काम की कमी थी। एक बार फिल्मकार मीरा नायर ने सलाम बॉम्बे के लिए उन्हें चुना किन्तु, कुछ समय बाद ही उन्हें उस फिल्म से किसी कारण से हटा दिया गया। इस पर इरफ़ान बहुत रोए थे।

पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल से पद्म श्री पुरस्कार लेते अभिनेता इरफ़ान खान।(Wikimedia Commons)

मुंबई आए और काम मिलने लगा

इसके बाद गोविन्द निहलानी जो एक फिल्म निर्देशक हैं, उन्होंने इरफ़ान को मुंबई बुला लिया और अपनी तीन टेलीफिल्म में उन्हें काम दिया। किन्तु इन कामों से इरफ़ान को कोई खास ख्याति नहीं प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने अपनी सहपाठी और मुश्किल वक्त में अटूट सहारा बनी सुतापा सिकदर से 1995 में शादी कर ली। इस बीच उन्हें काम और बड़े प्रोजेक्ट दोनों मिलने लगे। इरफ़ान खान का नाम मंझे हुए कलाकारों में लिया जाने लगा। अपनी पहली फिल्म सलाम बॉम्बे जिसमे उनका छोटा रोल था, उसके लिए उन्हें अकादमी पुरस्कार के लिए नामित किया गया।

इरफ़ान ने जिन भी किरदारों को पर्दे पर निभाया उन्हें अमर कर दिया। चाहे वह पान सिंह तोमर हो, लाइफ ऑफ़ पाई हो, मक़बूल हो या द लंचबॉक्स हो इन सभी किरदारों के लिए इरफ़ान खान के अभिनय को ही सारा श्रेय दिया जाता है।

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