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क्या लिंचिंग का शिकार मोहम्मद या खान ही होता है, हिन्दू नहीं?

Shantanoo Mishra

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत(Mohan Bhagwat) ने बड़ा बयान देते हुए लिंचिंग को हिंदुत्व(Hindutva) के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल लोग हिंदुत्व(Hindutva) के खिलाफ हैं। मोहन भागवत ने 'हिंदू-मुस्लिम एकता' शब्द को भ्रामक बताते हुए कहा कि दोनों एक हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत(Mohan Bhagwat) ने गाजियाबाद के मेवाड़ कॉलेज में रविवार को ख्वाजा इफ्तार अहमद की लिखित पुस्तक 'द मीटिंग ऑफ माइंड्स' का विमोचन करते हुए कहा, "हम एक हैं और इसका आधार हमारी मातृभूमि है। इसलिए यहां कभी झगड़ा करने की जरूरत नहीं पड़ती। हम समान पूर्वजों के वंशज हैं। हम भारत के सब लोगों का डीएनए समान है। चाहे वे किसी भी धर्म के हों।"

किन्तु संघ प्रमुख(Mohan Bhagwat) द्वारा कहे गए एकता के वचनों में कई हिन्दू संगठन त्रुटि भी निकाल रहे हैं। वह सवाल कर रहे हैं कि हिन्दुओं का डीएनए और अन्य समुदाय का डीएनए किस तरह एक समान है? संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा कही बातों से कई हिन्दू संगठन सहमत नहीं दिख रहे हैं। उनके बयान से सोशल नए विवाद और मुद्दे ने जन्म ले लिया है। जयपुर डायलॉग्स के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा कि "जयपुर डायलॉग्स पूज्य सरसंघचालक जी के कथन से पूरी तरह असहमत हैं।"

जयपुर डायलॉग्स ने एक और ट्वीट कर लिखा कि "हम कब समझेंगे कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग और परस्पर विरोधी सभ्यताएं हैं?"

आपको बता दें कि लिंचिंग की घटना केवल मुहम्मद या खान के साथ नहीं हुई है, इस अपराध का शिकार अधिकांश हिन्दू भी हुए हैं। जिसे कई लिबरल मीडिया और लिब्रलधारियों द्वारा दिखाया और बताया नहीं गया। उन्होंने केवल यह दिखाया है कि देश का एक धर्म विशेष जो तथाकथित तौर पर अल्पसंख्यक है, वह ही शिकार बना है और उसी पर सभी यातनाएं की जा रही हैं। किन्तु पालघर के वह दो साधु नहीं दिखाई देते हैं जिनकी निर्मम हत्या भीड़ द्वारा की गई थी। उन्हें 'रिंकू शर्मा' नहीं दिखाई देता, जिसे केवल हिन्दू संगठन से जुड़े रहने के लिए शांतिप्रिय समुदाय के लड़कों द्वारा मार दिया था। दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल रहे रतन लाल, इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा, हिन्दू समाज पार्टी के नेता रहे कमलेश तिवारी, साथ ही भरत यादव, ध्रुव त्यागी, अमित गौतम और ऐसे कई नाम हैं जिनकी हत्या इस शांतिप्रिय समुदाय के 'मासूम' लोगों द्वारा की गई है। किन्तु संघ प्रमुख के अभिभाषण में केवल हिन्दुओं की बात किया जाना ही हिन्दू संगठन से जुड़े लोगों की नाराजगी का कारण बना है।

आपको बता दें कि जिस हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा की गई है, उस विषय के विपरीत देश में धर्मांतरण और लव-जिहाद के मामलों का बड़े स्तर पर सामने आना अधिकांश हिन्दुओं के मन में भय और आक्रोश पैदा करता है। जिस वजह से एकता की बात तो अभी कोंसो दूर है।

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