मीडिया यह शब्द जब भी आप सुनते होंगे तो आपके मन में इसकी यही परिभाषा आती होगी जनता तक पूरी और स्पष्ट सच्चाई पहुंचाने का माध्यम। लेकिन वर्तमान में कुछ ऐसे मीडिया संस्थान हैं जो आधी सच्चाई की डिग्गी पीटकर अपने आप को बेताज बादशाह बताते हैं। उदाहरण के रूप में The Wire और NDTV जैसी संस्था। यह ऐसी मीडिया संस्थान हैं जो किसी विशेष प्रोपेगेंडा को चलाने और अपनी साम्यवादी विचारधारा को थोपने के लिए जानी जाती हैं।
आप लोग सोच रहे होंगे हम लोग इन कथित मीडिया संस्थाओं की बात क्यों कर रहे हैं दरअसल पूरा मांजरा भारत-पाकिस्तान के मैच(India vs Pakistan) के बाद शुरू हुआ। 24 अक्टूबर को भारत-पाकिस्तान(India vs Pakistan) के मैच के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाया इसके अलावा उन्होंने भारत विरोधी नारे भी लगाएं। जिसके बाद कथित तौर पर यह कहा गया कि यूपी बिहार के लड़कों ने कश्मीरी लड़कों के साथ हिंसा करी। हम लोग यह बात मानते हैं कि हिंसा किसी भी चीज का समाधान नहीं है लेकिन भारत में रहकर भारत विरोधी नारे लगाना कहां तक जायज है? वैसे भी कोई भी देशभक्त भारत विरोधी नारे कतई नहीं स्वीकार कर सकता।
खैर जब यह बात मीडिया को पता चली तो उन्होंने इसमें अपना प्रोपेगेंडा देख लिया और अपनी रिपोर्ट में क्षेत्रवाद स्थिति प्रकट करते हुए यह डालने लगे की भारत-पाकिस्तान मैच के बाद कश्मीरी छात्रों के साथ हिंसा हुई। किन्तु, जब आप इनकी पूरी रिपोर्ट पढ़ेंगे तब आपको समझ आएगा कि पूरी रिपोर्ट किसी प्रोपेगेंडा को सिद्ध कर रही है। इनकी रिपोर्ट में कहीं भी यह कारण उल्लेख नहीं किया गया कि कश्मीरी छात्रों ने देश विरोधी नारों का प्रयोग किया था जिसके कारण यूपी बिहार के छात्रों ने इनके साथ मारपीट करी। अब प्रश्न उठता है इन मीडिया संस्थानों ने मुख्य सच को क्यों छुपाया? इसका केवल एक ही मुख्य कारण था कि इनको प्रोपेगेंडा चलाना था।
24 अक्टूबर को हुए भारत-पाकिस्तान के मैच में निश्चित ही हम लोग हार गए लेकिन इसका एक हम लोग को एक लाभ भी हुआ है। दरअसल मैच के बाद हम लोगों ने उन गद्दारों को देख लिया जो खाते हिंदुस्तान का है लेकिन गुणगान पाकिस्तान का करते हैं। हम लोगों पंजाब यूनिवर्सिटी में हुई घटना से ही अंदाजा लगा सकते हैं।
पंजाब यूनिवर्सिटी जैसी घटना आगरा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में भी हुई थी जहां पर कुछ लड़कों ने पाकिस्तान की जीत में झूमने लगे थे और भारत विरोधी नारे भी लगाए थे। इसके अलावा दिल्ली एवं कश्मीर के कुछ क्षेत्रों में भी ऐसी कई घटनाएं सामने आई है जहां पर पाकिस्तान की जीत के बाद आतिशबाजी करके जश्न मनाया गया। जबकि दिल्ली में आतिशबाजी करना फिलहाल वर्जित है।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो कश्मीर पर भारत विरोधी नारे लगाने वाले लोगों पर यूएपीए एक्ट के तहत कार्यवाही का आदेश जारी हुआ है। लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी में हुई घटना पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है जबकि वही आगरा के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को निष्कासित कर उन पर कार्यवाही करी गई है।
निष्कर्ष रूप में यही कहा जा सकता है कि हमारे भारत देश के लिए दुर्भाग्य है कि हम हम लोगों को भारत में रहकर ही भारत विरोधी नारों का सामना करना पड़ता है। आप कल्पना कीजिए ऐसे और कई क्षेत्र होंगे जहां पर भारत विरोधी नारे लगाते होंगे लेकिन कोई वीडियो सामने नहीं आ पाता होगा।इस पर केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को बिना किसी राजनैतिक नजरिया देखे हुए उन लोगों पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए चाहे वह किसी भी क्षेत्र के हो।
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