"केजरीवाल जी छठी मईया माफ नहीं करेंगी" इस पंक्ति से आप लोग समझ गए होंगे की इस लेख का सार क्या है? दरअसल, वर्तमान समय में संपूर्ण उत्तर भारत में छठ पूजा धूमधाम से मनाई गई थी। लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में ऐसा संभव नहीं हो पाया। सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक यह विषय इस समय चर्चा में बना हुआ है। इसलिए आज हम इस विषय में विस्तृत रूप से बात करेंगे।
छठ पूजा उत्तर भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। छठ पूजा के अवसर पर नदियां , तालाब और जलाशयों को साफ़ किया जाता है और इनके किनारे पूजा की जाती है। यह त्यौहार नदियों को प्रदुषण मुक्त बनाने की प्रेरणा देती है। तो वहीं दूसरी ओर दिल्ली की गंगा कही जाने वाली यमुना नदी मैं स्थिति पूरी तरह से विपरीत है। यमुना नदी में इतनी गंदगी है कि वहां पर नदी के पानी की जगह दूषित झाग दिखती है। अब आप लोग ही सोचिए की, महिलाएं यमुना नदी में उतर कर भगवान सूर्य को इतने प्रदूषित जल में कैसे अर्द्ध दे सकती हैं। आपको बता दें कि पहले तो दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक स्थल में छठ पूजा मनाने की अनुमति नहीं दी, लेकिन बाद में दबाव में आकर उन्हें यह अनुमति देनी पड़ी।
जैसा कि हम लोगों ने आपको पहले ही बताया है कि दिल्ली वासी मजबूरन अपनी संस्कृति का पालन करने के लिए यमुना नदी के प्रदूषित पानी में ही छठ मना रहे थे। जिसमें कई तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही है और दिल्ली की केजरीवाल सरकार से पूछ रही है कि केंद्र सरकार ने जो पैसा आपको भेजा था यमुना को निर्मल बनाने के लिए वह कहां गया? खैर इस पर तो बात करेंगे ही लेकिन आपको बता दें कि छठ मनाने के लिए केजरीवाल सरकार ने क्या-क्या प्रबंध किए थे?
वैसे तो अरविंद केजरीवाल चुनाव आते ही अपने आप को एक बड़ा हिंदू दिखाने का प्रयास करते हैं, लेकिन वास्तविकता दिल्ली वालों ने छठ पूजा में ही देख ली है। केजरीवाल सरकार की तरफ से यमुना नदी के किनारे छठ पूजा मनाने के लिए कोई भी पंडाल की व्यवस्था नहीं की गई थी, इसकी जगह अपनी छवि को बचाने के लिए यमुना नदी में उत्पन्न हो रहे प्रदूषित झाग को छुपाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा कई कर्मचारी नियुक्त किए गए। जो लगातार झाग पर डंडा मारकर, यमुना नदी के ऊपर पानी की फुहार बरसा कर, बोट चलाकर प्रदूषित झाग को छुपाने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन इन सब से सफलता हाथ नहीं आई तो अंत में बांस एवं बल्लियों से बनी बैरिकेडिंग को लगा दिया गया जिससे थोड़ा बहुत झाग कम दिखने लगा। तो यह थी अरविंद केजरीवाल सरकार की व्यवस्था जो यूपी में कई चुनावी वादे करके आए हैं।
यह स्वीकार करने वाली बात है कि यमुना नदी के प्रदूषण बढ़ाने में सीवर लाइन के पानी और इंडस्ट्रियल पानी का योगदान है।लेकिन आप सभी को याद होगा जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कुंभ का आयोजन किया गया था तो उसमें भी गंगा नदी को प्रदूषण से बचाना एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन राज्य सरकार के सफल प्रयास ने चुनौती का सामना सफलतापूर्वक कर लिया था और गंगा को प्रदूषण से मुक्त कर निर्मल बना दिया था। इस बात से यह तो स्पष्ट होता है कि अगर किसी भी सरकार के पास इच्छाशक्ति है तो वह कोई भी कार्य कर सकती है। चाहे वह दिल्ली की केजरीवाल सरकार ही क्यों ना हो। आपको बता दें इस समय सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दिल्ली के मालिक कहे जाने वाले अरविंद केजरीवाल 2015 से कहते चले आ रहे हैं कि दिल्ली की जनता को कि मैं यमुना नदी साफ करा दूंगा और आपको डुबकी भी लगवा दूंगा लेकिन यह अभी तक दिल्ली वालों के नसीब में नहीं आया है।
आपको बता दें केंद्र सरकार की तरफ से यमुना नदी को स्वच्छ करने के लिए दिल्ली सरकार को एक अच्छी खासी रकम प्रदान कर दी गई थी इस पर भाजपा की तरफ से जल शक्ति मंत्रालय के एक पुराने पत्र को जारी किया गया है। यह पत्र केजरीवाल को लिखा गया था। इस पत्र के मुताबिक, केंद्र सरकार ने दिल्ली को यमुना की सफाई के लिए 2,419 करोड़ रुपए जारी किए थे। भाजपा का कहना है कि सफाई की तो बात ही छोड़िए, यमुना पहले से ज्यादा गंदी हो गई है। भाजपा ने पूछा कि ये पैसा कहां गया। क्या अरविंद केजरीवाल ने इस पैसे को विज्ञापन में खर्च कर दिया?
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अनन्त: यही कहा जा सकता है कि अगर केंद्र सरकार का पैसा यमुना नदी की सफाई के लिए भेजा गया था तो दिल्ली सरकार को इसके लिए कार्य करना चाहिए क्योंकि यमुना नदी हिंदुओं के लिए आस्था का प्रतीक है। वैसे इस पर एक प्रश्न भी उठता है कि अगर पैसा भेजा गया तो कहां गया भाजपा की तरफ से कहा गया कि यह पैसा अरविंद केजरीवाल ने अपने प्रचार में लगा दिया। वैसे भी आजकल टेलीविजन खास तौर पर न्यूज़ चैनलों के ऐड में एक ही आवाज सुनाई देती है "मैं अरविंद केजरीवाल बोल रहा हूं"। जो कि कई प्रश्न खड़े करता है?
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