इस साल देश में हिरासत(police custody)में कुल 151 मौतें हुई हैं। केंद्र ने लोकसभा(Loksabha) में मंगलवार को यह जानकारी दी। बीजेपी सांसद वरुण गांधी के सवाल का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय(Nityanand Rai)ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के मुताबिक 15 नवंबर तक पुलिस हिरासत में मौत के 151 मामले दर्ज किए गए हैं।
महाराष्ट्र में पुलिस हिरासत(police custody) में सबसे अधिक (26) मौतें हुईं हैं, उसके बाद गुजरात (21) और बिहार (18) का स्थान रहा है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पुलिस हिरासत में 11-11 लोगों की मौत की खबर है।
संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं। राय(Nityanand Rai) ने कहा, "यह प्राथमिक रूप से संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पुलिस अत्याचारों की घटना को उचित रूप से रोके तथा सुनिश्चित करे और साथ ही नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करे।"
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Twitter)
यह रेखांकित करते हुए कि हिरासत में मौत या राज्य पुलिस और जेल अधिकारियों से जुड़े उल्लंघन भी राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, उन्होंने कहा(Nityanand Rai), "इसे देखते हुए, केंद्र सरकार हिरासत में होने वाली मौतों के मामलों में सीधे हस्तक्षेप नहीं करती है। केंद्र ने परामर्श जारी किया और एनएचआरसी ने हिरासत में होने वाली मौतों के सभी मामलों में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पालन किए जाने वाले दिशा-निर्देश और सिफारिशें जारी की हैं।" इसके अलावा, मानवाधिकारों की बेहतर सुरक्षा और विशेष रूप से हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकारों में अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए एनएचआरसी द्वारा समय-समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित किए जाते हैं।
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हिरासत की मौत के मामलों में जहां एक तरफ लगातार भाजपा शासित उत्तर प्रदेश विपक्ष के निशाने पर रहा है, वहीं मंगलवार को संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार के द्वारा दिए गए जवाब के बाद विपक्ष खुद ही घिर गया है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन वाले महाराष्ट्र में ऐसे सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं।
input : आईएएनएस ; Edited by Lakshya Gupta