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मुस्लिम ब्रदरहुड ने बनाया भारत को निशाना

NewsGram Desk

मुस्लिम ब्रदरहुड सबसे पुराने इस्लामिक संगठनों में से एक है। कट्टरपंथी इस्लामीक विचारधारा वाला यह संगठन 1928 में मिस्र से निकला था। इसका आरंभ हसन अल बन्ना ने किया था। मिस्र समेत यह 27 देशों में यह संगठन सक्रिय है। इसे आतंकी संगठन भी माना जाता है। इस संगठन के 10 लाख से भी ज्यादा लोग इस संगठन से जुड़े हुए है। लगभग 6 देशों ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगा रखा है। इस संगठन का मकसद इस्लाम पर आधारित समाज बनाना है। ब्रदर हुड का मोटो "इस्लाम ही समाधान है"

मुस्लिम ब्रदरहुड के मदद से कतर-तुर्की-पाकिस्तान (क्यू टीपीआई) गठजोड़ कर इस्लामवादियों के लिए एक नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। डिसइन्फोलैब की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि "फर्जी खबरों और दो मीडिया हथियारों, अल जज़ीरा और टीआरटी वर्ल्ड से लैस एमबी ने नई दिल्ली के आर्थिक हितों को लक्षित करने सहित भारत के खिलाफ एक मुहिम शुरू किया है।"

कुछ दिन पहले ही ट्विटर पर एक हैशटैग बॉयकॉट इंडिया प्रोडक्ट्स शुरू किया गया था और तब से यह चल रहा है। जब की इस कड़ी में एक रंग देने की कोशिश करी जा रही है। कहा जा रहा है कि यह असम में दुर्भाग्यपूर्ण घटना से शुरू हुआ था। जो निंदनीय था। नवीनतम ट्विटर प्रवृत्ति काफी हद तक दारांग में एक निष्कासन अभियान के दौरान असम पुलिस की गोलीबारी से संबंधित थी, जिसमें कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। फायरिंग का वीडियो वायरल हो गया था।

कट्टरपंथी इस्लामीक विचारधारा वाला मुस्लिम ब्रदरहुड प्रतिबंधित संगठन है (Wikimedia commons)

डिसइन्फोलैब की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में इसकी शुरुआत की गई थी और तब से यह समय समय पर चालू किया जाता रहा है। यह पहली बार नहीं जब इस प्रकार के ट्रेंड का प्रयास किया जा रहा है। इसका लक्ष्य से धीरे-धीरे आगे बढ़ाने का है। जैसा कि अपेक्षित था, की एक घटना इसे सही साबित नहीं कर सकती इसीलिए उन्होंने फर्जी खबरों का मीडिया द्वारा प्रचार किया। जिनमें से काफी एजेंडे पाकिस्तान और तरकी द्वारा चलाए जा रहे हैं जबकि इस प्रवृत्ति की उत्पत्ति मिस्र में हुई दिखाई पढ़ती है। विशेष रूप से इस बार, कई समाचार लेखों ने भी इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है, यद्यपि उनकी अपनी शैली में, अल जज़ीरा सहित ज्यादातर एमबी से जुड़े हुए हैं।

कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना कहावत इस परिस्थिति पर सही बैठता है। असल लक्ष भारत नहीं सऊदी अरब है। यह मुहिम अनिवार्य रूप से भारत के साथ अच्छे संबंध रखने के लिए सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात और विशेष रूप से क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को लक्षित कर रहा है। यह एक बार का अभियान नहीं है और क्यूटीपीआई नेक्सस सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात को निशाना बना रहा है, इस्लामी दुनिया के नेता होने के उनके अधिकार पर सवाल उठा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के अलावा इस अभियान ने फ्रांस को भी निशाना बनाया है और फ्रांसीसी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया है। यह सिर्फ भू-रणनीतिक कदम नहीं है। इसके पीछे एक ठोस आर्थिक तर्क है। तुर्की वार्षिक हलाल प्रदर्शनी की मेजबानी करता है, जो इस मामले पर खुद को प्रमुख मध्यस्थ के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। इस गठजोड़ से जो आर्थिक शक्ति पैदा हो रही है उसका प्रभाव ना केवल मुस्लिम दुनिया पर अपितु पूरी दुनिया पर पड़ेगा

Input: आईएएनएस; Edited By: Tanu Chauhan

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