राष्ट्रीय राजधानी में किन्नरों (Transgender) के लिए एक अच्छी खबर है। यह खबर 'देर आयद, दुरुस्त आयद' वाली कहावत को चरितार्थ करती प्रतीत हो रही है। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी-NDMC) ने विशेष रूप से, किन्नरों (Transgender) के लिए टॉयलेट बनाने का निर्णय लिया है। NDMC ने 2021-2022 के लिए अपने वार्षिक बजट में किन्नरों के लिए विशेष रूप से शौचालयों का निर्माण करने का प्रस्ताव दिया है।
इस प्रोजेक्ट से जुड़े एनडीएमसी (NDMC) के एक वरिष्ठ अधिकरी एचपी सिंह ने आईएएनएस को बताया कि दिल्ली के किन्नर लंबे समय से इस बात की मांग कर रहे हैं कि भीड़-भाड़ वाले इलाकों एवं अधिक व्यस्त रहने वाले बाजारों में विशेष रूप से उनके लिए शौचालय बनवाए जाएं। उनकी मांग पर गंभीरता से विचार करते हुए एनडीएमसी (NDMC) ने शास्त्री भवन के पास विशेष तौर पर उनके लिए एक शौचालय का निर्माण कराया है।
सिंह ने बताया कि शास्त्री भवन के पास बने शौचालय का फिलहाल इस्तेमाल नहीं हा रहा है। हम एनडीएमसी एरिया में इस तरह के और शौचालय बनाने के उद्देश्य से स्थान का पता लगाने में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि किन्नर चाहें तो आमजन के लिए बने सुलभ शौचालयों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश विभिन्न कारणों से इनका इस्तेमाल करने में झिझकते हैं। हमें उनकी इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए।
किन्नरों को एक्सक्लूसिव टॉयलेट की सुविधा प्रदान करने वाला देश का पहला शहर मैसुर था। (Wikimedia Commons)
गौरतलब है कि पहाड़गंज, दरियागंज, बुराड़ी, शास्त्री पार्क, सुभाष पार्क, लक्ष्मी नगर जैसे इलाकों में किन्नर बड़ी संख्या में, दशकों से रह रहे हैं। लेकिन, राजधानी में अब तक किसी भी सरकारी संस्था ने विशेष रूप से किन्नरों के लिए शौचालय का निर्माण नहीं कराया। देश की राजधानी होने के बावजूद दिल्ली में किन्नरों के लिए अब तक कोई शौचालय नहीं बन पाया है। शास्त्री भवन के पास निर्माणाधीन टॉयलेट राजधानी में खास तौर पर किन्नरों के लिए पहला एक्सक्लूसिव टॉयलेट होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में ट्रांसजेंडरों (Transgender) को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दी थी। साथ ही केंद्र व राज्यों को किन्नरों के लिए अन्य सुविधाओं के साथ-साथ अलग शौचालय भी बनाने का निर्देश दिया था। किन्नरों को एक्सक्लूसिव टॉयलेट की सुविधा प्रदान करने वाला देश का पहला शहर मैसुरु था। इसके बाद भोपाल में 2018 में किन्नरों के लिए टॉयलेट का निर्माण कराया गया। इसके बाद कई राज्य सरकारों ने उनके लिए टॉयलेट बनाने का काम शुरू किया। (आईएएनएस)