गणतंत्र दिवस परेड अपने में ही एक खास अनुभव होता है। भारतीय सेना के जवान, सेना में उपयोग किए जाने वाले सभी आधुनिक उपकरण एवं एनसीसी के छात्र, राजपथ पर भारत का गौरव एवं शौर्य गीत को गाते एक धुन में चलते हैं। हर साल दर्शकों की या तो नज़र राजपथ पर रहती है या फिर आसमान में शौर्य ध्वनि पैदा कर रहे लड़ाकू विमानों पर। किन्तु इस साल के गणतंत्र दिवस पर कुछ ऐसा भी देखा जाएगा जिससे आपका सीना गर्व से 56 इंच का हो जाएगा।
वैसे तो कई झांकियां राजपथ पर अलग-अलग प्रदेशों के प्रख्यात कला को लोगों के समक्ष प्रस्तुत करती है। किन्तु 2021 में उत्तर-प्रदेश की झांकी शायद पूरे राष्ट्र के भावनाओं को राष्ट्र एवं दुनिया के समक्ष रखेगी। क्योंकि श्री राम स्वयं राजपथ पर पधारेंगे। जी हाँ! श्री राम मंदिर की भव्यता और महिमा को राष्ट्र के समक्ष झांकी के रूप में राजपथ पर दिखाया जाएगा। राज्य के सूचना विभाग द्वारा गणतंत्र दिवस परेड के लिए अयोध्या के राम मंदिर की झांकी खास तौर पर तैयार की जा रही है।
इस झांकी का शीर्षक होगा 'अयोध्या: उत्तर प्रदेश का सांस्कृतिक विरासत'। साथ ही अयोध्या और विभिन्न देशों में भगवान राम से संबंधित संस्कृति, परंपरा और कला को भी चित्रित किया जाएगा। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार भी पूरी दुनिया में अयोध्या को धार्मिक पर्यटन का मुख्य केंद्र बनाना चाहती है। जिस के लिए अयोध्या राम मंदिर देश भर के राम भक्तों के लिए अलग मायने रखता है।
राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल। (Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra, Twitter)
आपको ज्ञात होगा कि 9 नवम्बर 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायलय ने श्री राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाया था। और इसी साल 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री ने अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया था। जिस वजह से यह झांकी और भी अहम भूमिका में राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत होगी।
किन्तु हमे यह भी नहीं भूलना चाहिए कि 2014 के गणतंत्र दिवस परेड में टीपू सुल्तान की झांकी दिखाई गई थी। यह झांकी कर्नाटक राज्य का नेतृत्व कर रही थी। जिस पर काफी विवाद भी हुआ था। क्योंकि टीपू सुल्तान को न केवल लाखों बेगुनाहों का हत्यारा माना जाता है बल्कि उसके क्रूरता के किस्से देश एवं विदेशों में प्रख्यात हैं। टीपू सुल्तान ही वह राजा था जिसने कई मंदिर और मठों को तुड़वा दिया था।
बरहाल, समय बदला है देश की सोच भी। और श्री राम मंदिर झांकी प्रदर्शन का निर्णय भी तब लिया गया है जब 5 दिन पहले 6 दिसम्बर को ही बाबरी मस्जिद विध्वंस की वर्षगांठ मनाई गई।
(स्रोत- आईएएनएस)