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राम वनगमन मार्ग को मिलेगी रामायण कालीन वृक्षों की छांव

NewsGram Desk

राम वनगमन मार्ग को मिलेगी रामायण कालीन वृक्षों की छांव। बेला और चमेली से महकेगा पूरा रास्ता। जगह जगह लगने वाले कदम,रसाल,अशोक,पारिजात,और जामुन आदि के वन त्रेतायुग के परिवेश को पूरी तरह जीवंत करेंगे। इनके पौधों का रोपण वैदिक रीति से होगा।

मालूम हो कि वनवास होने पर भगवान श्रीराम जिस रास्ते से गुजरे थे, उसे पौराणिक ग्रन्थों में राम वनगमन मार्ग के नाम से जाना जाता है। महर्षि बाल्मीकि (Maharishi Valmiki) द्वारा रचित रामायण में अयोध्या और इस मार्ग पर 88 वृक्ष प्रजातियों का वर्णन मिलता है। मुख्यमंत्री की मंशा राम वनगमन मार्ग और उसके अगल-बगल पड़ने वाले ग्राम सभाओं में इसी प्रजाति के वृक्ष और वन लगाने की है। इसमें वृक्षों के अलावा झाड़ियां और घास भी शामिल हैं। इस वर्ष कुल मिलाकर 27,720 पौधों के रोपण किया जाना है।

वन जाते समय भगवान श्रीराम ने तमसा नदी के किनारे पहली रात गुजारी थी। इस जगह को रामचौरा (गौराघाट) के नाम से भी जाना जाता है। अयोध्या वन प्रभाग द्वारा इस स्थान पर इस वर्ष 200 ब्रिकगार्ड बनाए गए हैं। इनमें वैदिक रीति से पौधरोपण कराया जायेगा। इसी तरह बिसुही नदी के किनारे गक्रिजा माता के मंदिर वहां भी इसी तरह पौधरोपण होना है। बिसुही नदी को पार करने के पूर्व इस मंदिर में भी भगवान श्री राम ने पूजा अर्चना की थी। इसके अलावा राम वनगमन मार्ग पर पडने वाले धार्मिक स्थलों पर भी पौधरोपण होना है। राम वनगमन मार्ग के आसपास की ग्राम सभाओं में भी इस सीजन में 27 हजार पौधे रोपित किये जाएंगे।

वन संरक्षक अयोध्या मंडल अनुरूद्घ पांडेय का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी की मंशा के अनुरूप राम वनगमन मार्ग में रामयणकालीन वृक्षों का रोपण होना है। (सांकेतिक चित्र, Pixabay)

ग्राम समाज वृक्षारोपणों में स्थल के अनुरूप अलग-अलग प्रजातियों (वृक्ष समूहों) के वन तैयार किये जाएंगे जैसे कदम्ब वन, रसाल वन, अशोक वन, पारिजात वन, जामुन के वन आदि। प्रत्येक स्थल पर रोपण की शुरूआत वैदिक रीति से करायी जायेगी तथा जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में उनके द्वारा करवायी जायेगी। रोपण में जन भागीदारी भी रहेगी। समस्त कार्यवाहियों के फोटोग्राफ रोपण कार्य के पूर्व रोपण कार्य के मध्य व रोपण समाप्ति पर संकलित किये जाएंगे।

इसमें अशोक, साल, आम, परिजात (कल्पवृक्ष), बरगद, चंदन, देवदारू, चंपा , नागकेसर , पुंनाग , महुआ , कटहल , असन , लोध , कदंब , अर्जुन , अक छितवन , अतिमुक्तक , मंदार , प्रियंगु , केश बकुल , जामुन , अनार , कोविदार जन (कचनार) , बेल , खैर , पलाश , बहेड़ा , पीपल , इंगुदी , शीशम, करीर ( करौंदा) , बज्जुल (बेंत), तिलक , ताड़ , तमाल , आंवला , मालती (चमेली) , कुश, गे, सरकंडा, नीम, मल्लिका (बेला), सुपारी, बांस, चिरौंजी, धवक (बाकली) , अंकोल, तेंदू, रीठा, वरण, तिनिश, बेर, धामन, भोजपत्र, कचनार, भिलावा, खस, सलई, नीवार, चिलबिल, केवडा, बड़हल, गर्जन, शमी, पाटल, कुंद, कनेर, करज्ज, बिजौरा, लिसोडा, कतक, सिदुवार, कुरंट, सेमल, मुचकुंद, सिरस, हिताल, सर्ज, चीड़, अमलतास, कुटज, बंधु जीव, पद्मक, रंजक व खजूर, रक्तचंदन, अगर, नारियल आदि शामिल किए जाएंगे।

वन संरक्षक अयोध्या मंडल अनुरूद्घ पांडेय का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी की मंशा के अनुरूप राम वनगमन मार्ग में रामयणकालीन वृक्षों का रोपण होना है। पौधों की सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया जाएगा। जरूरत के हिसाब से ब्रिकगार्ड लगाए जाएंगे। बांकी जगह ग्राम प्रधानों की जमीन की उपलब्धता के अनुसार अलग-अलग प्रजाति के वन लगाएं जाएंगे। (आईएएनएस-SM)

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