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“संघी टाइप्स” यह उदारवादियों की किस तरह की मानसिकता को उजागर करता है?

Swati Mishra

9 जून को, सोशल मीडिया प्रभावितों के बीच क्लब हाउस की बातचीत का एक ऑडियो सामने आया है। जिसके बाद इस ऑडियो ने ट्विटर पर फिर एक बार लिबरलधारियों को एक्टिव कर दिया है। इस ऑडियो में एक स्पीकर ने अपनी असहिष्णुता का परिचय देते हुए "संघी" (Sanghi types) लगों को "हॉट" कहा और उनके साथ 'हेट सेक्स' यानी ऐसे यौन संबंध बनाने की बात कर रहे हैं, जिसमें विचारों के आधार पर आप एक दूसरे से नफ़रत करते हैं। लेकिन सेक्स करते हैं। इसे "जबरन सेक्स" के रूप में भी समझा जा सकता है। जो एक तरह का क्राइम भी माना जाता है। 

इस ऑडियो को टविटर पर शेयर करने वाले स्क्वीनॉन ने इसे "सेक्स जिहाद" बताया है और कमरे के सदस्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। 

पूरा मुद्दा क्या है? 

इस क्लब हाउस के एक रूम या ग्रुप का नाम है "सेक्स विद योर एक्स"। बातचीत के दौरान उनमें से ही किसी ने पूछा कि "Do You Only Date Hot People" (क्या आप केवल हॉट लोगों के साथ डेट करना पसंद करते हैं?) तो उसी रूम में मौजूद एक स्पीकर नीरज कदुंबर (Neeraj Kadamboor) से जब यह सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था "वैसे तो मैं सभी के साथ डेट कर लेता हूं, पर डेटिंग ऐप्स पर मुझे कभी – कभी "संघी टाइप" (Sanghi Types) के लोगों ने साथ डेट करना पसंद है। नीरज ने आगे कहा कि यह "पेपर बैग सेक्स" (जहां साथी का चेहरा कवर कर दिया जाता है और फिर सेक्स किया जाता है) की तरह है।

"संघी टाइप" लोगों से आप क्या समझते हैं? असल में संघी कौन होते हैं? 

संघी मुख्य रूप से वह लोग होते हैं, जो किसी भी संघ या समूह से संबधित होते है। जैसे हम कांग्रेस संघी बोलते हैं या बीजेपी संघी बोलते हैं। क्योंकि वह व्यक्ति उस पार्टी से संबद्ध रखता है। आज कल इसका भी रूप बदल गया है। आज संघी उन लोगों को माना जाता है, जो हिन्दू धर्म (Hindu religion) और उसकी मान्यताओं के पक्ष में हो। जैसे: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ। और संघी उन्हें भी कहा जाता है, जो भाजपा का समर्थन करता हो। संघी कोई भी हो सकता है चाहे महिला हो या पुरुष। 

हमारे समाज में खुद को लिबरल कहने वाले लोग ही असल में हिन्दू धर्म के सबसे बड़े विरोधी हैं। हिन्दू धर्म और उससे संबंधित लोगों से घृणा करते हैं। उसी सोच से पीड़ित ये तथाकथित लिबरल 'हॉट संघीस' को डेट करना, उनके साथ टाइम पास करना पसंद करते हैं। हालांकि जैसे ही इस ऑडियो ने ट्विटर पर अपना उफान मचाना शुरू किया तो कुछ लोग तुरंत मसीहा बन इस बात को सही ठहराने से बिल्कुल भी नहीं चुके।

ऐसी कई और भी मुद्दे हैं जिन्हें दबा दिया जाता है। जहां लोग "मजे" लेते हैं और एक आवाज तक नहीं उठती है। (Pexels)

इंडिया टुडे की पूर्व पत्रकार सुब्रमण्यम कपिला (Aishwarya Subramanyam) जैसे अन्य लोग सोशल मीडिया प्रभावितों के साथ क्लब हाउस की बातचीत का हिस्सा थीं। उन्होंने उदारवादियों की इस तुच्छ मानसिकता को उचित ठहराते हुए कहा कि, नीरज की कल्पना में यह ठीक है, क्योंकि वह समलैंगिक (Gay) है और वह संघी 'पुरुषों' को बोल रहा था न कि 'महिलाओं' को। 

हमारे देश में करोड़ों लोग डेटिंग ऐप्स पर बातचीत करते हैं। सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। गंभीर मुद्दों पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। और इन सब के बीच तुच्छ मानसिकता वाले लोग अपनी घृणित टिप्पणियाँ करने से, महिलाओं का मजाक उड़ाने से पीछे नहीं हटते हैं। स्पष्ट रूप से या अस्पष्ट रूप से दोनों ही तरीकों से मजाक बनाया जाता है। ऐसे में नीरज कदुंबर की बात को सिर्फ इसलिए दरकिनार कर दिया जाए की वह "संघी पुरुषों" की बात कर रहा था, संघी महिलाओं की नहीं। तो यह ग़लत है! 

इस तरह की सोच ही समाज के लिए खतरनाक है। इसके अतिरिक्त इस "संघी टाइप्स" लोगों से एक और मानसिकता निकल कर सामने आती है। वह है "हिन्दू धर्म विरोधी" हम आपको पहले बता चुके हैं कि संघी कौन लोग होते हैं। इन तथाकथित लिबरलधारियों में हिन्दू धर्म के प्रति इतनी कुंठा किस प्रकार है? आखिर क्यों वह इस तरह की मानसिकता से पीड़ित हैं? बहरहाल ऐसी कई और भी मुद्दे हैं जिन्हें दबा दिया जाता है। जहां लोग "मजे" लेते हैं और एक आवाज तक नहीं उठती है। 

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