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‘धर्मांतरण’ की भेंट चढ़ रहे हैं पंजाब के सिख एवं हिन्दू, गुप्त ढंग से चल रहा है गोरख धंधा!

Shantanoo Mishra

भारत के उत्तर पूर्व और दक्षिण भागों में ईसाईकरण(Conversion to Christianity) के बाद धर्मांतरणकारियों ने उत्तर को अपना निशाना बनाया हुआ है। देश में इस्लाम धर्म के बाद ईसाई धर्म भी उत्तर भारत में बे-लगाम अपने पैरों को पसार रहा है। साथ ही यह धर्मांतरणकारी कुछ ऐसे घिनौने कृत्य कर आम लोगों को आकर्षित कर रहे हैं जिसे जानकर आप भी दंग रह जाएंगे, और यह भी समझ जाएंगे कि धर्मांतरण(Conversion to Christianity) के इस काले खेल में कितने खिलाड़ी अपनी दुकान चला रहे हैं। आपको बता दें कि पंजाब राज्य को इन धर्मांतरणकारियों ने अपना हॉट-स्पॉट बना लिया है इसके साथ यह भी अनुमान है कि अब तक धर्मांतरण(Conversion to Christianity) के कारण केवल इस राज्य में ईसाई जनसंख्या में दस गुना वृद्धि हुई है।

जहाँ इनकी प्रार्थना सभा, वहाँ ढोंग ही ढोंग!

आपको सोशल मीडिया और यूट्यूब पर ऐसे कई ढोंगी पादरियों और मिशनरी दिखाई दे जाएंगे जो प्रार्थना सभा के नाम पर अन्धविश्वास एवं ढोंग को बढ़ावा दे रहे हैं साथ ही धर्मांतरण(Conversion to Christianity) को धड़ल्ले से अंजाम देते हैं। सभा में दिखाया जाता है कि पादरी ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज चमत्कार से कर दिया। इनके कलाकार भूत-बाधा से ग्रसित जिस प्रकार से अभिनय करते हैं उससे आपकी भी हंसी रुक नहीं पाएगी। यूट्यूब पर एक वीडियो ऐसा भी है जिसमें एक पादरी मृत बच्चे को 'चमत्कार' से जीवित कर रहा है। इन चमत्कारों से यह उन लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं जो आर्थिक से कमजोर हैं, दुःख की बात यह कि इस ढोंग को देखकर लोग धर्मांतरण(Conversion to Christianity) के लिए तैयार हो जाते हैं।

इसी दौरान हमारी नजर एक इंटरव्यू पर पड़ी जिसमें एक व्यक्ति जो पंजाब(Punjab) का ही रहने वाला है, यह कहता सुनाई दे रहा है कि जब उसे एक जानलेवा ने जकड़ा था उस समय चिकित्सकों ने उसे इलाज जारी रखने के लिए कहा था, किन्तु एक 'पादरी' ने उस व्यक्ति से इलाज न करवाने के लिए और रोजाना चर्च आने के लिए कहा, साथ ही यह भी कहा कि इससे तुम्हारी बीमारी ठीक हो जाएगी। वह व्यक्ति समझदार निकला, वह चर्च भी जाता रहा और इलाज भी जारी रखा जिस वजह से उसकी जान बच पाई। वहीं दूसरी घटना आपको हैरान कर सकती है, यह घटना भी पंजाब की ही है जिसमें एक महिला जो कैंसर जैसे जानलेवा बीमारी से ग्रस्त थी, वह पादरियों के चंगुल में फंस गईं और इलाज करवाना छोड़ दिया जिस वजह से 1 साल बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। अब आप सोचिए कि किस तरह मिशनरियों द्वारा प्रचारित किया जाने वाला ढोंग एवं पाखंड लोगों की जान लेने पर उतारू है, और न जाने इस वजह से कितने ही लोगों को अन्धविश्वास पर विश्वास कर अपनी जान से हाथ धो बैठना पड़ा होगा।

गुप्त ढंग से चल रहा है धर्मांतरण का काला खेल!

धर्मांतरण को अंजाम देने वाले पादरी और मिशनरियों ने नया और गुप्त तरीका अपनाया है, जिससे यह भी नहीं ज्ञात होता है कि धर्मांतरण करने वाला व्यक्ति ईसाई है या सिख। वह इसलिए क्योंकि यह सभी लोग धर्मांतरण के पश्चात अपना नाम या उपनाम नहीं बदलते हैं। जिस वजह से यह आम जन के बीच बड़ी चालाकी से ईसाई धर्म का बखान करते हैं, और यह बखान सुनने वाले यह है समझते हैं कि यह हमारे धर्म से सम्बन्ध रखता, इसलिए उसकी बात सत्य होगी और यही षड्यंत्र इन मिशनरियों के काम आ रही है। सबसे बड़ा उदाहरण है पादरी अंकुर नरूला का जिसका नाम हिन्दू या सिख लगता है, किन्तु यह पादरी पंजाब में धर्मांतरण के काले धंधे का एक बड़ा मोहरा है। इसके ही प्रार्थना सभाओं में पैसों पर आए कलाकार उलजुलूल बर्ताव करते हैं और यह अंकित नरूला उन सबके सामने खुद को भगवान बताता है। मजिंदर सिंह, खुद को प्रोफेट या नबी बताने वाला यह व्यक्ति बलात्कार के मामले में बेल पर बाहर घूम रहा है। इसका भी नाम अब तक सिख धर्म से जुड़ा हुआ है। ऐसे कई और लोग भी हैं जिन्होंने अपना धर्मांतरण करवाया है लेकिन अपना नाम नहीं बदला है। जिस वजह से धर्मांतरित ईसाई को पहचानने में कठिनाई आती है।

वीजा और वेतन का लालच!

पंजाब वह राज्य है जहाँ अधिकांश युवा विदेशों में नौकरी या पढ़ाई के लिए आवेदन करते हैं और इसी का फायदा अब यहाँ मिशनरी युवाओं को भटकाने के लिए कर रहे हैं। उन्हें वीजा और विदेशी नौकरी का लालच दिया जा रहा है और इसी लालच का शिकार बनकर युवा ईसाई धर्म अपना रहे हैं। आपको बता दें कि बीते कुछ वर्षों में पंजाब में ईसाई जनसंख्या में 10 गुना वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा अनाधिकारिक है किन्तु, ऐसे कई नेता हैं जो इस बात का खुलासा कर चुके हैं। न तो इस विषय पर प्रशासन द्वारा सुध लिया जा रहा है और न ही कोई कानून लाया गया है। पंजाब सरकार पर ईसाई मिशनरियों को संरक्षण देने का आरोप भी लगता आया है। कई बार देखा गया है कि सरकार भी इनके प्रचार का हिस्सा बन रही है और इसके पीछे राजनीतिक लाभ ढूंढती है।

किन्हें निशाना बनाया जा रहा है?

अधिकांश समय मीडिया खबरों से हमें यह ज्ञात होता है कि धर्मांतरित किए गए लोग पिछड़े वर्ग से हैं। इन धर्मांतरणकारियों के निशाने पर सदा से पिछड़ा वर्ग मुख्य केंद्र रहा है। वह इसलिए क्योंकि इन्हें समाज में आदर न मिलने के नाम पर भड़काया जाता है और फिर इन्हें धर्मांतरण के लिए उकसाया जाता है। आपको बता दें कि पंजाब में भी 32% जनसंख्या पिछड़ा वर्ग से संबंध रखता है, जिनको यह धर्मांतरणकारी निशाना बनाते हैं। इन सबके साथ ईसाई धर्म की एक बात ध्यान रखने वाली है कि इस धर्म में भी ऊँची और नीची जाति का चलन है और उनके साथ भी धर्मांतरण के पश्चात वही व्यवहार किया जाता है जैसा उनके साथ शायद पहले न होता हो। 'दलित ईसाई' इसी नाम से पिछड़ा वर्ग जाना जाता है और भेदभाव का शिकार होता है।

इन धर्मांतरणकारियों को विदेशों से पैसे और निर्देश मिलते हैं और इसी वजह से यह सवाल भी उठ रहा है कि पंजाब के जालंधर शहर में विश्व का चौथा सबसे बड़ा कहा जाने वाला चर्च इन्हीं पैसों से बन रहा है।

कौन उठा रहा है इनके खिलाफ आवाज?

धर्मांतरण का शिकार देश भर के हिन्दू एवं अल्पसंख्यक नागरिकों को बनाया जा रहा है, साथ ही पंजाब इनका निशाना है सिख एवं हिन्दू। लेकिन इस मुद्दे पर सभी लिब्रलधारी मीडिया अपना मुँह कीचड़ से ढक लेते हैं, जिस वजह से न तो इन्हें कुछ दिखाई देता है और न ही कुछ सुनाई। मगर ऐसे कई राष्ट्रवादी संगठन और व्यक्ति हैं जिन्होंने इनके खिलाफ आवाज बुलंद किया है। @noconversion नामक ट्विटर अकाउंट कई लोगों को इस धर्मांतरण के काले धंधे के विषय में सचेत कर रहा है। इस अकाउंट पर ऐसे कई पाखंडियों की पोल-खोल वीडियो मौजूद है जो स्वयं को भगवान से कम नहीं समझते और धर्मांतरण का प्रचार-प्रसार करते हैं।

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