भारत मे कोरोना के नए मामले तेजी से फैल रहे हैं। स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से सम्बंधित जानकारी साझा की है। गर्भवती महिलाएं कैसे स्वयं के साथ साथ अपने अपने बच्चों को सुरक्षित रखें इस विषय पर डॉक्टरों ने कई सुझाव दिए हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ( केजीएमयू ) की स्त्री एवं प्रसूता रोग विशेषज्ञ डॉ.सुजाता देव का कहना है की कोरोना का नया वैरियंट तेजी से फैल रहा है लेकिन यह उतना घातक नही है। उन्होंने कहा कि कोरोना के पहली एवं दुसरी लहर के बाद गर्भवती महिलाओं में जागरूकता बढ़ी है। कोरोना के बढ़ते मामले के बीच गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगाने का मुहिम जारी है। वैक्सीनेशन से गर्भवती महिलाओं को एक बड़ा सुरक्षा कवच मिला है औऱ आगे उन्होंने कहा कि नवजात के लिए माँ के दूध से कोविड के फैलने का कोई खतरा नही है।
वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. तृप्ति दुबे जो कि अपोलो हॉस्पिटल नवी मुंबई में कार्यरत है उन्होंने एक सवाल "कोविड के लक्षण है तो क्या करें" पर जवाब देते हुए कहा कि दूध पिलाने वाली मां के अलावा हर किसी को इस बात का गाँठ बांध लेना चाहिए कि संक्रमण सिर्फ ड्राप्लेट (मुंह और नाक से सांस लेने,खांसने,छीकने या थूकने के दौरान निकलने वाली छोटी-छोटी बूंदें ) से फैलता है। माँ के दूध से बच्चों में संक्रमण का खतरा महज एक अपवाद है।
कोरोना की पहली एवं दूसरी लहर के बाद टीकारण के प्रति गर्भवती महिलाओं में जागरूकता बढ़ी है ( Pixabay )
उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि महिलाएं जो संक्रमित है और जिस कमरे में वह आइसोलेट हैं उस कमरे से अपने बच्चे को हर सम्भव अलग रखने की कोशिश करें। उन्होंने बताया कि अपने कमरे में ब्रेस्ट पंप से दूध निकालकर जो उनके बच्चे की देखभाल कर रहे उसको बच्चे को पिलाने के लिए दें। उन्होंने बताया कि दूध निकालने से पहले ब्रेस्ट पंप को बेहतर तरीके से सैनिटाइज जरूर करें।उन्होंने कहा यदि किसी महिला में संक्रमण का कोई लक्षण नही है तो कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अपने बच्चों को अपने साथ रख सकती है। कोविड नियमों का पालन करते हुए अपने बच्चे को खुद से दो मीटर की दूरी पर रखें और हर बार दूध पिलाने से पहले अपने हाथ जरूर धुलें। हर समय सही ढंग से मास्क लगाकर रखें। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने भी इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि कोरोना के दौरान भी महिलाओं को बच्चों को दूध पिलाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यह दोनों के लिए लाभकारी है।
डॉ. तृप्ति दुबे ने बताया कि गर्भावस्था में महिलाओं को सांस से सम्बंधित समस्याएं अधिक होती है इस अवस्था मे गर्भवती महिलाएं सांस से संबंधी संस्तुत मेडीकेशन नही कर सकती है ऐसी महिलाओं के ईलाज में यह एक गंभीर समस्या है। उन्होंने बताया कि टिका लगवाने का सबसे बढ़िया समय गर्भावस्था के तीन महीने के बाद का होता है।
Input – IANS; Edited by Abhay Sharma