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General Bipin Rawat की मृत्यु पर खिलखिलाने वालों पर कानून का डंडा

Shantanoo Mishra

देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत(General Bipin Rawat) 13 अन्य लोगों के साथ 9 दिसम्बर के दिन कुन्नूर के पहाड़ियों में हुए भीषण हेलीकाप्टर क्रैश में शहीद हो गए थे, जिनमें उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी शामिल थीं। इस घटना ने न केवल देश को आहत किया, बल्कि विदेशों में भी इस खबर की खूब चर्चा रही। देश के सभी बड़े पदों पर आसीन अधिकारी एवं सेना के वरिष्ठ अफसरों ने इस घटना पर शोक व्यक्त किया।

जनरल बिपिन रावत(General Bipin Rawat) भारतीय सेना में 43 वर्षों तक अनेकों पदों पर रहते हुए देश की सेवा करते रहे और जिस समय उन्होंने अपना शरीर त्यागा तब भी वह भारतीय सेना के वर्दी में ही थे। उनके निधन के बाद देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। मीडिया रिपोर्ट्स में वह लोग जिनसे कभी जनरल बिपिन रावत मिले भी नहीं थे, उनके आँखों में भी यह खबर सुनकर अश्रु छलक आए। देश के सभी नागरिकों ने जनरल बिपिन रावत(General Bipin Rawat), उनकी पत्नी सहित 13 अफसरों की मृत्यु पर एकजुट होकर कहा कि यह देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। आपको बता दें कि जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने अनेकों सफल सैन्य अभियानों अंजाम तक पहुँचाया, जिससे भारत का कद न केवल आतंकवाद के खिलाफ मजबूत हुआ, बल्कि इसका डंका विदेशों में भी सुना गया।

जनरल रावत ने अपने एक अभिभाषण में छोटी सी पंक्ति पर जोर देकर कहा था कि 'खामोशी से बनाते रहो पहचान अपनी, हवा खुद तुम्हारा तराना गाएगी।' आज यह बात उनके व्यक्तित्व पर सटीक बैठती है। किन्तु देश में एक हवा ऐसी भी है जिसे सिर्फ घृणा एवं कट्टरता को बढ़ावा देना आता है। और इस घृणा को जनरल रावत मृत्यु के बाद बड़े स्तर पर देखा गया। उनकी मृत्यु पर एक तथाकथित लिब्रलधारी एवं शांतिप्रिय तबका ऐसा भी था, जिसने देश के सबसे वरिष्ठ सेना नायक की मृत्यु पर जहर उगलने का काम किया।

आपको बता दें की ऐसे एक नहीं अनेकों नाम हैं, जिन्होंने जनरल रावत एवं 13 अन्य लोगों की मृत्यु पर आपत्तिजनक एवं अभद्र टिप्पणी सोशल मीडिया पर किए हैं।

यदि आप सोशल मीडिया पर और ध्यान से देखेंगे तब आपको ज्ञात होगा कि देश में घृणा एवं द्वेष किस तरह हावी हो चुकी है। हम सब देख सकते हैं कि कैसे एक धर्म एवं राजनीतिक पार्टी से जोड़ते हुए किस तरह मृत्यु पर भी घृणा को बढ़ाया जा रहा है। यह बात ध्यान देने वाली है कि जिस समय जनरल बिपिन रावत का निधन हुआ वह भारतीय सेना के सबसे बड़े पद पर आसीन थे, इसलिए उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर हुई अभद्र टिप्पणी सामने आते ही प्रशासन ने भी कार्रवाई तेज कर दी है। कई लोग जिन्होंने जनरल रावत पर आपत्तिजनक पोस्ट किए थे, अब पुलिस ने उनकी धरपकड़ की कार्रवाई तेज कर दी है।

इसी बीच एक ऐसी खबर भी सुर्खियों में आई है, जिसने देश में पनप रहे मजहबी कट्टरता की तरफ अपना ध्यान केंद्रित किया है। आपको बता दें कि जनरल बिपिन रावत के निधन पर कट्टरपंथियों के रवैये से आहत होकर मलयाली फिल्म निर्देशक अली अकबर ने इस्लाम धर्म छोड़कर हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला किया है। फेसबुक पर कट्टरपंथियों द्वारा जनरल रावत की मृत्यु पर मजाक बनाने से आहत होकर फिल्म निर्देशक अली अकबर ने यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, 'इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकते हैं इसलिए मैं अपना धर्म छोड़ रहा हूँ, न मेरा और न ही मेरे परिवार का कोई और धर्म है।'

निर्देशक अली अकबर ने कहा कि 'उनका धर्म से विश्वास उठ गया है।' साथ ही मृत्यु पर मजाक बनाने वालों पर कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि 'राष्ट्र को उन लोगों की पहचान करनी चाहिए जो सीडीएस की मौत पर मुस्कुराते हैं और उन्हें दंडित करना चाहिए।' आपको बता दें कि अली अकबर से पहले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने भी इस्लाम धर्म छोड़ हिन्दू धर्म अपना लिया है, साथ ही वह वासीम रिजवी से बदलकर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गए हैं। इस्लाम धर्म पर बड़ा आरोप लगाते हुए जितेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि " कुरान के अनुसार, एक व्यक्ति दूसरे का सिर काटता है तो वह धर्म के आधार पर सही है, लेकिन इंसानियत के खिलाफ है। मुझे इस्लाम से निकाला गया, क्योंकि मैंने राम जन्मभूमि पर बोला।"

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