भारत के हर हजारों छात्र हर साल मेडिकल की पढ़ाई(Medical Studies) के लिए युक्रेन(Ukraine) जाते हैं। इसका एक बड़ा कारण छात्रों को यूक्रेन में मिलने वाली सुविधाएं और सस्ती मेडिकल पढ़ाई(Cheap Medical Education) और विश्व भर में यूक्रेन के विश्वविद्यालयों(Universities of Ukraine) को दी जाने वाली मान्यता है। भारत के मुकाबले यूक्रेन के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के अति महत्वपूर्ण पढ़ाई का खर्च आधा है। इसके साथ ही यूक्रेन में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले की प्रक्रिया भी भारत के मुकाबले काफी सरल है। इन्हीं सब सुविधाओं को देखते हुए भारत के हजारों छात्र हर साल एमबीबीएस और बीडीएस जैसे मेडिकल कोर्स करने के लिए यूक्रेन का रुख करते हैं।
यूक्रेन में फिलहाल 14 बड़े मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें 18000 से अधिक भारतीय छात्र एमबीबीएस और बीडीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से करीब 1000 छात्र स्वदेश भारत लौट चुके हैं जबकि अन्य छात्रों को वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है। देश की प्रसिद्ध मेडिकल कोचिंग करवाने वाली संस्थाओं में से एक के निदेशक संदीप धमीजा के बताते हैं कि यूक्रेन में मेडिकल के लिए जितनी सीटें आरक्षित हैं, उपलब्ध हैं उसके मुकाबले वहां स्थानीय स्तर पर काफी कम उम्मीदवार आवेदन करते हैं। यही कारण है कि मेडिकल सीट विदेशी छात्रों के लिए काफी सरलता से उपलब्ध हो जाती है तो इसका लाभ भारतीय छात्रों को भी मिलता है।
यूक्रेन में भारतीय छात्रों का एक बड़ा तबका मेडिकल पढ़ाई करने वहां जाता है। (Wikimedia Commons)
यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई कर चुके शिरीष मेहता का कहना है कि यूक्रेन के मेडिकल कॉलेजों में जहां इन्फ्राट्रक्च र भारत के मुकाबले कहीं बेहतर है। वही यहां मेडिकल पढ़ाई का खर्च भारत के निजी कॉलेजों की तुलना में आधा भी नहीं है।
यदि भारत के सरकारी कॉलेजों में मेडिकल कॉलेजों की बात की जाए तो यहां एमबीबीएस जैसे पाठ्यक्रम हो का सालाना खर्च प्रत्येक छात्र के लिए करीब 3 लाख रुपये के आसपास रहता है। वहीं भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में यह खर्च 20 लाख रुपए के आसपास है। भारत के ही कई मेडिकल कॉलेजों में तो एमबीबीएस का खर्च 30 लाख सालाना तक भी पहुंच जाता है।
भारत के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जहां एमबीबीएस के 5 वर्ष की पढ़ाई का खर्च 15 से 20 लाख रुपए पर आता है। वहीं निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रत्येक छात्र को एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के लिए 80 लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च करनी पड़ती है। कई भारतीय प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में यह खर्च 1 करोड़ से भी अधिक है।
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दूसरी ओर यदि यूक्रेन के मेडिकल कॉलेजों की बात करें तो यहां एमबीबीएस कर रहे छात्र को प्रति वर्ष लगभग 5 लाख का खर्च वहन करना पड़ता है और 5 वर्षों के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में भारतीय छात्रों को 25 लाख रुपए की राशि खर्च करनी पड़ती है, जो कि भारतीय मेडिकल कॉलेजों खासतौर प्राइवेट कॉलेजों के मुकाबले काफी कम है।
भारतीय शिक्षाविद सीएस कांडपाल का कहना है कि यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई लोकप्रिय होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि यहां छात्रों को इन पाठ्यक्रमों में शामिल होने के लिए अलग से कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती, जबकि भारत में नीट परीक्षाएं आयोजित की जाती है।
इनमें हर साल करीब लाखों छात्र नीट परीक्षा में शामिल होते हैं जिनमें से लगभग 40 हजार छात्रों को ही सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिल पाता है। ऐसे में बड़ी संख्या में नीट क्वालीफाई कर चुके भारतीय छात्र यूक्रेन का रुख करते हैं।
यूक्रेन में भारत से नीट क्वालीफाई कर चुके छात्रों को दाखिला मिल जाता है और यहां नीट की रैंकिंग कोई महत्व नहीं रखती है। यहां साल में दो बार सितंबर और जनवरी में दाखिला प्रक्रिया आयोजित की जाती है। यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को यहां पढ़ाई पूरी करने के उपरांत एक और महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है, जिसके तहत प्रैक्टिस करने के लिए एफएमसीजी परीक्षा पास करनी होती है।
Input-IANS ; Edited By-Saksham Nagar