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Uttar Pradesh Assembly elections 2022: कोरोना से उत्पन्न हुए रोष को चुनाव से पहले शांत कराने में जुटी भाजपा

NewsGram Desk

By: विवेक त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश में होने वाले Uttar Pradesh Assembly elections 2022 से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोरोना की दूसरी लहर में हुई असुविधाओं से उत्पन्न हुए रोष को शांत कराने में जुटी हुई है। अब चुनाव में महज कुछ माह ही शेष हैं। ऐसे में पार्टी कोई भी ऐसा जोखिम नहीं लेना चाहती जिसका विपक्षी दल आराम से फायदा उठा सके। इसीलिए कार्यकतार्ओं से भावनात्मक संबंधों को मजबूत करने की कवायद चल रही है। अभी हाल में भाजपा की चली तीन दिन की बैठक में भी राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष के सामने हुए फीड बैक में इस बार हुई कोरोना की समस्याओं को लेकर मुद्दा प्रमुखता से उठा। इसी के बाद उन्हीं के निर्देशन में तैयार हुई कार्ययोजना में यह मुद्दा प्रमुख है। इसी कारण प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव खुद पश्चिमी जिले बरेली, रामपुर, मुजफ्फरनगर समेत तमाम जिलों का दौरा किया वहां कार्यकतार्ओं के घरों में जाकर संवेदना दे रहे हैं। यह क्रम उनका लगातार जारी रहेगा। इसके अलावा महामंत्री संगठन सुनील बसंल भी इसी अभियान को आगे बढ़ाने में लगे हैं।

भाजपा के एक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में आमजन और कार्यकतार्ओं ने अपना बहुत कुछ खो दिया है। महामारी के दौरान लोगों को बेड न मिलना और ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतें के कारण एक नाकारात्मक माहौल बना है। इससे अपने कार्यकर्ता भी रूठ गए है। ऐसे में उन्हें मानाने और उनके साथ संवदेना का रंग गाढ़ा करने की कवायद हो रही है। गांव-गांव जाकर सभी के साथ दु:ख में संगठन खड़ा होंने का अहसास दिलाया जा रहा है। इसके अलावा प्रत्येक विधानसभा में करीब 100 लोगों की सूची बनायी जाएगी जो कोरोना के कारण हुई अव्यवस्था से नाराज हैं। फिर उनके सुझाव लेकर उन्हें अमल किया जाएगा।

कोरोना महामारी के बाद उठे रोष में सभी राजनीतिक दल अपना-अपना तिकड़म लगा रहे हैं।(Pixabay)

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं," 2017 के विधानसभा चुनाव में यह साफ संकेत मिला था कि समान्य, ओबीसी और अन्य लोगों ने भाजपा को वोट किया था। इसी कारण इन्हें तीन सौ ज्यादा सीटें मिली थी। दो साल बाद छुटपुट चीजों से भी लोग ज्यादा परेशान नहीं थे। इसी कारण 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से 63 सीटे मिली थी। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर से आमजन शहर-ग्रामीणों को बहुत सारी परेषानियां झेलनी पड़ी। कई परिवारों से लोग दिवंगत हुए हैं। इसे लेकर नाराजगी लोगों में ज्यादा है। यह भाजपा के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। क्योंकि 6 माह में चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा का अब पूरी ताकत लगाकर लोगों की नाराजगी और सरकार के प्रति एंटी इंकम्बेंसी को दूर करने का प्रयास करना होगा। "

उन्होंने बताया कि विपक्ष घात लगाकर बैठा कि कब ऐसा मौका मिले कि उप्र में भाजपा को 2012 या उससे पहले वाली संख्या में पहुंचा दें। लोगों में नाराजगी है भाजपा उसे दूर करना चाह रही है। किसी परिवार में जो सदस्य चला गया है उसे वापस नहीं ला पाएंगे, लेकिन उनके घर जाकर संत्वना देना और परिवार को अश्वासन दिलाना होगा कि जो हुआ तो हुआ, लेकिन हम आपके साथ खड़े हैं। इस अश्वासन से भाजपा के थिंक टैंक को लगता है इससे आमजन की नाराजगी दूर होगी। राजीव ने बताया कि जिस चीज ने पिछले चुनाव में मदद की, विचारधारा, पार्टी लेवल, उन सभी समर्थकों, नेताओं की क्या नाराजगी है, उसे दूर करे। कोविड के दौरान हुई दिक्कतों से भाजपा को परेशानी है। उसे कम करने की कोशिश हो रही है। लोगों से आत्मीय संबंध बनाने का प्रयास भी चल रहा है। इसमें कितना सफल होंगे। यह तो आने वाला समय बताएगा। वरिष्ठ विष्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं, " कोरोना महामारी में लोगों का बहुत नुकसान हुआ है। ऐसे में भाजपा बूथ और मंडल लेवल के परिवारों तक पहुंचने से अच्छा संदेश जाएगा।"(आईएएनएस-SHM)

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