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हुनर को पेशे से जोड़ती है विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना

NewsGram Desk

By: विवके त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्थानीय दस्तकारों और कारीगरों के विकास के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना चालू की है। गांव, कस्बे और शहरों में बड़ी संख्या में रहने वाले परंम्परा पेशे से जुड़े हुनरमंदों के लिए यह योजना संजीवनी बन गई है। इससे समाज के सबसे कमजोर लेकिन महत्वपूर्ण तबके मसलन कुम्हार, लोहार, राजमिस्त्री, दर्जी, बढ़ई, नाई, धोबी, भड़भूजा, मोची व सुनार लोगों के हुनर को नई पहचान मिली है।

मालूम हो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस तबके के व्यापक हित के मद्देनजर दिसंबर 2018 में इस योजना की शुरुआत की थी। मकसद था प्रशिक्षण, उन्नत टूलकिट और वित्तीय मदद के जरिए इनकी दक्षता, उत्पादन क्षमता और उत्पाद की गुणवत्ता को बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना।

कमजोर तबके के लिए लाभकारी है विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना। (सांकेतिक चित्र, Wikimedia Commons)

इस क्रम में चयनित लोगों को विशेषज्ञों द्वारा हफ्ते भर का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस दौरान प्रतिदिन की दर से 250 रुपए डीबीटी के जरिए उनके खाते में डाल दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को उनके पेशे से जुड़ा नि:शुल्क उन्नत किट भी दिया जाता है। अगर वह अपने काम को विस्तार देने के इच्छुक हैं तो उनको प्रधानमंत्री मुद्रा या मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत उदार शतोर्ं पर बैंकों से ऋण दिलाने में भी सरकार मदद करती है।

अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) नवनीत सहगल ने बताया कि साल 2018-19 और 2019-20 में इस योजना से लाभान्वित होने वालों की संख्या क्रमश: 7,474 और 19,938 रही। मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक 1,12,889 आवेदन आ चुके हैं। इनमे से करीब 20 हजार लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। इनमें बड़ी संख्या में वह भी हैं जो लॉकडाउन के नाते दूसरे प्रदेशों से अपने घर लौटे हैं। पहले चरण में 4,500 लोगों ने ऋण के लिए भी आवेदन किया है। राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में पात्रता के अनुसार, सबको ऋण मुहैया कराने का भरोसा भी दिया गया है। जिले स्तर के विभागीय अधिकारी भी जिला स्तरीय बैंकर्स कमेटी से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।(आईएएनएस)

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