देश में धर्मांतरण का मुद्दा नया नहीं है, लेकिन जिन-जिन जगहों पर हाल के कुछ समय में धर्मांतरण बढ़े हैं वह क्षेत्र नए हैं। आपको बता दें की पंजाब प्रान्त में धर्मांतरण या धर्म-परिवर्तन का काला खेल रफ्तार पकड़ चुका है और अपने राज्य में इस रफ्तार पर लगाम लगाने वाली सरकार भी धर्मांतरणकारियों का साथ देती दिखाई दे रही है। आपको यह जानकर हैरानी होगी, कि पंजाब में धर्मांतरण दुगनी या तिगुनी रफ्तार पर नहीं बल्कि चौगनी रफ्तार पर चल रही है। जिस वजह से पंजाब में हो रहे अंधाधुंध धर्म-परिवर्तन पर चिंता होना स्वाभाविक हो गया है।
गत वर्ष 2020 में कांग्रेस नेता और पंजाब में कई समय से सुर्खियों में रहे नवजोत सिंह सिद्धु ने दिसम्बर महीने में हुए एक ईसाई कार्यक्रम में, यहाँ तक कह दिया था कि 'जो आपकी(ईसाईयों) तरफ आँख उठाकर देखेगा उसकी हम ऑंखें निकाल लेंगे' जो इस बात पर इंगित करता है कि कैसे सत्ता में बैठी राजनीतिक पार्टी पंजाब में हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने के बजाय उसे राजनीतिक शह दे रही है। आपको यह भी बता दें कि 3.5 करोड़ की आबादी वाले पंजाब राज्य में लगभग 33 लाख लोग ईसाई धर्म को मानने वाले रह रहे हैं। पंजाब के कई क्षेत्रों में छोटे-छोटे चर्च का निर्माण हो रहा है और कई जगह ऐसे चर्च मौजूद भी हैं।
बहरहाल पंजाब के साथ-साथ अब यह धर्मांतरण गिरोह उत्तराखंड में भी अपने पैर पसारने में जुटा है। खबरों में यह भी सुनने मिल रहा है कि यह गिरोह सीमावर्ती क्षेत्रों में कई लोगों का धर्म-परिवर्तन करा चुका है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उत्तराखंड में अब तक थारू बुक्सा जनजाति की लगभग 35% आबादी को मिशनरियों द्वारा ईसाई बनाया जा चुका है। धर्मांतरण की यह रफ्तार चिंताजनक स्थिति को भी उत्पन्न करती है।
केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा उत्तर भारत के कई राज्यों में धर्मांतरण गिरोह सक्रिय है। और ऐसी कई खबरें यह भी देखीं जा सकती हैं जिनमें धर्मातरणकारियों को या तो सरकार संरक्षण दे रही है या फिर ईसाई समुदाय के लोग धर्मांतरण के लिए प्रताड़ित करते नजर आते हैं।
अब आते हैं वापस पंजाब की तरफ जहाँ कुछ दिनों से सियासी उठा-पटक जारी था, जो पंजाब के दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने पर शांत हुआ। किन्तु अब चन्नी के मुख्यमंत्री बनने पर भी सवाल उठ रहे हैं, वह इसलिए क्योंकि पंजाब के हाल ही बने मुख्यमंत्री कई बार ईसाई कार्यक्रम में 'हालेलुयाह' कहते हुए सुने जा चुके हैं। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने बाकायदा चन्नी और सिद्धु की ईसाई कार्यक्रम की उस वीडियो को साझा किया है जिसमें वह दोनों 'हालेलुयाह-हालेलुयाह' कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर नेटिजन्स यह चुटकी भी ले रहे हैं कि 'सोनिया गाँधी को वेटिकन से आदेश मिला कि चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया जाए, ताकि धर्मांतरण का खेल और अधिक बढ़ सके।'
कई बार आपने सुना या देखा होगा कि ईसाई मिशनरियों को 'चावल की बोरी' या 'दाल की बोरी' के नाम से पहचाना जाता है, वह इसलिए क्योंकि यह पिछड़े क्षेत्रों में लोगों को चावल की बोरी के माध्यम से अपनी ओर आकर्षित करते हैं और व्यक्ति व व्यक्ति के परिवार का धर्मांतरण कर उसे ईसाई बना देते हैं। इसके साथ इन्ही मिशनरियों द्वारा कई बड़े-बड़े प्रार्थना शिविर लगाए जाते हैं जिनमें उन सभी जानलेवा बिमारियों को प्रार्थना के माध्यम से ठीक करने का ढोंग किया जाता है और इससे लोगों की इन मिशनरियों के प्रति आस्था बढ़ जाती। कुछ ही दिन पहले एक बच्चे का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह बच्चा पास्टर बजिंदर सिंह के ऐसे ही एक ढोंग से भरे कार्यक्रम में रोता हुआ दिखाई दिया था। वीडियो में यह दावा किया गया था कि बच्चे की बहन बोल नहीं सकती थी लेकिन बजिंदर सिंह के कारण और यीशु के आशीर्वाद से उस बच्ची की आवाज वापस आ गई। यह ही नहीं बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को यह पास्टर आशीर्वाद से ठीक करने का दावा करते हैं। और लोग इनके इस जानलेवा जाल में इसलिए फंस जाते हैं क्योंकि आर्थिक समस्या उनकों ऐसा करने पर मजबूर करती है। लेकिन क्या यह जान से खिलवाड़ नहीं है? और क्यों भारत के डॉक्टर इस ढोंग पर चुप्पी साधे बैठे हैं?
इन सभी के साथ यह मिशनरी उन सभी पिछड़े वर्ग को निशाना बनाते हैं जिन्हें समाज में नीचा दिखाया जाता है। यह उन्हें यह कह कर ईसाई धर्म में खींच लाते हैं कि 'हमारे धर्म में आपको बहुत इज्जत दी जाएगी।' जबकि होता बिलकुल इसके उलट है, वह इसलिए क्योंकि ईसाई धर्म में दलित ईसाईयों को सबसे नीचे माना जाता है। यदि आपको लगता था कि ईसाई धर्म में ऊँच-नीच नहीं होता है तो यह आपका भ्रम है। किन्तु इस भ्रम को अनदेखा कर लोग धर्मांतरण के इस भ्रमजाल में फंस रहे हैं।
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इन सभी नकारत्मक खबरों के बीच आशा की किरण तब दिखाई देती जब कुछ लोग पंजाब में उपस्थित हैं जो पंजाब या अन्य क्षेत्रों में इस जाल में फंसने से लोगों को बचा रहे हैं। वह लोगों से अपील कर रहे हैं कि 'आप पंथ-परिवर्तन कराने से अपने पूर्वजों का अपमान कर रहे हैं।' साथ ही पंजाब में सिख गुरुओं की शहादत और वीरता की कथा दोहरते हुए लोगों से अपील कर रहे हैं कि यदि वह गुरुओं के प्रति आदर भाव रखते हैं तो पंथ-परिवर्तन न कराएं।
अब देखना यह है कि लोगों में जागरूकता कितनी आती है। किन्तु यह बात ध्यान रखने वाली है कि पंजाब में जिस रफ्तार से धर्मांतरण चल रहा वह डराने वाला है।