कोरोना (Corona Virus) काल में जब लोगों के सामने रोजगार का संकट था, तब गोरखपुर (Gorakhpur) की आरती, रिंकी, सुनैना और कुसुम ने विकास की नई इबारत लिख दूसरों के सामने एक मिसाल पेश की है। कड़ी मेहनत और जज्बे की बदौलत ही आज ये महिलाएं (Women) सशक्त और आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार मुहैया कराने में सफल हो रही हैं। आजीविका मिशन से जुड़कर इन लोगों ने खुद का समूह गठित कर लिफाफे और फाइल बनाने का काम शुरू किया है। जिसके बाद से इन्हें आमदनी के साथ-साथ जीने की राह भी मिल चुकी है। खजनी ब्लॉक के सतुआभार ग्राम सभा की इन महिलाओं की मानें, तो आजीविका मिशन (Livelihood mission) ने इन्हें नई जिंदगी दी है, जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया है। सरकार के समय-समय पर होने वाले जागरूकता शिविरों का ही नतीजा है कि आज इन महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इन महिलाओं ने नंवबर 2018 में ग्राम संगठन के नाम से अपने समूह का गठन किया था। इसके बाद इन महिलाओं ने आरसेटी (रूरल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) के जरिए ट्रेनिंग की। यह ट्रेनिंग एसबीआई इंटर्नल कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन (SBI Internal Community Resource Person) (आईकेपी) के तहत बैंक कराता है, लिहाजा ट्रेनिंग के बाद इन सभी महिलाओं को सीआईएफ (सामुदायिक निवेश निधि) के तहत दस-दस हजार का ऋण स्वीकृत हुआ। जिसके बाद इन्होंने नारी-शक्ति पेपर प्रोडक्ट्स के नाम से अपना खुद का रोजगार शुरू किया और फाइल कवर और कागज के लिफाफे बनाने लगीं।
आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाओं ने खुद का समूह गठित कर लिफाफे और फाइल बनाने का काम शुरू किया है। (सांकेतिक चित्र, Pexel)
आरती और रिंकू की मानें तो रोजगार शुरू करने के बाद इन्हें दिक्कतों को सामना करना पड़ा। लिफाफे और फाइल (Envelopes and Files) बनाने के इन्हें बाजार में बेचने के लिए मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन बैंक अधिकारियों और अन्य लोगों की मदद से इन्हें बाजार भी उपलब्ध हो गया। यही कारण है कि आज समूह की महिलाएं इस कार्य के जरिए दो से पांच हजार रुपए हर महीने कमा रही हैं। आज इनके बच्चे स्कूल भी जा रहे हैं और इनके पति भी इनके कार्य में भरपूर सहयोग कर रहे हैं।
आजीविका मिशन के अधिकारी अवधेश का कहना है कि, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की तरफ से जारी सभी निर्देशों का पालन किया जा रहा है। गोरखपुर जिले में 13,299 महराजगंज में 5,778, कुशीनगर (Kushinagar) में 3,731 और देवरिया में 10,579 स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं। कोशिश यह है कि समूह सहायता के जरिए लोगों को ट्रेनिंग देने के साथ ही उनको व्यवसाय शुरू कराने के लिए ऋण भी दिलाया जाए। इसके लिए एसबीआई स्वयं ट्रेनिंग दिलाने का कार्य गीडा में कर रही है। उससे जो भी सहायता समूह ट्रेनिंग के बाद निकलते हैं। विभाग उनकी पूरी मदद करता है।" (आईएएनएस-SM)