QR Code के जरिए बढ़ रहे हैं साइबर अपराध  Unsplash
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QR Code के जरिए बढ़ रहे हैं साइबर अपराध

भारत की 40% आबादी ने 2018 में भुगतान के लिए नियमित रूप से QR Code का इस्तेमाल किया और तब से यह संख्या और भी ज्यादा बढ़ गई है।

Prashant Singh

आजकल आप जब भी किसी दुकान पर खरीदारी करके बिल पेमेंट के लिए फोन निकलते हैं तो दुकानदार आपके सामने एक चौकोर काले रंग का बना हुआ पैटर्न दिखाता है, जिसे आप paytm, google pay, phonepe इत्यादि जैसे application से स्कैन करके भुगतान कर देते हैं। ये काले रंग के चौकोर पैटर्न को हम क्यूआर कोड (QR Code) के नाम से जानते हैं।

8 दिसम्बर 2016 के नोटबन्दी (Demonetization) के बाद और कोविड महामारी में, अगर भुगतान करने का कोई जरिया सबसे सक्रिय हुआ है तो वो है ऑनलाइन ट्रानजैक्शन, जिसमें क्यूआर कोड स्कैनिंग सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ।

एक अध्ययन के अनुसार, भारत की 40% आबादी ने 2018 में भुगतान के लिए नियमित रूप से क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया और तब से यह संख्या और भी ज्यादा बढ़ गई है।

1994 में एक जापानी ऑटोमोबाइल कंपनी डेन्सो वेव (Denso Wave) ने जब इस क्यूआर कोड को विकसित किया था तो उसे भी नहीं पता रहा होगा कि एक दिन आगे चलकर ये इतना प्रसिद्ध हो जाएगा। छोटे-छोटे व्यापारीयों और दुकानदारों तक इसकी पहुँच हो जाएगी। पीओएस मशीन 12000 रुपए तक की आती है, उसके बजाय QR Code का प्रिन्ट निकालकर लगाना ज्यादा सस्ता है और हर वर्ग के दुकानदारों के लिए सुलभ भी। तभी तो आज एक मूंगफली बेचने वाला भी बड़े आराम से इसके माध्यम से डिजिटल भारत (Digital India) से जुड़ गया है।

क्यूआर का पूरा नाम है क्विक रेस्पॉन्स (Quick Response)

क्यूआर का पूरा नाम है क्विक रेस्पॉन्स (Quick Response)। यह एक तरह का मैट्रिक्स बार कोड (Matrix Bar Code) होता है जिसे मशीन द्वारा स्कैन करके, हम सभी जरूरी जानकारी को हासिल कर सकते हैं।

क्यूआर कोड (QR Code) में हम अपने बैंक अकाउंट और क्रेडिट कार्ड का ब्यौरा भी डाल सकते हैं। इसके साथ ही हम इसे इस तरह से भी डिजाइन कर सकते हैं कि ये पेमेंट प्रोवाइडर के लिए भी काम कर सके। QR Code की तकनीकी में विकास तेजी से चल रहा है। सामानों के पैकेट के साइड में बार कोड्स की शुरुवात हुई और अब हम मैक डी, बर्गर किंग, हल्दीराम में इसी क्यूआर को स्कैन करके खाना ऑर्डर कर सकते हैं।

जापान में तो कब्रों पर भी बार कोड लगा होता है जिसे स्कैन करके आप मृतक के बारे में पता कर सकते हैं। अब वह दिन भी जल्दी सामने होगा जब बिल पर भी क्यूआर कोड होगा जिसे स्कैन करके सीधे पेमेंट किया जा सके, बजाय ऐप के अंदर कई पड़ावों को पार करने के।

तकनीकी सशक्तिकरण की इस नई क्रांति ने लोगों का विश्वास जीता है। जो लोग कभी पेटीएम आदि माध्यमों से पेमेंट करने में डरते थे वो आज इसका प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं।

इसी धडले से किया जाने वाले प्रयोग में वो कई बार मात भी खा जाते हैं। उनका एक बटन दबाना उनको कंगाल बना सकता है।

रमेश नाम (काल्पनिक नाम) के एक सज्जन अपना फ्रिज बेचना चाहते थे, जिसे उन्होंने OLX पर डाला। रात तक उनके पास एक कॉल आया जिसमें फ्रिज संबंधी डील पक्की हुई। सामने वाली पार्टी उस फ्रिज के 20,000 रुपए देने के लिए राजी हो गई। रमेश जी से कहा गया कि उनके पास Whatsapp पर एक क्यूआर कोड आएगा, जिसको स्कैन करने पर उनको 20000 रुपये प्राप्त हो जाएंगे। रमेश को संदेह हुआ कि क्या रुपए प्राप्त करने के लिए भी स्कैन करना पड़ता है। इसपर सामने से फिर कहा गया कि, सेशन आउट हो जाएगा तो पैसे अटक जाएंगे। रमेश ने जल्द उसको स्कैन किया। फिर एक ओटीपी आया, सामने वाली पार्टी ने कहा अब उस OTP को वो उन्हें बता दे। रमेश अब भी शंका में था, और असमंजस में ही उसने OTP बता दिया। और देखते ही देखते स्क्रीन पर मैसेज पॉपप हुआ जिसमें लिखा हुआ था कि उनके अकाउंट से 50000 रुपए कट गए हैं। ये तो थी रमेश की कहानी पर अब सवाल आप पर उठता है कि कहीं आप भी तो नहीं ऐसे झांसे के शिकार हो जाएंगे?

यह एक साइबर क्राइम है जोकि आजकल आम हो चुका है। आए दिन आप इसकी खबर कहीं न कहीं से सुन ही लेते होंगे। इससे बचने के लिए आपको दो चीजों को ध्यान में रखना चाहिए:

पहला तो ये कि जब आपके बैंक में कोई रकम जमा होनी होती है तो आपको किसी को ओटीपी नहीं बताना पड़ता। दूसरा ये कि जब आपके अकाउंट में भुगतान आना है तो किसी क्यूआर कोड को स्कैन करने की कोई जरूरत नहीं पड़ती।

इन दो बातों का खास खयाल रखकर धोखाधड़ी के फंदे में फँसने से बच सकते हैं। इसके अलावा जब भी QR Code को स्कैन करने की बात आए तो पहले आप उससे संबंधित सभी ब्यौरे को जांच लें। किसी अनजान व्यक्ति से बिना समुचित जानकारी प्राप्त किये क्यूआर के जरिए कोई लेन-देन न करें। ये साइबर अपराधी एक अपराध को अंजाम देते ही कोड में परिवर्तन ला देते हैं जिससे कि उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है। कई बार ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब ये पाया गया है कि कोड स्कैन के जरिए मोबाईल में वायरस भी इंस्टॉल कर दिया गया है।

फ़रवरी में, फैड्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (FBI) ने भी चेतावनी जारी की थी कि साइबर अपराधी दुर्भावनापूर्ण साइटों के माध्यम से उपयोगकर्ताओं के लॉगिन और वित्तीय जानकारी चुराने के अवैध प्रयासों के तहत त्वरित प्रतिक्रिया (क्यूआर) कोड के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं।

ऐसे में सभी को हर वक्त भुगतान संबंधित सभी विषयों के प्रति सचेत एवं जागरूक रहना चाहिए और समुचित रूप से जानकारी प्राप्त करके, संतुष्ट होकर ही लेन-देन के लिए आगे बढ़ना चाहिए।

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