बजट मामलों से परिचित सूत्रों ने रायटर्स (Reuters) को बताया कि भारत (India) आगामी वित्त वर्ष में ग्रामीण खर्च बढ़ा सकता है क्योंकि सरकार चुनावों से पहले नौकरियों और किफ़ायती आवास को बढ़ाना चाहती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को ही वर्ष 2023-24 का बजट पेश कर सकती है, जोकि 2024 राष्ट्रीय चुनावों से पहले मोदी सरकार का आखरी बजट होगा।
चालू वित्त वर्ष में ग्रामीण विकास मंत्रालय को 138203.63 करोड़ रुपए आवंटित किये गए थे। मगर सूत्रों के मुताबिक यह खर्च बढ़कर 160000 करोड़ से अधिक हो सकता है।
उन्होंने कहा कि बढ़ा हुआ खर्च मुख्य रूप से ग्रामीण छेत्रों में महामारी से हुए तनाव को दूर करना है। महामारी के बाद से ही ग्रामीण छेत्रों में देश की एकमात्र न्यूनतम नौकरी गारंटी योजना की मांग बढ़ गयी है, जो प्रति दिन केवल 163 रुपए से 254 रुपए का भुगतान करता है।
महामारी से उबरने के साथ ही दुनिया भर के देशो में, खास कर एशियाई देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती कीमतों और गैर-कृषि रोज़गार के अवसरों के आभाव के कारण ज़्यादातर लोग सरकार की नौकरी योजना जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना या मनरेगा के लिए आवेदन कर रहे है।
2019 के राष्ट्रिय चुनाव में भाजपा (BJP) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में जीत हासिल की और देश के सबसे लोकप्रिय नेता में से एक बन गए है। हलाकि रोज़गार के मुद्दे पर मोदी सरकार की हमेशा से आलोचना होती रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022-23 के लिए कहा था कि यह पिछले बजट की ही कड़ी है।
कोरोना (Corona) महामारी से निकलने के बाद दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) का असर देख रही है इस बीच बजट 2023-24 ख़ास होगा और साथ ही इससे 2024 के चुनावो को भी साधना होगा।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Centre for Monitoring Economy) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के अधिकांश महीनों में ग्रामीण बेरोजगारी दर 7% से ऊपर ही रही है। अक्टूबर में बेरोज़गारी दर 8.04% थी।
चालू वित्त वर्ष में केंद्र ने 73000 करोड़ रुपए रोज़गार योजना और 20000 करोड़ रुपए आवास योजना के लिए आवंटित किये थे। ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, यह पहले ही रोजगार कार्यक्रम पर 63260 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।
(RS)