केंद्र उन महत्वपूर्ण खनिजों (minerals) को हासिल करने की रणनीति पर काम कर रहा है, जो या तो दुर्लभ हैं या देश में उपलब्ध नहीं हैं। इसमें लीथियम, निकेल और कोबाल्ट के अलावा दुनिया भर में उपलब्ध कुछ महत्वपूर्ण खनिज हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, सरकार जिन विकल्पों पर विचार कर रही है, वे देश के भीतर इन रणनीतिक खनिजों की खोज कर रहे हैं और उन्हें प्राप्त करने के लिए विदेशों में खानों का अधिग्रहण कर रही है।
सूत्रों ने आगे बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के कारण दुनिया भर में सप्लाई चेन (supply chain) में व्यवधान सामरिक खनिजों की सोर्सिग के पीछे मुख्य ड्राइविंग प्वाइंट है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के रणनीतिक खनिजों को खोजना पहले से ही कठिन है, लेकिन मौजूदा भू-राजनीतिक (geopolitical) स्थिति के कारण, उनकी उपलब्धता और भी कठिन हो सकती है, इसलिए सरकार उन्हें प्राथमिकता के आधार पर प्राप्त करने की योजना बना रही है।
कंप्यूटर (Computer), मोबाइल फोन (mobile phones), इलेक्ट्रिक वाहन (electric vehicle) और उनकी बैटरी, सेमी-कंडक्टर और सौर पैनलों जैसे आधुनिक तकनीकी उपकरणों के साथ-साथ रक्षा उपकरणों के लिए महत्वपूर्ण खनिज अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
इन महत्वपूर्ण खनिजों के महत्व को और बढ़ाता है यह तथ्य कि कई राष्ट्र स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण कर रहे हैं, सप्लाई चेन में कोई भी व्यवधान उस राष्ट्र की अर्थव्यवस्था (economy) को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, जो ऐसे संसाधनों की आपूर्ति के लिए अन्य देशों पर अत्यधिक निर्भर है।
सरकार इस तरह के महत्वपूर्ण खनिजों को जल्द से जल्द प्राप्त करने और संकट जैसी स्थिति से बचने की रणनीति पर काम कर रही है।
आईएएनएस/RS