एफडब्ल्यूआईसीई (Federation of Western India Cine Employees) की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि एक फिल्म जिसे सेंसर बोर्ड से विधिवत प्रमाणन प्राप्त हो चुका है, उसे बिना किसी आधिकारिक आदेश के रोका जा रहा है। यह सीधा-सीधा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और देश के संविधान में दिए गए रचनात्मक आजादी के अधिकार का उल्लंघन है।
एफडब्ल्यूआईसीई ने उन थिएटर मालिकों पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं जो इस अघोषित आदेश का पालन कर रहे हैं। संगठन ने कहा कि ऐसे कदम न सिर्फ रचनात्मक आवाजों को दबाते हैं, बल्कि आम जनता के उस लोकतांत्रिक अधिकार को भी छीनते हैं जिसके तहत वे यह तय कर सकें कि उन्हें क्या देखना है और क्या नहीं।
एफडब्ल्यूआईसीई ने सरकार से अपील की है कि वह इस अनाधिकारिक प्रतिबंध का संज्ञान ले और यह सुनिश्चित करे कि 'बंगाल फाइल्स' (Bengal Files) की स्क्रीनिंग बिना किसी रुकावट के पूरे पश्चिम बंगाल में की जा सके।
संगठन ने राज्य के सभी थिएटर मालिकों से अपील की है कि वे बिना किसी डर या दबाव के फिल्म की स्क्रीनिंग शुरू करें। एफडब्ल्यूआईसीई ने कहा कि यह फिल्म निर्माताओं की मेहनत, निवेश और रचनात्मकता का परिणाम है, जिसे दर्शकों तक पहुंचने से रोकना अन्यायपूर्ण है।
एफडब्ल्यूआईसीई ने फिल्म के निर्माताओं के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए देशभर की निर्माता संस्थाओं से भी इस अवैध प्रतिबंध का विरोध करने की अपील की है।
प्रेस विज्ञप्ति के अंत में एफडब्ल्यूआईसीई ने स्पष्ट किया कि वह रचनात्मक स्वतंत्रता के खिलाफ किसी भी प्रयास को चुपचाप सहन नहीं करेगी।
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