गोयनका (Goenka) की शुरू से ही पढ़ाई में गहरी रुचि थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा (Education) कोलकाता (Kolkata) के श्री जैन विद्यालय से प्राप्त की और उसके बाद आईआईटी कानपुर (Kanpur) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। फिर वह अमेरिका चले गए और वहां की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की।
अमेरिका (America) में गोयनका ने पढ़ाई पूरी करने के बाद यूएस के डेट्रायट शहर में स्थित जनरल मोटर्स के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर में 1979 से लेकर 1993 तक काम किया। इस दौरान उन्होंने ऑटोमोबाइल में रिसर्च की।
इसके बाद गोयनका भारत (India) लौट आए और महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) में रिसर्ट एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) के जनरल मैनेजर के तौर पर शामिल हुए।
एमएंडएम ने गोयनका को कंपनी द्वारा विकसित की जा रही नई एसयूवी (SUV) के प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंपी, ये एसयूवी कोई और नई बल्कि स्कॉर्पियो थी। इस एसयूवी ने आते ही बाजार में क्रांति ला दी और यह प्रोजेक्ट कंपनी के लिए बहुत बड़ी सफलता साबित हुआ और इसके जरिए कंपनी वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने कामयाब हुई।
उनकी क्षमताओं को देखते हुए महिंद्रा (Mahendra) ने उन्हें कई बड़ी जिम्मेदारियां दी। 2003 में उन्हें ऑटोमोटिव डिविजन का सीओओ, 2005 में प्रेसिडेंट और 2010 में ऑटोमोटिव एवं फार्म इक्विपमेंट डिविजन का प्रेसिडेंट बनाया गया। 2013 में उन्हें कंपनी का एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बनाया गया और 2016 में वे एमएंडएम के एमडी बने।
अपने कार्यकाल के दौरान गोयनका ने कई फैसले अहम फैसले लिए, जिनमें इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में महिंद्रा की एंट्री जैसे बड़े फैसले थे।
महिंद्रा से 2021 में रिटायर होने के उन्हें इन-स्पेस e (इंडियन नेशनल स्पेस प्रोमोशन एंड अथॉराइजेशन सेंटर) का चेयरमैन नियुक्त किया। यहां वह भारत (India) के स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों का योगदान बढ़ाने के लिए काम कर हे हैं। 2025 में उन्हें भारत सरकार से पद्म श्री दिया गया। यह भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है।
(BA)