Heeramandi Songs : संजय लीला भंसाली की हीरामंडी: द डायमंड बाजार ओटीटी की दुनिया में चमक रही है। (Wikimedia Commons) 
मनोरंजन

हीरामंडी का ये गाना 100 साल पुराना है, रसूलन बाई के इस गाने पर नजर आई ऋचा चड्डा

मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्डा, शर्मिन सहगल और संजीदा शेख स्टारर नेटफ्लिक्स पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली भारतीय वेब सीरीज बनकर उभरी है। इसमें भंसाली की सिग्नेचर डिटेलिंग, ग्रैंड सेट्स, एक्ट्रेसेज के खूबसूरत आउटफिट और दमदार साउंड का भी बहुत बड़ा योगदान है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Heeramandi Songs : संजय लीला भंसाली की हीरामंडी: द डायमंड बाजार ओटीटी की दुनिया में चमक रही है। मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्डा, शर्मिन सहगल और संजीदा शेख स्टारर नेटफ्लिक्स पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली भारतीय वेब सीरीज बनकर उभरी है। इसमें भंसाली की सिग्नेचर डिटेलिंग, ग्रैंड सेट्स, एक्ट्रेसेज के खूबसूरत आउटफिट और दमदार साउंड का भी बहुत बड़ा योगदान है। इसके अलावा 'हीरामंडी' में म्यूजिक कम्पोजर भंसाली का जादू सबको दिख रहा है। इसमें सारे ही गाने अपनी-अपनी जगह बेहद खूबसूरत हैं। मगर 'हीरामंडी' में एक बहुत खास गाना है जो हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक की विरासत है और इसका सबसे पुराना रिकॉर्ड जिस सिंगर की आवाज में है, उनकी अपनी कहानी भी 'हीरामंडी' की थीम के बहुत करीब है।

100 साल पुराना है ये गाना

भंसाली की वेब सीरीज में एक गाना है- 'फूल गेंदवा न मारो' बरनाली ठाकुर ने भंसाली के म्यूजिक के साथ इस गाने को बड़ी खूबसूरती के साथ गाया है। इस गाने को लेकर सोशल मीडिया पर ये चर्चा चली कि ये गाना 1964 में आई अशोक कुमार और राज कुमार की फिल्म 'दूज का चांद' के एक गाने का रीमेक है, जिसे आर डी बर्मन ने कम्पोज किया था। इस गाने का टाइटल भी 'फूल गेंदवा न मारो' ही था। लेकिन ऐसा नहीं है कि भंसाली जी ने ही इसे रीमेक किया है।

ये राग भैरवी में गाई गई एक आइकॉनिक ठुमरी है (Wikimedia Commons)

आपको बता दें 'फूल गेंदवा न मारो' हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक की एक पारंपरिक कम्पोजीशन है। ये राग भैरवी में गाई गई एक आइकॉनिक ठुमरी है और इस ठुमरी की जो सबसे पुरानी अवेलेबल रिकॉर्डिंग है, वो साल 1935 की है। जिसे रसूलन बाई ने गाया है और 'हीरामंडी' में ये गाना ऋचा चड्ढा पर फिल्माया गया है।

क्लासिकल संगीत प्रेमियों के लिए है खास

रसूलन बाई ने इस रिकॉर्डिंग से पहले भी कई बार ये ठुमरी गाई है अर्थात् ये कम्पोजीशन बड़े आराम से लगभग 100 साल पुरानी है। रसूलन बाई की ये ठुमरी, हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत में दिलचस्पी रखने वालों के लिए बहुत खास है। ठुमरी गायकी का ऐसा मुकाम है जिसे कोई दूसरा सिंगर कभी छू ही नहीं सकता। रसूलन बाई की आवाज, उनकी गायकी और उनकी अदायगी ने इस गीत को अप्रतिम बना दिया था। रसूलन बाई की कहानी भी भंसाली के शो 'हीरामंडी' की थीम से बहुत गहराई से जुड़ती और उन्हें जानने के बाद वेब सीरीज में ये गीत सुनना आपके लिए और भी गहरा अनुभव बन जाएगा।

सत्ता, शानो-शौकत और साज़िशों से घिरी ईरान की बाग़ी शहज़ादी अशरफ़ पहलवी की कहानी

कबीर बेदी: प्यार, जुदाई और नई शुरुआत

चलती कार से कूदकर बचाई ज़िंदगी, पढ़ाई के दम पर बाल विवाह के खिलाफ़ मिसाल बनी सोनाली

यूरोप अगस्त शटडाउन: काम से ब्रेक

हिंदी साहित्य के एक ऐसे लेखक जिनका पूरा जीवन केवल विवादों से भरा था!