गुजरात हास्य सम्राट की 26 दिसंबर को जयंती है।
तारक मेहता का जन्म 26 दिसंबर 1929 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था। वह मुख्य रूप से अपनी मशहूर साप्ताहिक कॉलम 'दुनिया ने उंधा चश्मा' के लिए जाने जाते हैं, जो मार्च 1971 में गुजराती साप्ताहिक पत्रिका 'चित्रलेखा' में पहली बार प्रकाशित हुई थी। इस कॉलम में वह समकालीन सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को हास्य के उल्टे चश्मे से देखते थे, जिससे पाठकों को हंसी के साथ गहरा संदेश मिलता था।
तारक मेहता (Taarak Mehta) ने अपने करियर में 80 से अधिक किताबें लिखीं। इनमें से कई उनके कॉलम पर आधारित थीं, जबकि तीन किताबें कई अखबारों में छपे उनके लेखों का संकलन थीं।
एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी शैली के बारे में बताया था कि दुनिया ने उंधा चश्मा कॉलम के जरिए समाज की कमियों को हल्के-फुल्के व्यंग्य से उजागर करना उनका मकसद है। उन्होंने बताया था, "मैं मुद्दों को उल्टे चश्मे से देखता हूं, ताकि लोग हंसते-हंसते सोचें। हास्य कटु नहीं, बल्कि मिठास भरा होना चाहिए, जो दिल को छूए और बदलाव लाए।"
वह गुजराती थिएटर (Gujarati Theater) के भी प्रमुख व्यक्तित्व थे और कई हास्य नाटकों का उन्होंने अनुवाद किया। उनकी लेखनी में हल्का-फुल्का व्यंग्य था, जो समाज की कमियों पर चुटकी लेता था, लेकिन कभी कटु नहीं होता। साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म श्री सम्मान से नवाजा।
साल 2008 में निर्माता असित कुमार मोदी (Asit Kumar Modi) ने उनकी इसी कॉलम पर आधारित धारावाहिक 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' शुरू किया, जो सोनी सब चैनल पर प्रसारित होता है। यह शो भारत के सबसे लंबे चलने वाले कॉमेडी सीरियल्स में से एक है और गोकुलधाम सोसाइटी के किरदारों के माध्यम से रोजमर्रा की जिंदगी की हंसी-मजाक दिखाता है।
शो में तारक मेहता का किरदार पहले शैलेश लोधा ने निभाया। तारक मेहता की लेखनी ने न केवल गुजराती साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि टीवी (TV) के जरिए पूरे देश में हंसी का संदेश फैलाया।
तारक मेहता का निधन 1 मार्च 2017 को लंबी बीमारी के बाद 87 साल की आयु में अहमदाबाद में हुआ था।
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