पितृदोष और सर्प दोष से मुक्ति पाने का सबसे अच्छा समय: श्राद्ध पक्ष IANS
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पितृदोष से बचने के लिए श्राद्ध पक्ष में करें यह अचूक उपाय

पितृदोष से छुटकारा पाने का सबसे उचित समय है पितृपक्ष।

न्यूज़ग्राम डेस्क

पितृदोष से छुटकारा पाने के उपाय 16 दिनों तक चलने वाला श्राद्ध पक्ष शनिवार से प्रारंभ हो चुका है। ऐसा माना जाता है कि यह समय पितृदोष और सर्प दोष से मुक्ति पाने का सबसे अच्छा समय है। आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप पितृदोष से मुक्ति पा सकते हैं।

1. पहला उपाय: यदि आप इन 16 दिन कुत्ते, गाय, चिड़िया एवम कौए में से किसी एक को भी रोटी खिलाते हैं तो निस्संदेह आप पितृदोष से मुक्ति पा सकते हैं।

2. दूसरा उपाय: यदि परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के इकट्ठे कर कर उन्हें गुरुवार के दिन मंदिर में दान किया जाए तो यह भी एक बेहतर उपाय साबित हो सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि परिवार का एक सदस्य ₹2 का सिक्का दे रहा है तो बाकी सदस्यों को भी ₹2 के सिक्के देने चाहिए। यदि आपके दादा जी हैं तो उनके साथ जाकर यह सिक्के मंदिर में दान करना अत्यधिक फायदेमंद साबित होगा।

3. तीसरा उपाय: यदि आप लगातार पीपल या बरगद के पेड़ पर जल अर्पण करते हैं, केसर का तिलक लगाते हैं विष्णु भगवान के मंत्र का जाप करते हैं , श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करते हैं, कठोरता के साथ एकादशी का व्रत करते हैं तो निश्चित रूप से पित्र दोष से चला जाएगा।

4. चौथा उपाय: श्राद्ध पक्ष के 16 दिन सुबह शाम घर में संध्या वंदन के साथ ही कपूर जलाने और घी गुड़ की धूप देने से भी पितृ दोष चला जाता है।

5. पांचवा उपाय: पितृपक्ष में पिंडदान की अपनी अलग ही मान्यता एवं महत्व है। चावल ,गाय का दूध, घी ,गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाया जाता है और उसे पिंडदान के रूप में पितरों को अर्पित किया जाता है। पिंडदान अलग-अलग प्रकार के होते हैं लेकिन ऐसा कहा जाता है कि चावल से बने पिंड से पितर लंबे समय तक शांत रहते हैं।

6. छठवां उपाय: श्राद्ध की 16 दिन रोज किसी पवित्र नदी में स्नान करने के पश्चात पितरों के नाम पर तर्पण करना अत्यधिक लाभदाई माना जाता है। जौ, काला तिल और एक लाल फूल दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जल में प्रवाह करना चाहिए। तर्पण अर्थात पितरों की मुक्ति के लिए तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करना।

7. सातवां उपाय: श्राद्ध में पांच जीवों को भोजन दिया जाता है जिसे पंचबलि कर्म के नाम से जाना जाता है। पितृपक्ष में रोज कौए को खाना डालना शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि हमारे पूर्वज कौए के रूप में ही धरती पर रहते हैं अर्थात कौए को खाना देने के बाद ही ब्राह्मण को भोज कराएं।

(PT)

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