पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद Wikimedia commons
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जन्मदिन विशेष: जब पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यूपीएससी की नौकरी ठुकरा दी

जब वह जवान थे तो भारतीय सिविल सेवा यानी यूपीएससी के लिए चुने गए लेकिन उन्होंने वह नौकरी ठुकरा दी।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Poornima Tyagi

दोस्तों रामनाथ कोविंद का नाम तो आप सभी ने सुना होगा वह हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके हैं।

8 अगस्त 2015 से 25 जुलाई 2017 तक वे बिहार के राज्यपाल रहे। इसी कारण उनका बिहार से एक अटूट नाता है। लेकिन क्या आप उनके जीवन से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में जानते हैं।

आज उनके जन्मदिन के अवसर पर हम आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ तथ्य बताएंगे।

*बचपन में अपने पिता की परचून की दुकान चलाते हैं।

*सुप्रीम कोर्ट व दिल्ली हाई कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस कर चुके हैं।

*जब वह जवान थे तो भारतीय सिविल सेवा यानी यूपीएससी के लिए चुने गए लेकिन उन्होंने वह नौकरी ठुकरा दी।

रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) के पिता मैकूलाल उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की अपने गांव परौख में परचून की दुकान चलाते थे। और लोगों को आयुर्वेदिक दवाइयां भी देते थे।बचपन में जब रामनाथ कोविंद स्कूल से लौटा करते थे तो वह पिता की दुकान पर बैठते थे। उन दिनों परिवार के पास खेती योग्य कोई जमीन नहीं थी तो दुकान से ही उनकी रोजी-रोटी चलती है और राष्ट्रपति के भाई प्यारेलाल की आज भी परचून की एक दुकान है।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर प्रखंड के विद्यालय में हुई थी। उसके बाद उन्होंने डीएवी कॉलेज (DAV College) से बीकॉम और डीएवी लॉ कॉलेज (DAV Law College) एलएलबी (LL.B.) की पढ़ाई की।फिर वह दिल्ली गए और यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा की तैयारी, खुशकिस्मती से तीसरे प्रयास में उनका चयन संबद्ध सेवाओं (Allied Services) के लिए हो गया। लेकिन उन्होंने यह नौकरी ठुकरा दी और 1977 से 1993 16 साल दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस की। 1978 में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बन गए। 1977 से 1979 दिल्ली में हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के वकील के रूप में इसके बाद 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट के केंद्र सरकार के परमानेंट काउंसलर बने रहे।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और अभिनेता अमिताभ बच्चन

उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत सन 1990 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर घाटमपुर(Ghatampur) लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर की। उनके पास चुनाव प्रचार प्रसार के लिए बड़ी-बड़ी गाड़ियां नहीं थी तो उन्होंने अपने स्कूटर से ही गांव गांव जाकर चुनाव प्रचार करने का निश्चय किया। परंतु में चुनाव हार गए। इसके बाद अप्रैल 1994 में पहली बार उत्तर प्रदेश(Uttar pradesh) से राज्यसभा के सदस्य बने थे। इसके बाद 12 वर्षों तक राज्यसभा के सदस्य रहे। जब वे राज्यसभा के सदस्य बन गए तब भी वह कानपुर(Kanpur) के कल्याणपुर(Kalyanpur) में करीब एक दशक तक किराए के मकान पर ही रह रहे थे।

रामनाथ कोविंद को सब "लल्ला"(Lalla) कह कर पुकारते थे ।उनके पांच भाई थे और रामनाथ सबसे छोटे थे। माता पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपनी भाभी को मां की तरह सम्मान दिया और उन्हें उनकी भाभी विद्यावती(Vidyawati) ने पाला। उन्हें भाभी विद्यावती के हाथ का बनाया हुआ कढ़ी चावल बहुत पसंद है।

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