दशहरा 2 अक्टूबर 2025 wikimedia common
त्यौहार

दशहरा - बुराई का सर्वनाश और अच्छाई की स्थापना का पर्व है दशहरा!

दशहरा पर निबंध - ( Dussehra Par Nibandh) बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व विजयदशमी का त्यौहार इस वर्ष 2 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।

न्यूज़ग्राम डेस्क

यहां जानिए 200 शब्दों में निबंध के माध्यम से दशहरे का महत्व

दशहरा ( Dussehra) या विजयदशमी का महत्व हम सबको एक ऐसे ऐतिहासिक काल की ओर लेकर जाता है, जहां पर अहंकार और अटल विश्वास के बीच जंग छिड़ी होती है।‌ जहां एक तरफ रावण अपनी अहंकार में हर कोशिश से भगवान राम को हराने की कोशिश करता है, माता सीता का हरण करता है, तो वहीं दूसरी तरफ भगवान राम सद्गुणों, धर्म, सत्य और अटल विश्वास पर टिके रहते हैं। दशहरा पर्व से एक बात साफ हो जाती है कि अहंकार दौलत और शोहरत दोनों ही छीन कर मृत्यु के मार्ग तक पहुंचा सकता है, भगवान राम ने माता सीता की रक्षा और उन्हें वापस सम्मान के साथ अयोध्या लाने के लिए रावण द्वारा युद्ध के प्रस्ताव को भी स्वीकार किया लेकिन उन्होंने रावण की तरह अधर्मी तरीकों को नहीं अपनाया।

भगवान राम और रावण के बीच युद्ध में भगवान राम की जीत केवल इसीलिए हुई क्योंकि उन्होंने सद्गुणों, सत्य, धर्म और अटल विश्वास का साथ नहीं छोड़ा, जबकि रावण की हार इसलिए हुई क्योंकि उसने अहंकार का साथ नहीं छोड़ा। रावण ने अपने अहंकार की वजह से अपने सोने की लंका को आग में जलते हुए देखा, अपने भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाथ की मृत्यु देखी तथा अंत में अहंकार ने उसे भी मृत्यु के मार्ग तक पहुंचा दिया। ‌वही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम धर्म की स्थापना और मानवता के लिए जाने जाते थे तथा उन्होंने अंत में युद्ध के बाद रावण और स्वयं सेना में घायल हुए सभी सैनिकों के शव को एक साथ अंतिम संस्कार की विधि से विदाई दी।

ऐसे में हम भगवान राम और रावण के चरित्र से यह समझ सकते हैं कि बुराई की जड़ कितनी भी मजबूत हो लेकिन अंत में अच्छाई अपने प्रभाव से बुराई का अंत कर देती है और सत्य की स्थापना करती है।

दशहरा पर निबंध - 10 लाइन

  1. दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव माना जाता है।

  2. ऐतिहासिक काल में दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण दहन किया था।

  3. दशहरे के दिन रावण दहन करके भगवान राम ने माता सीता को सम्मानपूर्वक पुनः प्राप्त किया था।

  4. दशहरे को मुख्य तौर पर विजयदशमी पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

  5. दशहरे का त्यौहार अहंकार का नाश और सत्य की स्थापना का प्रतीक माना जाता है। ‌

  6. विजयदशमी पर्व प्रत्येक वर्ष मनाने का उद्देश्य अधर्म, असत्य, अपराध और गलत विचारधारा को समाप्त करके सत्य, सद्गुण, धर्म, मानवता, भाईचारा और सकारात्मक सोच को स्थापित करना होता है।

  7. विजयदशमी के दिन हर साल जगह-जगह पर्व का उत्सव मनाने के लिए रामलीला कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

  8. सर्वप्रथम रावण दहन और विजयदशमी का त्यौहार साल 1953 में दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित किया गया था।

  9. दशहरे का त्यौहार नवरात्रि के 9 दिन की समाप्ति पर दसवें दिन मां दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर के वध करने के उपलक्ष में भी मनाया जाता है। ‌

  10. भारत के विभिन्न प्रांत और जातिगत सामुदायिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि और दशहरा से नव वर्ष की शुरुआत होती है।

विजयदशमी 2 अक्टूबर 2025

विजयदशमी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

दशहरा कब है 2025?

दशहरा या विजयादशमी का त्योहार साल 2025 में 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। ‌

2025 में रावण दहन कब है?

2025 में रावण दहन का मुहूर्त दशमी तिथि के अनुसार तय किया जाता है। 1 अक्टूबर 2025 को शाम 7:01 पर दशमी तिथि आरंभ होगी जो कि अगले दिन 2 अक्टूबर 2025 को शाम 7:10 पर समाप्त हो जाएंगी।

2025 में रामलीला कब से शुरू होगी?

ऐसे तो रामलीला का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन दिल्ली में साल 2025 में रामलीला का पर्व 22 सितंबर से लेकर 3 अक्टूबर तक चलेगा। दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रत्येक वर्ष रावण दहन और विजयदशमी के बहुत बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

प्रश्न- 2025 में दशहरा मेला कब है?

प्रत्येक वर्ष देश के कोने-कोने में विजयदशमी उत्सव के रूप में दशहरा मेला लगाया जाता है। ‌ इस वर्ष दशहरे का मेला 2 अक्टूबर 2025 को देश के कोने-कोने में और दिल्ली में रामलीला मैदान में लगाया जाएगा।

निष्कर्ष

दशहरे पर निबंध से हमने यह जाना कि भगवान राम की तरह सद्गुण, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए तथा रावण की तरह अहंकार और अधर्मी बातों को त्यागना चाहिए। विजयदशमी का पर्व यह भी बतलाता है कि नवरात्रि के 9 दिन और मां दुर्गा के नौ स्वरूप बेहद शक्तिशाली और प्रभावशाली है। मां दुर्गा जैसी शक्ति, युक्ति और बल ही महिषासुर जैसे राक्षस का वध कर सकती है। अतः विजयदशमी का पर्व हमेशा से ही बुराई पर अच्छाई की जीत के उत्सव के रूप में मनाया जाएगा।

[OG/PSA]

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