दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर दावा किया गया है [Wikimedia Commons]
इतिहास

ताजमहल किसने बनवाया था? शाहजहां का नाम नहीं है ऐतिहासिक तथ्यों में

शाहजहां ने 1632 से 1638 तक पुनर्निमित किया था यह दावा करते हुए कि उक्त तथ्यों को अब्दुल हमीद लाहौरी और कस्विनी द्वारा लिखित पादशाहनामा नामक पुस्तक से निकाला जा सकता है।

Sarita Prasad

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में एक जनहित याचिका दाखिल कर दावा किया गया है कि ताजमहल मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा नहीं बनवाया गया था और इतिहास की पुस्तकों में सुधार होना चाहिए। दरअसल स्कूल और कॉलेज में इतिहास की किताबों में शाहजहां द्वारा ताजमहल के निर्माण से संबंधित कथित गलत ऐतिहासिक तथ्यों को हटाने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इस खबर ने अब तक के सभी सोच और बिलीफएस को खत्म कर दिया। याचिका दायर करने वाला व्यक्ति कई सबूत के साथ यह दावा कर रहा है की ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने नहीं करवाया था तो अब सवाल यह उठता है कि आखिर ताजमहल का निर्माण किसने करवाया? तो चलिए इस मामले से जुड़ी पूरी जानकारी आपको बताते हैं।

किसने की याचिका दायर

दिल्ली हाई कोर्ट में यह याचिका सुरजीत सिंह यादव ने दायर की जो एक एनजीओ हिंदू सेना एस के अध्यक्ष है। याचिका में कहा गया है कि राजा मानसिंह के महल को ध्वस्त करने और उसी स्थान पर ताजमहल के नए सिरे से निर्माण का कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है। याचिका करता यादव ने ASI को 31 दिसंबर 1631 की राजा मानसिंह के महल सहित ताजमहल की उम्र के बारे में जांच करने और अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट टाकिर करने का निर्देश देने की मांग की है फर्स्ट इतना ही नहीं राजा मानसिंह के महल का सही इतिहास प्रकाशित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की भी मांग की गई है जिसे शाहजहां ने 1632 से 1638 तक पुनर्निमित किया था यह दावा करते हुए कि उक्त तथ्यों को अब्दुल हमीद लाहौरी और कस्विनी द्वारा लिखित पादशाहनामा नामक पुस्तक से निकाला जा सकता है।

ताजमहल मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा नहीं बनवाया गया था और इतिहास की पुस्तकों में सुधार होना चाहिए।

बता दें की परीक्षा नाम या बादशाह नाम मुगल सम्राट शाहजहां प्रथम के शासनकाल के आधिकारिक इतिहास के रूप में लिखी गई कृतियों का एक समूह है।

याचिका में क्या लिखा है

याचिका में कहा गया है कि एएसआई ने अपने वेबसाइट पर गलत जानकारी दी है कि 1648 में ताजमहल का निर्माण पूरा होने में लगभग 17 साल लगे थे। यादव ने दावा किया है कि मुमताज महल का मकबरा 1638 तक लगभग पूरा हो गया था याचिका में कहा गया है कि इसलिए ताजमहल को बनने में 17 साल का समय लगने का प्रचार करने वाला ऐतिहासिक तथ्य तथात्मक रूप से गलत है।

याचिका में कहा गया है कि एएसआई ने अपने वेबसाइट पर गलत जानकारी दी है कि 1648 में ताजमहल का निर्माण पूरा होने में लगभग 17 साल लगे थे

स्कूलों और विश्वविद्यालय में यह गलत जानकारी बच्चों को भी दी जा रही है उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द इन जानकारी में बदलाव किया जाए, और सही जांच और जानकारी के साथ इस बात की पुष्टि की जाए की ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने नहीं किया।

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