आजकल मोदी की जापान (Japan) यात्रा खास चर्चा में है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जापान में क्वाड बैठक (Quad Meet) में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। अब उनके वहाँ पहुँचने के बाद चारों तरफ नमो-नमो की गूंज सुनाई दे रही है।
जापान की मीडिया में मोदी के भाषण ने खास जगह पा ली है। स्थानीय समेत सभी प्रमुख अखबारों ने मोदी के दौरे और भाषण को विशेष रूप से शामिल किया है। इसके इतर अमेरिका ने भी भारत के लिए अपने सुर बदल लिए हैं। बता दें कि यूक्रेन मामले में भारत के तटस्थ होने पर अमेरिका ने आपत्ति जताई थी। पर अब तेवर बदले से दिखाई दे रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने भारत की सराहना करते हुए कहा कि भारत क्वाड का एक प्रमुख खिलाड़ी है। हिन्द-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में भारत का रणनीतिक सहयोग अहम स्थान रखता है।
अब ये सब देखकर चीन को मिर्ची लगनी लाज़मी है। क्या ये कहा जा सकता है कि यह भारत की कूटनीतिक जीत है? यूक्रेन मामले को लेकर भारत से नाराज चल रहा अमेरिका के साथ अब कैसे अपनी दोस्ती निभाएगा?
अमेरिका की भारत के साथ सांझेदारी
प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारत के रूस-यूक्रेन (Russia-Ukrain) मामले में तटस्थ होने पर अमेरिका और आस्ट्रेलिया जिस तरह से खिलाफ खड़े थे, उसे देखते हुए यह मोदी की निश्चित ही कूटनीतिक जीत है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया क्वाड के दो प्रमुख देश हैं। क्वाड शिखर सम्मेलन में भारत को लेकर अमेरिका के सुर पूरी तरह से बदल गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन का भारत के लिए इस तरह का प्रशंसा भरा बयान वाकई दोनों देशों के रिश्तों के लिए शुभ संकेत है।
हर्ष ने आगे बताया कि कि हाल में इस तरह की खबरें सामने आ रही थीं कि यूक्रेन संघर्ष के चलते अमेरिका और भारत के रिश्तों में काफी दूरियाँ या गई हैं। अटकलें यह भी लग रहीं थी कि इसके कारण भारत का क्वाड में कद काम हो जाएगा और दक्षिण कोरिया को स्थान मिलेगा। पर अब क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद इस चर्चा पर ब्रेक लग गया है। अमेरिका ने अब साफ किया है कि किसी भी हालत में वो भारत का रणनीतिक साझेदार रहेगा। बाइडन का क्वाड बैठक से पूर्व भारत को लेकर ऐसा संदेश भारत ओर अमेरिका के संबंधों को निश्चित ही एक नई गति देगा।
प्रो पंत ने कहा कि क्वाड में भारत के बोलबाले को देख कर चीन तिलमिला गया है। चीन कभी ऐसा नहीं चाहेगा कि क्वाड में भारत को प्रमुख स्थान मिले। अब बाइडन ने क्वाड बैठक से पूर्व भारत को प्रमुख खिलाड़ी कहकर चीन koको और मिर्ची लगा दी है। सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन में काफी तनातनी बनी हुई है।
2014 के बड़ी जीत के बाद मोदी की ये पाँचवी जापान यात्रा है। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के 30 से ज्यादा कम्पनियों के CEOs से मुलाकात की है और उन्हें भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है। इसके अतिरिक्त मोदी अपने सॉफ्ट पावर का प्रयोग करना कभी नहीं भूलते। इसी क्रम में वो वहाँ टोक्यो में भारतीय मूल के लोगों से भी मिले और उन्हें संबोधित किया।
जापान के अखबार हुए मोदी के लेख के मुरीद
इस लेख में पीएम मोदी ने बौद्ध धर्म का जिक्र करते हुए बताया कि भारत और जापान के सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं। इस संबंध के लिए बौद्ध धर्म का विशेष स्थान है। लेख में मोदी ने महात्मा गांधी के तीन बंदरों का भी जिक्र करते हुए बताया कि ना बुरा देखो, ना बुरा सुनो और ना बुरा बोलो। जापान में 17वीं सदी में बने एक मंदिर से प्रेरणा लेकर गांधीजी के ये तीन बंदर बनाए गए हैं।
इसके अतिरिक्त अपने लेख में मोदी ने इंडो पैसिफिक रीजन (Indo Pacific Region) में शांति और सुरक्षा के लिए जापान और भारत की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए क्वाड का उल्लेख किया है। इस भागीदारी का उद्देश्य इंडो पैसिफिक रीजन में चीन के बढ़ते प्रभाव को सीमति करना है।
लेख में सबसे दिलचस्प बात यह है कि मोदी ने जापान और भारत की दोस्ती को तीन शब्दों द्वारा परिभाषित करते हुए कहा कि, भारत और जापान के रिश्ते विशेष, सामरिक और वैश्विक हैं।भारत और जापान के साथ संबंधों का तीन आयामों Special, Strategic और Global के बारे में बात किया है। पीएम मोदी ने अपने लेख के माध्यम से दुनिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए जापान और भारत के मजबूत रिश्ते पर खास जोर दिया है।