भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)(ISRO) ने  कहा कि ऑस्ट्रेलिया के समुद्र तट पर आई विशाल वस्तु की पुष्टि नहीं की जा सकती । (Image: Wikimedia Commons)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)(ISRO) ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के समुद्र तट पर आई विशाल वस्तु की पुष्टि नहीं की जा सकती । (Image: Wikimedia Commons) 
अंतर्राष्ट्रीय

ऑस्ट्रेलियाई तट पर मौजूद वस्तु पीएसएलवी का हिस्सा है या नहीं, इसकी पुष्टि या खंडन नहीं किया जा सकता : इसरो

न्यूज़ग्राम डेस्क

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)(ISRO) ने मंगलवार को कहा कि एजेंसी इस बात की पुष्टि या खंडन नहीं कर सकती है कि ऑस्ट्रेलिया में समुद्र तट पर आई विशाल वस्तु उसके ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट का हिस्सा थी या नहीं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, “हम वस्तु को व्यक्तिगत रूप से देखे बिना और उसकी जांच किए बिना उसके बारे में किसी भी बात की पुष्टि या खंडन नहीं कर सकते। सबसे पहले ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी को वस्तु का एक वीडियो भेजना होगा। हमें यह देखना होगा कि उस पर कोई निशान तो नहीं है। उन्हें वस्तु को एक अलग स्थान पर ले जाना होगा।  अगर जरूरत पड़ी तो इसरो अधिकारी यह पुष्टि करने के लिए वहां जा सकते हैं कि यह भारतीय रॉकेट का है या नहीं।“

अंतरिक्ष क्षेत्र के अधिकारियों और उत्साही लोगों के बीच अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या ऑस्ट्रेलिया में बहकर आई विशाल धातु की वस्तु भारत के पीएसएलवी रॉकेट का हिस्सा थी जो बहुत पहले ऊपर गई थी।

इसरो अधिकारी ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी ने इस संबंध में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी से संपर्क किया है।

ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी ने ट्वीट किया, “हम इस समय पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में ज्यूरियन खाड़ी के पास एक समुद्र तट पर स्थित इस वस्तु से संबंधित पूछताछ कर रहे हैं। वस्तु किसी विदेशी अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान से हो सकती है और हम वैश्विक समकक्षों के साथ संपर्क कर रहे हैं जो अधिक जानकारी प्रदान करने में सक्षम हो सकते हैं।”

ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, “चूंकि वस्तु की उत्पत्ति अज्ञात है, इसलिए समुदाय को वस्तु को संभालने या स्थानांतरित करने का प्रयास करने से बचना चाहिए। यदि समुदाय को कोई और संदिग्ध मलबा दिखाई देता है, तो उन्हें स्थानीय अधिकारियों को इसकी सूचना देनी चाहिए और space.monitoring@space.gov.au के माध्यम से ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी को सूचित करना चाहिए।”

चित्र को करीब से देखने पर यह बहुत पुराना लगता है और हाल ही में लॉन्च किए गए किसी भी रॉकेट का हिस्सा नहीं है, जिसमें भारत का एलवीएम3 भी शामिल है जो अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 को ले गया था। (IANS/AK)

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