वित्तीय कार्रवाई कार्यबल IANS
अंतर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाए जाने पर भारत की चिंता

एफएटीएफ द्वारा पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' से बहार करने पर भारत की तरफ से शुक्रवार को प्रतिक्रिया ज़ाहिर की गई।

Ritu Singh

वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (Financial Action Task Force) के द्वारा पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट'(grey list) से बाहर करने पर भारत की तरफ से शुक्रवार को प्रतिक्रिया ज़ाहिर की गई। भारत की तरफ से कहा गया की पाकिस्तान (Pakistan) को ग्रे लिस्ट में शामिल किये जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में बड़े आतंकवादी हमलो में कमी आई थी। साथ ही भारत की तरफ से आशंका जताई गई है की पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाये बढ़ सकती है। संयुक्त सचिव सफ़ी रिज़वी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति को इस संबंध की जांच करनी चाहिए। यह बात उन्होंने यूएनएससी (UNSC) पैनल की एक विशेष बैठक में प्रस्तुति देते हुए कहा। आपको बता दे की इस वर्ष भारत (India) यूएनएससी की इस विशेष बैठक की मेज़बानी कर रहा है ।

वर्ष 2014 में जम्मू-कश्मीर में 5 “कठिन लक्ष्यों” (hard targets) पर हमले दर्ज किये गिर जिनमे सरकारी कार्यालय, पुलिस एवं सैन्य शिविर जैसे बेहतर सुरक्षा वाले स्थान शामिल है। इसी तरह 2015 में 8 हमले और 2016 में 15 आतंकवादी हमले हुए। 2017 में यह संख्या घटकर 8 हो गयी और 2018 में 3, वर्ष 2019 में पुलवामा (Pulwama) हमले के रूप में एक 'बहुत बड़ी गड़बड़ी' हुई थी, जबकि 2020 में किसी भी कठिन लक्ष्य पर हमला नहीं किया गया था।

पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बहार

भारतीय खुफिया (Indian Intelligence) अधिकारियों ने संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति (United Nations Counter-Terrorism Committee) को रेखांकित किया कि 2018 में पाकिस्तान को 'ग्रे सूची' में शामिल करने के परिणामस्वरूप पाकिस्तान की धरती पर आतंकवादी ठिकानों में 75% की गिरावट आई थी जोकि सबसे महत्वपूर्ण सफलताओ में से एक है। 

रिज़वी ने बताया की जब 2021 में ग्रे लिस्ट से बहार आने की पाकिस्तान की संभावना बढ़ी तभी से आतंकवादी गतीविधियो में तेज़ी आई।

उन्होंने कहा कि 2021 में कठिन लक्ष्यों पर हमले बढ़ने लगे और 2022 में भी यह सिलसिला जारी है।

एफएटीएफ (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसकी स्थापना 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग (terror-funding) और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य संबंधित खतरों से निपटने के लिए की गई थी।

Ritu Singh

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