बालेन्द्र शाह Instagram
अंतर्राष्ट्रीय

जानिए कौन है बालेन्द्र शाह, क्या वह बन सकते है नेपाल के अगले प्रधानमंत्री?

नेपाल की राजनीति मै लंबे समय से अस्थिरता, भ्रष्टाचार और पारंपरिक दलों के वर्चस्व से घिरी रही है। दशकों तक वही पुराने नेता और पार्टियाँ जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। ऐसे माहौल में एक नया चेहरा उभरा, बालेन्द्र शाह। एक रैपर, इंजीनियर और सामाजिक कार्यकर्ता से नेता बने शाह को आज लोग युवा राजनीति की नई उम्मीद या नया चेहरा मानते हैं। उनकी साफ-सुथरी छवि और जनता से जुड़ाव ने उन्हें नेपाल के अगले प्रधानमंत्री की दौड़ में गंभीर दावेदार बना दिया है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

बालेन्द्र शाह (Balendra Shah) का जन्म 27 मई 1990 को नेपाल (Nepal) के भरतपुर (चितवन) में हुआ था। वे बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ थे और साथ ही कला व रचनात्मक गतिविधियों में भी रुचि रखते थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा (Education) नेपाल से पूरी की और फिर उच्च शिक्षा के लिए नेपाल इंजीनियरिंग कॉलेज (Nepal Engineering College) से सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering) में डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने भारत (India) के कर्नाटक (Karnataka) से आधुनिक शहरी नियोजन और प्रबंधन से जुड़े विषयों की पढ़ाई की।

उनकी यह इंजीनियरिंग और शहरी विकास की पृष्ठभूमि बाद में राजनीति में उनके विज़न की सबसे बड़ी ताक़त बनी। शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने अपने व्यक्तित्व में रचनात्मकता और सामाजिक चेतना को भी बनाए रखा, जिससे वे युवाओं में अलग पहचान बनाने लगे और उनके बीच बहुत पॉपुलर हो गए।

रैप म्यूज़िक से राजनीति तक

राजनीति में आने से पहले बालेन्द्र शाह (Balendra Shah) एक जाने-माने रैपर (Rapper) भी रहे। वे “Balen” नाम से नेपाली हिप-हॉप (Hip-Hop) में लोकप्रिय हुए। उनके रैप गानों का विषय समाज, राजनीति और युवाओं की समस्याएँ होती थीं। उनके गानों और बैटल्स में भ्रष्टाचार (Corruption), असमानता (Inequality) और व्यवस्था की आलोचना साफ दिखाई देती थी। युवाओं ने उन्हें सिर्फ़ कलाकार नहीं बल्कि अपनी आवाज़ माना। वे जो बातें गानों में कहते थे, वही बाद में उनकी राजनीति का आधार बनीं। इसी कारण जब उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया तो जनता पहले से ही उन्हें एक ऐसे चेहरे के रूप में देख रही थी जो उनके मन की बात कहता है।

काठमांडू के मेयर बनने का सफर

साल 2022 में बालेन्द्र शाह ने स्वतंत्र उम्मीदवार (Independent Candidate) के रूप में काठमांडू (Kathmandu) मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर (Mayor) का चुनाव लड़ा। उस समय उनके सामने नेपाली कांग्रेस (Nepali Congress) और यूएम एल जैसे बड़े दलों के उम्मीदवार खड़े थे। जनता पहले से पारंपरिक दलों से निराश थी और ऐसे माहौल में शाह ने वादों की बजाय काम करने का भरोसा और पारदर्शी (Transparency) राजनीति का एजेंडा पेश किया। चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका दिया। शाह ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की और नेपाल की राजधानी के मेयर बन गए। इस जीत ने साबित कर दिया कि जनता अब पारंपरिक राजनीति से हटकर बदलाव चाहती है।

साल 2022 में बालेन्द्र शाह ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर का चुनाव लड़ा।

मेयर के रूप में काम और उपलब्धियाँ

मेयर बनने के बाद शाह ने कई ऐसे कदम उठाए जिनसे उनकी छवि और मज़बूत हुई। उन्होंने काठमांडू (Kathmandu) की सबसे बड़ी समस्या यानी गंदगी और कचरे को प्राथमिकता दी और इसके समाधान के लिए सख़्त कदम उठाए। यातायात सुधारने के लिए उन्होंने अवैध पार्किंग और सड़क पर अतिक्रमण हटवाया।

नगर निगम के अंदर फैले भ्रष्टाचार को उजागर कर उस पर कार्यवाही की। साथ ही, प्रशासनिक प्रक्रियाओं को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटलीकरण (Digital) पर ज़ोर दिया। इन कामों से जनता को विश्वास हुआ कि शाह सिर्फ़ बातें नहीं करते बल्कि वास्तव में काम करने वाले नेता हैं।

जनता क्यों चाहती है कि वे प्रधानमंत्री बनें?

बालेन्द्र शाह (Balendra Shah) की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। उनकी सबसे बड़ी ताक़त यह है कि वे किसी पारंपरिक दल से जुड़े नहीं हैं और भ्रष्टाचार (Corruption) से दूर माने जाते हैं। नेपाल (Nepal) की आधी आबादी युवा है और युवाओं को लगता है कि शाह उनकी पीढ़ी की समस्याओं को समझते हैं और उनके लिए काम करना चाहते हैं।

मेयर (Mayor) रहते हुए उन्होंने दिखा दिया कि वे परिणाम देने वाले नेता हैं। उनके पास शिक्षा (Education), स्वास्थ्य (Health), रोज़गार (Employment) और शहरी विकास जैसे मुद्दों पर ठोस नीतियाँ हैं। इसी कारण लोग उन्हें प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनते हुए देखना चाहते हैं।

शाह की खास पहचान उनकी ईमानदारी और पारदर्शिता है। वे सोशल मीडिया के ज़रिए सीधे युवाओं से जुड़ते हैं और आधुनिक सोच रखते हैं। उनका तकनीकी ज्ञान और इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है। वे जनता तक बिना किसी बिचौलिये के पहुँचते हैं और इसी कारण उनकी छवि एक ज़मीनी नेता की है।

संभावनाएँ और चुनौतियाँ

अगर बालेन्द्र शाह (Balendra Shah) प्रधानमंत्री बनते हैं तो उनसे यह उम्मीद की जाएगी कि वे भ्रष्टाचार कम करने, पारदर्शिता बढ़ाने और शिक्षा-रोज़गार जैसे मुद्दों पर ध्यान देंगे। मेयर रहते हुए उन्होंने शहरी विकास पर फोकस किया था, इसलिए यह माना जा सकता है कि वे राष्ट्रीय स्तर पर भी इंफ़्रास्ट्रक्चर और युवाओं से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता देंगे।

लेकिन उनके सामने गंभीर चुनौतियाँ भी होंगी। नेपाल की राजनीति लंबे समय से अस्थिर रही है, जहाँ सरकारें बार-बार बदलती हैं। ऐसे माहौल में स्थायी और मज़बूत नीतियाँ लागू करना कठिन होगा। साथ ही, पारंपरिक दल उनके उभरते प्रभाव को कमज़ोर करने की कोशिश कर सकते हैं। इसके अलावा, लोकप्रियता को ठोस नीतियों और ठोस परिणामों में बदलना आसान नहीं होगा।

सत्ता में आने के बाद वादों को हक़ीक़त में बदलना आसान नहीं होगा।

भारत–नेपाल

अगर बालेन्द्र शाह नेपाल के प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारत (India) के लिए इसके फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं। सकारात्मक पक्ष यह है कि शाह पारदर्शी और व्यावहारिक नेता हैं, जो भ्रष्टाचार और अस्थिरता को कम कर सकते हैं। इससे नेपाल में स्थिरता आएगी और भारत के साथ व्यापार (Business), पर्यटन (Tourism) और ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है।

लेकिन दूसरी ओर, शाह राष्ट्रवादी छवि रखते हैं और वे चीन (China) और अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी संबंध मज़बूत करना चाहेंगे। वे नहीं चाहेंगे कि नेपाल सिर्फ भारत पर निर्भर दिखे। इस कारण कई बार भारत के रणनीतिक हितों को चुनौती मिल सकती है। उनकी नीतियाँ नेपाल की आत्मनिर्भरता पर ज़ोर देंगी और भारत के लिए रिश्ता दोस्ताना तो रहेगा, लेकिन उतना आसान नहीं होगा।

निष्कर्ष

बालेन्द्र शाह (Balendra Shah) नेपाल की राजनीति में एक नई और अलग पहचान बनाने वाले नेता के रूप में सामने आए हैं। उनकी यात्रा, इंजीनियर से रैपर और फिर मेयर बनने तक, यह दिखाती है कि वे पारंपरिक नेताओं से अलग पृष्ठभूमि रखते हैं। हालाँकि उनकी लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ी है, लेकिन प्रधानमंत्री बनने की राह आसान नहीं है। सत्ता में आने पर उन्हें पारंपरिक दलों के विरोध, अस्थिर राजनीतिक माहौल और जनता की ऊँची उम्मीदों जैसी चुनौतियों का सामना करना होगा।

(Rh/BA)

करिश्मा तन्ना ने 'स्कूप' की शूटिंग के पहले दिन को किया याद

अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के बीच भारतीय शेयर बाजार हरे निशान में बंद

उत्तरी अरब सागर में भारत व इटली के युद्धपोतों का युद्धाभ्यास

फ्रांस में सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग, 200 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार; 80 हजार पुलिसकर्मी तैनात

नेपाल एयरलाइंस की उड़ानें बहाल, त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई फिर से खुला