आईएएनएस से बातचीत में कई लोगों ने कहा कि ओली (Oli) का इस्तीफा तय था, क्योंकि सरकार जनता से पूरी तरह कट चुकी थी। एक नेपाली शख्स ने कहा, “ओली के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। उनकी सरकार भ्रष्ट (Corrupt) थी और जनता की जरूरतों से पूरी तरह बेखबर। अब तो कानून-व्यवस्था भी नहीं बची। डर है कि सेना शासन संभाल सकती है।”
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, “मंत्रियों के लगातार इस्तीफों के बाद ओली का जाना तय था। अब देखना है आगे क्या होता है।”
प्रदर्शन के दौरान हुई गोलीबारी की निंदा करते हुए एक निवासी ने कहा, “प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाना अस्वीकार्य है। जो हुआ, गलत हुआ। लेकिन आखिरकार ओली को जाना ही पड़ा।”
कई नागरिकों ने कहा कि ओली के शासन में भ्रष्टाचार पनपा और जनता को कुछ नहीं मिला। युवाओं, खासकर छात्रों और किशोरों ने सड़कों पर उतरकर आंदोलन को ताकत दी।
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने तीखी प्रतिक्रिया दी, “हमने संसद और भ्रष्ट नेताओं के घर जला दिए। अब हर गद्दार का घर जलाना चाहता हूं।”
कुछ ने इसे पीढ़ीगत बदलाव करार दिया। एक युवा ने कहा, “जनरेशन-जी चौबीसों घंटे जाग रही है। अगली सरकार जनरेशन-ज़ी के हाथ में होगी। यह तो बस शुरुआत है।”
इससे पहले दिन में ओली ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल (Ramchandra Paudel) को अपना इस्तीफा सौंपा। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 77 (1) का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया। ओली जुलाई 2024 में नेपाली कांग्रेस (Nepal Congress) के साथ सहमति से प्रधानमंत्री बने थे।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, काठमांडू के मेयर बालेन शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है।
सोमवार को हुई हिंसा में 19 प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद आंदोलन और भड़क गया। राजधानी काठमांडू स्थित संसद भवन और प्रशासनिक केंद्र सिंह दरबार को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया। सत्तारूढ़ दलों के मुख्यालय भी तोड़े-फोड़े गए और कई हिस्सों में सरकारी कार्यालयों को नुकसान पहुंचा।
हालात बिगड़ने पर स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और खेल मंत्री तेजु लाल चौधरी समेत कई मंत्रियों ने इस्तीफा दिया। सोशल मीडिया पर ओली के घर को आग लगाए जाने के वीडियो भी वायरल हो गए। कर्फ्यू के बावजूद काठमांडू और अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी है और स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है।
(BA)