अमित रंजन यादव
अयोध्या
आपकी पसंदीदा लेखन शैली
गद्य - कहानी,लघु कथा; पद्य - कविता
आपके पसंदीदा लेखक/लेखिका
मुंशी प्रेम चंद, धूमिल, पाश, दुष्यंत कुमार तथा रामधारी सिंह दिनकर जी। (नरेश सक्सेना, रमाशंकर विद्रोही, श्रीलाल शुक्ला)
आपकी पसंदीदा पुस्तक?
रागदरबारी, सत्य के मेरे अनुप्रयोग तथा भगत सिंह का पत्र संकलन तथा मुंशी जी की कहानियां (नाम बहुतेरे हैं)।
आपको लिखने के लिए क्या प्रेरित करता है?
बदलाव की उम्मीद ही सदैव मेरे कलम की स्याही रही हैं।
मैं इसके अगर विद्रोही जी पंक्तियों में कहे तो
मैं तुम्हें इसलिए प्यार नहीं करता
कि तुम बहुत सुंदर हो,
और मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
मैं तुम्हें इसलिए प्यार करता हूं
कि जब मैं तुम्हें देखता हूं,
तो मुझे लगता हैं कि
क्रांति होगी।
~ रमाशंकर यादव 'विद्रोही '
आपके द्वारा लिखा गया पहला लेख
पहचान
आपके द्वारा लिखी गई सबसे अच्छी पंक्ति
मैं ये चुनाव पाठको पर छोड़ता की मेरी सबसे अच्छी पंक्तियां कौन सी हैं इसके इतर मैं अपनी नई कविता की कुछ पंक्तियां निम्नलिखित करता हूं।
मेरे गांव से कुछ दूर एक लड़की पंचर बनाने की दुकान करती हैं।
उसके सिर पर कोई पल्लू नहीं हैं,वो श्रृंगार नही करती
समाज क्या कहेगा ,क्या सोचेगा इसका विचार नहीं करती
एक हाथ में दो औजार और दूसरे में भी दो औजार
वो हर बार चार लोगो के विचार तार तार करती हैं
मेरे गांव की एक लड़की पंचर की दुकान करती हैं।
मेरे गांव की एक लड़की एकदम निडर हैं ,बेबाक हैं
उसके क से कमाल और ध से धमाल बनने का कोई शौक नहीं।
वो डरती हैं केवल भूख के झंझावात से , उम्मीदों के पहाड़ से ।
वो मरम्मत करती हैं पुराने, घिसे पीटे और जटिल चक्र का
जिस पर एक लंबे समय से समाज लाद कर चला आ रहा हैं।
जब कोई पंचर ठीक कराने आता हैं ,पहले देखती हैं बड़े प्यार से पहिए को फिर टायर उतार कर ट्यूब निकाल लेती हैं ।
ऐसा करने में कुछ कालिक उसके दामन में लग जाती हैं जिसने जन्म लिया हैं समाज के चक्रण से,आधूर्ण से।
वह फिर सही कमी का पता कर उसे चिपकाती हैं गोंद से जैसे भर रहा हो कोई आकाश में हुआ छिद्र और जब जांच के लिए ट्यूब पानी में भिगोती हैं तब लगता हैं जैसे डूब रही हैं सब ताकियानूशी बातें समुद्र में और वो कहती हैं अब सब ठीक हो जायेगा ।
फिर पूरा पंचर ठीक होने पर वो मुस्कुरा देती हैं ।
जब वो ऐसा करती हैं अनजाने ही ट्यूब में लगी गोंद लोगो के मन में चिपक जाती हैं ,उसका मुस्कराना जन्म देता हैं एक नई दिशा की संभावना,एक नया सवेरा
लोग चुपके से चुराना चाहते हैं उसकी एक अदा अपने बेटी के लिए ,अपनी प्रेमिका के लिए, किसी लड़की के लिए।
-: यादवेंद्र(अमित रंजन यादव)(Amit Ranjan Yadav)
पाठकों के लिए कोई संदेश
पढ़िए..किताबे पढ़िए खूब पढ़िए।
क्योंकि किताबों में छिपे नए आयाम और महान अनुभव आप के जीवन को प्रकाश से भर देंगे।
आपके बारे में ऐसी कौन सी बात है जिसे जानकर लोग आमतौर पर आश्चर्यचकित हो जाते हैं?
मेरा मानना हैं मेरी सरलता ,आत्मविश्वास और धैर्य ऐसे पहलू हैं जिनसे लोग आकर्षित होते हैं इसके इतर मैं सीख ने की प्रक्रिया में हूं और बचपन से ही मेरी कविताओं और लेखों ने लोगो को विचार करने पर मजबूर किया हैं।
आपके जीवन में सबसे अधिक प्रभाव किसने डाला है? कैसे?
मेरा मानना हैं घर ,माता पिता के अतिरिक्त मैं सबसे ज्यादा दो लोगो से प्रभावित हुआ हूं
१.महात्मा गांधी
२.भगत सिंह
लंबे समय तक समाज में फैलाए गए मिथक के कारण मैं महात्मा जी का धुर विरोधी भी रहा पर किताबों और ज्ञान आपको सही रास्ता दिखाते हैं और ये आम कहावत भी हैं इतिहासकारों के बीच की जब तक आप गांधी का विरोध नही करते हैं आप गांधी को समझ नही सकते ,ये बात बिलकुल ही सत्य हैं ।
सत्य के मेरे अनुप्रयोग और भगत सिंह का पत्र संकलन मुझे अत्यंत प्रभावित करता हैं।
कोई ऐसी बात बताएं जो आपको सच लगती है पर उसपर लगभग कोई भी आपसे सहमत नहीं होगा।
फिलहाल जीवन में ऐसा क्षण नही आया।
आपका पसंदीदा उद्धरण
ऐसे बहुत सी रचनाएं हैं जैसे कलम आज उनकी जय बोल -दिनकर जी तथा धर्मवीर भारती जी की निम्न पंक्तियां मेरी पसंदीदा पंक्तियां हैं।
मैं मौलवी-पादरी की संतान नहीं,
सो नहीं पता कि
कैसे होगा
ईश्वर का आह्वान।
मैं नहीं जन्मा
राजा के घर
तो नहीं जानता
कि
कैसे बुलाते हैं
अपनी रक्षा को सेना।
मेरे मूर्ख परिवार से
नहीं हो पाया
व्यापार-
सो नहीं सीख पाया
वो आवाज
जो बुलाती हैं सम्पन्नता को।
मेरी माँ ने
मुझे इतने निचले तबके में
दिया जन्म-
जहां तक नहीं पहुँचता
ईश्वर-सेनाएं-धन।
हम दबाए गए लोग थे-
हमने सीखी बस दो आवाजें
प्रेम और द्रोह की।
इन दोनों आवाज़ों में
बोलते हुए-
हर दम मेरे लोगों की भाषा
पुकारती हैं तुम्हें।।
(फ़ोटो: सूरज का सातवां घोड़ा, 1992)
क्या आपको लेखन के लिए कोई स्मृति चिन्ह या पुरस्कार प्राप्त हुआ यदि हाँ, तो उल्लेख कीजिए।
ऐसा अवसर मुझे कई बार प्राप्त हुआ हैं ,जिसमें से सबसे विशेष हैं संविधान की प्रस्तावना लिखित स्मृति चिन्ह जो मुझे Indian School of Management Development (ISDM) ने प्रदान की हैं।
आपको क्या चीज़ प्रोत्साहित करती है?
मुझे लगता हैं बदलाव और चीजों को बेहतर बनाने का विचार ही मुझे हमेशा प्रोत्साहित करता हैं।
आधुनिकता के इस दौर में पुस्तकों का चलन कम हो गया है? यदि हाँ, तो यह किस हद तक सही है?
मेरा मानना हैं कागज की पुस्तकों का चलन कम हुआ हैं पुस्तकों का नही।
हमेशा से ही साहित्य कुछ सीमित लोगो ने ही पढ़ा ...एक विशेष वर्ग ने उसे आकर दिया.. वरन कालजई लेखकों और उनकी आकृतियां ये सीमाएं नहीं जानती पर समय के साथ बदलाव जरूरी हैं।
कागज की पुस्तकें नए पाठकों को लुभा रही हैं ,अच्छे लेखक भी जन्म ले रहे हैं पर पूरे तरीके से मैं इस चलन में कमी को मना नहीं कर सकता ।
मेरा मानना हैं अच्छा लेखन नए पाठकों को जन्म देगा और इस कमी को कमतर करेंगे।
लेखन ने आपके जीवन को किस प्रकार नई गति दी?
मेरा मानना हैं लेखन गहन मंथन और सूक्ष्म अवलोकन का परिणाम हैं और जब आप इस प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं आप धीरे-धीरे धीरता और विनय की तरफ बढ़ने लगते हैं।
मुझे लगता हैं लेखन ने मुझे इतिहास और समाज के आयामों को समझने का अलग दृष्टिकोण प्रदान किया हैं ।
लिपिकार/अमित रंजन यादव/PS